आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey)
परिचय: आर्थिक सर्वेक्षण वित्त मंत्रालय, भारत सरकार का एक वार्षिक प्रमुख दस्तावेज है। यह पिछले वित्तीय वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन की एक व्यापक समीक्षा प्रस्तुत करता है। यह आगामी बजट के लिए संदर्भ प्रदान करता है और अर्थव्यवस्था के सामने आने वाली चुनौतियों और अवसरों पर प्रकाश डालता है।
- तैयारी: इसे आर्थिक मामलों के विभाग (Department of Economic Affairs) के आर्थिक प्रभाग द्वारा मुख्य आर्थिक सलाहकार (Chief Economic Advisor – CEA) के मार्गदर्शन में तैयार किया जाता है।
- प्रस्तुति: परंपरागत रूप से, इसे संसद में केंद्रीय बजट से एक दिन पहले पेश किया जाता है।
आर्थिक सर्वेक्षण का इतिहास
- पहला सर्वेक्षण: भारत का पहला आर्थिक सर्वेक्षण 1950-51 में प्रस्तुत किया गया था।
- बजट से अलगाव: 1964 तक, इसे केंद्रीय बजट के साथ ही प्रस्तुत किया जाता था। 1964 के बाद, इसे बजट से अलग कर दिया गया और बजट से एक दिन पहले पेश करने की परंपरा शुरू हुई।
- संवैधानिक स्थिति: बजट (अनुच्छेद 112) के विपरीत, आर्थिक सर्वेक्षण को प्रस्तुत करना संवैधानिक रूप से अनिवार्य नहीं है, लेकिन यह एक स्थापित परंपरा है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के प्रमुख बिंदु (नवीनतम उपलब्ध)
प्रमुख पूर्वानुमान और आंकड़े
- GDP वृद्धि: वित्त वर्ष 2025-26 के लिए वास्तविक GDP वृद्धि दर 6.3% से 6.8% के बीच रहने का अनुमान है।
- मुद्रास्फीति: खुदरा मुद्रास्फीति में नरमी देखी गई है और इसके RBI के लक्ष्य सीमा (2-6%) के भीतर रहने की उम्मीद है।
- कृषि क्षेत्र: वित्त वर्ष 2024-25 में कृषि क्षेत्र में 3.8% की वृद्धि का अनुमान है।
- औद्योगिक और सेवा क्षेत्र: औद्योगिक क्षेत्र में 6.2% और सेवा क्षेत्र में 7.2% की मजबूत वृद्धि का अनुमान है।
प्रमुख विषय और सिफारिशें
- विनियमन में कमी (Deregulation): सर्वेक्षण ने ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस 2.0’ के तहत आर्थिक विकास को गति देने के लिए व्यवस्थित विनियमन में कमी पर जोर दिया।
- विकसित भारत @ 2047: इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लगभग 8% की औसत वृद्धि दर की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया।
- बुनियादी ढांचे में निवेश: उच्च विकास को बनाए रखने के लिए बुनियादी ढांचे में निरंतर निवेश की आवश्यकता पर बल दिया गया।
आर्थिक सर्वेक्षण का महत्व
- नीति निर्माण के लिए आधार: यह सरकार को पिछले वर्ष के आर्थिक प्रदर्शन के आधार पर बजट और भविष्य की नीतियों को तैयार करने के लिए एक विश्लेषणात्मक आधार प्रदान करता है।
- आर्थिक स्वास्थ्य का संकेतक: यह GDP, मुद्रास्फीति, विदेशी मुद्रा भंडार और अन्य प्रमुख संकेतकों पर विस्तृत डेटा प्रदान करता है, जो अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य का आकलन करने में मदद करता है।
- शैक्षणिक और अनुसंधान मूल्य: यह छात्रों, अर्थशास्त्रियों और शोधकर्ताओं के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था पर डेटा और विश्लेषण का एक विश्वसनीय स्रोत है।
अभ्यास प्रश्न (MCQs)
1. भारत का पहला आर्थिक सर्वेक्षण किस वर्ष प्रस्तुत किया गया था?
2. आर्थिक सर्वेक्षण किसके मार्गदर्शन में तैयार किया जाता है?
3. किस वर्ष से आर्थिक सर्वेक्षण को केंद्रीय बजट से अलग प्रस्तुत किया जाने लगा?
4. निम्नलिखित में से कौन सा कथन आर्थिक सर्वेक्षण के बारे में सही है?
5. आर्थिक सर्वेक्षण आमतौर पर संसद में कब पेश किया जाता है?
मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1: आर्थिक सर्वेक्षण और केंद्रीय बजट के बीच संबंध और अंतरों पर चर्चा करें। एक प्रभावी बजट तैयार करने में आर्थिक सर्वेक्षण की भूमिका का मूल्यांकन करें। (250 शब्द)