ई-कॉमर्स (E-Commerce)
परिभाषा: ई-कॉमर्स (इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स) का तात्पर्य इंटरनेट और अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों का उपयोग करके वस्तुओं और सेवाओं की खरीद-बिक्री, धन का हस्तांतरण और डेटा का आदान-प्रदान करना है। यह एक आधुनिक व्यापार मॉडल है जो भौगोलिक सीमाओं को समाप्त करता है।
क्षेत्र: भारत का ई-कॉमर्स बाजार दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक है। अनुमान है कि 2030 तक यह $350 बिलियन तक पहुंच जाएगा, जो इसे अमेरिका और चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा बाजार बना देगा।
ई-कॉमर्स के प्रकार
1. बिजनेस-टू-कंज्यूमर (B2C)
जब कोई कंपनी सीधे अंतिम उपभोक्ता को अपने उत्पाद या सेवाएं बेचती है। यह ई-कॉमर्स का सबसे आम मॉडल है। उदाहरण: Amazon, Flipkart, Myntra।
2. बिजनेस-टू-बिजनेस (B2B)
जब दो या दो से अधिक कंपनियां एक-दूसरे के साथ ऑनलाइन व्यापार करती हैं। इसमें कच्चा माल, औद्योगिक सामान और व्यावसायिक सेवाएं शामिल हैं। उदाहरण: IndiaMART, Udaan।
3. कंज्यूमर-टू-कंज्यूमर (C2C)
जब उपभोक्ता एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से सीधे एक-दूसरे को सामान या सेवाएं बेचते हैं। उदाहरण: OLX, Quikr।
4. मोबाइल कॉमर्स (M-Commerce)
स्मार्टफोन और टैबलेट जैसे मोबाइल उपकरणों का उपयोग करके किए जाने वाले ई-कॉमर्स लेन-देन को एम-कॉमर्स कहा जाता है। भारत में ई-कॉमर्स का अधिकांश हिस्सा अब एम-कॉमर्स के माध्यम से होता है।
भारत में ई-कॉमर्स का विकास
- 1995: भारत में इंटरनेट सेवाओं की शुरुआत।
- 2007: Flipkart की स्थापना, जिसने भारतीय ई-कॉमर्स परिदृश्य को बदल दिया।
- 2014 के बाद: सस्ते स्मार्टफोन, किफायती डेटा, डिजिटल इंडिया मिशन और UPI के आगमन ने ई-कॉमर्स में क्रांति ला दी, जिससे यह छोटे शहरों और गांवों तक पहुंच गया।
ई-कॉमर्स से संबंधित कानून
1. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (IT Act, 2000)
यह कानून इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन को कानूनी मान्यता प्रदान करता है और साइबर अपराधों से संबंधित प्रावधान निर्धारित करता है।
2. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 (और ई-कॉमर्स नियम, 2020)
यह अधिनियम ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को उपभोक्ताओं के प्रति अधिक जवाबदेह बनाता है। इसके तहत, कंपनियों को रिटर्न/रिफंड नीतियां स्पष्ट करनी होती हैं, नकली समीक्षाओं पर रोक लगानी होती है, और ग्राहकों की शिकायतों के लिए एक निवारण तंत्र स्थापित करना होता है।
3. प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 (Competition Act, 2002)
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) इस कानून के तहत यह सुनिश्चित करता है कि बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां बाजार में अपनी প্রভাবশালী स्थिति का दुरुपयोग न करें और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बनी रहे।