ई-कॉमर्स की परिभाषा व क्षेत्र (Definition and Scope)
परिभाषा (Definition)
ई-कॉमर्स (Electronic Commerce) का तात्पर्य इंटरनेट और डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हुए वस्तुओं, सेवाओं, और डेटा का आदान-प्रदान करना है। यह एक व्यापार मॉडल है जो ऑनलाइन लेन-देन को सक्षम बनाता है।
क्षेत्र (Scope)
ई-कॉमर्स ने व्यवसाय संचालन के पारंपरिक तरीकों को बदल दिया है और इसका दायरा लगातार बढ़ रहा है।
- खुदरा बिक्री (Retail Sales):
- भारत: 2022 में ₹4.9 लाख करोड़ का खुदरा बिक्री बाजार।
- वैश्विक स्तर: 2022 में वैश्विक ई-कॉमर्स बाजार का मूल्य $5.7 ट्रिलियन।
- सेवा उद्योग (Service Sector):
- वित्तीय सेवाएँ, ऑनलाइन शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवाएँ।
- उदाहरण: BYJU’s, Practo।
- डिजिटल उत्पाद और सामग्री:
- ई-बुक्स, म्यूजिक स्ट्रीमिंग, सॉफ़्टवेयर।
- भारत में 2023 तक डिजिटल सामग्री का बाजार ₹15,000 करोड़ तक पहुँचने का अनुमान।
- फ्रीलांसिंग और ऑनलाइन कार्य:
- भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा फ्रीलांस बाजार।
ई-कॉमर्स के प्रकार (Types of E-Commerce)
1. बी2सी (B2C – Business to Consumer)
- परिभाषा: कंपनियाँ उपभोक्ताओं को सीधे उत्पाद और सेवाएँ बेचती हैं।
- उदाहरण: अमेज़न, फ्लिपकार्ट।
- महत्त्वपूर्ण तथ्य: भारत का B2C ई-कॉमर्स बाजार 2022 में ₹4.3 लाख करोड़ का था।
2. बी2बी (B2B – Business to Business)
- परिभाषा: कंपनियों के बीच उत्पाद और सेवाओं का व्यापार।
- उदाहरण: इंडियामार्ट, अलीबाबा।
- महत्त्वपूर्ण तथ्य: भारत का B2B ई-कॉमर्स बाजार 2025 तक ₹10 लाख करोड़ तक पहुँचने का अनुमान।
3. सी2सी (C2C – Consumer to Consumer)
- परिभाषा: उपभोक्ताओं के बीच वस्तुओं और सेवाओं का लेन-देन।
- उदाहरण: ओएलएक्स, क्विकर।
- महत्त्वपूर्ण तथ्य: 2022 में भारत में C2C प्लेटफॉर्म के उपयोगकर्ताओं की संख्या 10 करोड़ से अधिक थी।
4. सी2बी (C2B – Consumer to Business)
- परिभाषा: उपभोक्ता कंपनियों को सेवाएँ या उत्पाद प्रदान करते हैं।
- उदाहरण: Fiverr, Upwork।
5. मोबाइल कॉमर्स (M-Commerce)
- परिभाषा: स्मार्टफोन और मोबाइल ऐप के माध्यम से लेन-देन।
- उदाहरण: पेटीएम, गूगल पे।
- महत्त्वपूर्ण तथ्य: भारत में 2022 में M-Commerce से ₹2.5 लाख करोड़ का व्यापार हुआ।
भारत व विश्व में ई-कॉमर्स की शुरूआत (History of E-Commerce in India and the World)
विश्व में ई-कॉमर्स की शुरूआत
- 1970s:
- इलेक्ट्रॉनिक डेटा इंटरचेंज (EDI) ने ई-कॉमर्स की नींव रखी।
- 1995:
- अमेज़न और ईबे जैसे प्लेटफ़ॉर्म की शुरुआत।
- 2000s:
- भुगतान गेटवे और मोबाइल वॉलेट ने ई-कॉमर्स को मजबूती दी।
भारत में ई-कॉमर्स की शुरूआत
- 1995: भारत में इंटरनेट सेवाओं की शुरुआत।
- 2000:
- रेडिफ और SifyMall जैसे शुरुआती ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म।
- 2007:
- फ्लिपकार्ट का आगमन।
- 2010-2020:
- डिजिटल इंडिया अभियान और यूपीआई के चलते ई-कॉमर्स का तेज़ विकास।
- 2022:
- भारत का ई-कॉमर्स बाजार $75 बिलियन का था।
- 2025 तक यह $120 बिलियन तक पहुँचने की संभावना।
ई-कॉमर्स से संबंधित कानून (Laws Related to E-Commerce)
1. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (Information Technology Act, 2000)
- परिचय:
- डिजिटल लेन-देन को कानूनी वैधता प्रदान करता है।
- प्रमुख प्रावधान:
- धारा 43A: डेटा संरक्षण।
- धारा 66C: पहचान की चोरी।
- धारा 72A: गोपनीयता की सुरक्षा।
- महत्त्वपूर्ण तथ्य:
- 2008 में संशोधित IT अधिनियम साइबर अपराधों और डेटा उल्लंघन से निपटने पर केंद्रित था।
2. प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 (Competition Act, 2002)
- परिचय:
- बाजार में प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने और अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकने के लिए बनाया गया।
- महत्त्वपूर्ण तथ्य:
- 2020 में CCI (Competition Commission of India) ने अमेज़न और फ्लिपकार्ट के खिलाफ जांच शुरू की।
- मुख्य प्रावधान:
- एकाधिकार पर रोक।
- अनुचित व्यापार प्रथाओं की निगरानी।
3. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (Consumer Protection Act)
- उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स नियम), 2020:
- मुख्य प्रावधान:
- रिफंड और रिटर्न पॉलिसी।
- फर्जी समीक्षाओं पर रोक।
- डेटा गोपनीयता।
- मुख्य प्रावधान:
- महत्त्वपूर्ण तथ्य:
- ग्राहकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए ई-कॉमर्स कंपनियों पर कड़ी निगरानी।
ई-कॉमर्स ने भारत और विश्व में व्यापार और उपभोक्ता व्यवहार में क्रांति ला दी है। इसके बढ़ते प्रभाव को सुरक्षित और संरचित करने के लिए कानूनी और नीतिगत ढाँचे को मजबूत करना आवश्यक है। 2025 तक डिजिटल लेन-देन और इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की वृद्धि के साथ भारत का ई-कॉमर्स क्षेत्र वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बनेगा।