परिचय:
विदेशी व्यापार (Foreign Trade) किसी देश की अर्थव्यवस्था को वैश्विक बाजारों से जोड़ता है। आयात (Import) और निर्यात (Export) के माध्यम से देश अपने उत्पादन को विदेशों में बेचता है और विदेशों से आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं को खरीदता है। विदेशी व्यापार नीति, सीमा शुल्क (Tariffs), आयात-निर्यात कर जैसे उपकरण व्यापार की दिशा और मात्रा को प्रभावित करते हैं। यह आर्थिक विकास, रोजगार सृजन, तकनीकी हस्तांतरण, एवं मुद्रा भंडार बढ़ाने का महत्वपूर्ण माध्यम है।
आयात और निर्यात (Import and Export)
- आयात (Import):
- विदेशों से माल एवं सेवाओं की खरीद।
- उद्देश्य: घरेलू उपलब्धता में कमी, बेहतर गुणवत्ता, सस्ती कीमत या अत्याधुनिक तकनीक वाली वस्तुओं का प्राप्त करना।
- उदाहरण: कच्चा तेल, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, मशीनरी, रसायन, उर्वरक।
- निर्यात (Export):
- घरेलू स्तर पर उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं की विदेशों को बिक्री।
- उद्देश्य: विदेशी मुद्रा अर्जित करना, उत्पादन क्षमता का सदुपयोग, बाजार विस्तार।
- उदाहरण: वस्त्र, जेम्स एंड ज्वेलरी, आईटी सेवाएँ, चाय, कॉफी, मसाले, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, औषधियाँ (फार्मास्यूटिकल्स)।
- आँकड़े (Data):
- भारत के निर्यात में आईटी/आईटीईएस सेवाओं, फार्मा उत्पादों, कपड़ा, जेम्स-आभूषण और पेट्रोकेमिकल्स का महत्वपूर्ण योगदान।
- आयात में प्रमुख वस्तुएँ: कच्चा तेल, इलेक्ट्रॉनिक सामान, सोना।
व्यापार घाटा और व्यापार संतुलन (Trade Deficit and Trade Balance)
- व्यापार संतुलन (Trade Balance):
- निर्यात मूल्य और आयात मूल्य का अंतर।
- यदि निर्यात > आयात: व्यापार अधिशेष (Trade Surplus)
- यदि आयात > निर्यात: व्यापार घाटा (Trade Deficit)
- व्यापार घाटा (Trade Deficit):
- देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव, भुगतान संतुलन (Balance of Payments) में समस्याएँ।
- आयात की अधिकता पूँजी के बहिर्वाह का संकेत, लंबी अवधि में मुद्रा मूल्य पर प्रभाव।
- भारत में प्रवृत्ति:
- प्रायः भारत को ऊर्जा, मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के आयात के कारण व्यापार घाटे का सामना करना पड़ता है।
- निर्यात संवर्धन और आयात प्रतिस्थापन नीतियों के माध्यम से व्यापार संतुलन में सुधार करने के प्रयास।
सीमा कर (Tariffs)
- परिभाषा:
- सीमा कर (टैरिफ) वह शुल्क है जो किसी देश द्वारा आयातित वस्तुओं पर लगाया जाता है, ताकि घरेलू उद्योग को सस्ती विदेशी प्रतिस्पर्धा से सुरक्षा और सरकार को राजस्व प्राप्त हो।
- यह विदेशी वस्तुओं की कीमत बढ़ाता है, जिससे घरेलू उत्पाद अपेक्षाकृत सस्ते लग सकते हैं।
- प्रभाव:
- घरेलू उत्पादकों को संरक्षण, पर उपभोक्ताओं के लिए कीमतों में वृद्धि।
- अंतरराष्ट्रीय व्यापार साझेदारों के साथ विवाद और प्रतिरोधात्मक शुल्क लगाने की संभावनाएँ।
आयात कर, निर्यात कर, पारगमन कर (Import Duty, Export Duty, Transit Duty)
- आयात कर (Import Duty):
- आयातित वस्तुओं पर लगाया जाने वाला कर।
- उद्देश्य: विदेशी वस्तुओं को महँगा कर घरेलू उद्योग की रक्षा, राजस्व प्राप्ति।
- निर्यात कर (Export Duty):
- कुछ संवेदनशील या कम आपूर्ति वाली वस्तुओं पर निर्यात कर लगा दिया जाता है, ताकि घरेलू बाजार में पर्याप्त उपलब्धता बनी रहे और अनियंत्रित निर्यात से मूल्य न बढ़े।
- भारत में निर्यात कर प्रायः कम उपयोग में, पर कच्चे माल (जैसे लौह अयस्क) पर कभी-कभी लगाया जाता है।
- पारगमन कर (Transit Duty):
- देश से होकर गुजरने वाली (ट्रांज़िट) विदेशी वस्तुओं पर लगाया जाने वाला कर।
- कम उपयोग में, अक्सर अंतरराष्ट्रीय समझौतों के तहत ट्रांज़िट वस्तुओं पर छूट।
विदेशी व्यापार नीति (Foreign Trade Policy)
- परिचय:
- सरकार द्वारा घोषित दिशानिर्देश, नियम और प्रोत्साहन उपाय जो निर्यात संवर्धन, आयात प्रबंधन और समग्र व्यापार दृष्टिकोण को तय करते हैं।
- हर पाँच वर्ष में विदेश व्यापार नीति (FTP) की घोषणा, बीच-बीच में संशोधन।
- उद्देश्य:
- निर्यात बढ़ाना, व्यापार असंतुलन कम करना, विदेशी मुद्रा अर्जित करना।
- रोजगार सृजन, तकनीकी उन्नयन, वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं से जुड़ाव।
- विश्व व्यापार संगठन (WTO) नियमों के अनुरूप रहकर व्यापार संबंधों को मजबूत करना।
- प्रोत्साहन योजनाएँ:
- निर्यात प्रोत्साहन पूंजीगत सामान योजना (EPCG), एमईआईएस (Merchandise Exports from India Scheme), एसईआईएस (Service Exports from India Scheme) इत्यादि।
- निर्यातकों के लिए टैक्स रिफंड, कम ब्याज दर ऋण, गुणवत्ता सुधार प्रशिक्षण।
- नवीन रुझान:
- “मेक इन इंडिया” के तहत मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाना, “आत्मनिर्भर भारत” के तहत आयात पर निर्भरता कम करने की कोशिश।
- भारत के मुक्त व्यापार समझौते (FTA), क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) जैसे अंतरराष्ट्रीय समझौतों पर ध्यान।
मुख्य सार:
- विदेशी व्यापार अर्थव्यवस्था के विकास, मुद्रा भंडार संवर्धन, रोजगार सृजन और तकनीकी विकास में अहम भूमिका निभाता है।
- आयात, निर्यात, व्यापार संतुलन और सीमा कर नीति निर्माण को प्रभावित करते हैं।
- विदेशी व्यापार नीति के माध्यम से सरकार निर्यात संवर्धन, आयात प्रबंधन, उद्यमिता विकास, एवं वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के उपाय अपनाती है।
- समग्र रूप से सतत और संतुलित व्यापार ढाँचे से ही अर्थव्यवस्था को दीर्घकालीन विकास की राह पर आगे बढ़ाया जा सकता है।