कृषि की विशेषताएँ और महत्व
भारतीय कृषि देश की अर्थव्यवस्था और समाज की रीढ़ है। यह न केवल करोड़ों लोगों को भोजन और आजीविका प्रदान करती है, बल्कि कई उद्योगों के लिए कच्चे माल का स्रोत भी है। इसकी अपनी अनूठी विशेषताएं हैं जो इसके अवसरों और चुनौतियों दोनों को परिभाषित करती हैं।
कृषि की विशेषताएँ (Features of Agriculture)
1. मानसून पर निर्भरता
भारतीय कृषि को अक्सर ‘मानसून का जुआ’ कहा जाता है। देश का लगभग 55% कृषि योग्य क्षेत्र अभी भी सिंचाई के लिए मानसून की वर्षा पर निर्भर है। यह निर्भरता इसे जलवायु परिवर्तन, सूखे और बाढ़ जैसी अनिश्चितताओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बनाती है, जिससे फसल उत्पादन और किसानों की आय में अस्थिरता बनी रहती है।
2. छोटी और सीमांत जोतें
भारत में भूमि का स्वामित्व अत्यधिक खंडित है। कृषि जनगणना 2015-16 के अनुसार, देश में 86% से अधिक जोतें छोटी और सीमांत (2 हेक्टेयर से कम) हैं। इन छोटी जोतों के कारण economies of scale का लाभ नहीं मिल पाता, जिससे आधुनिक तकनीक, मशीनीकरण और वैज्ञानिक कृषि पद्धतियों को अपनाना आर्थिक रूप से अव्यवहार्य हो जाता है।
3. श्रम प्रधान और निम्न उत्पादकता
विकसित देशों के विपरीत, भारतीय कृषि अत्यधिक श्रम प्रधान है। देश की लगभग 45% कार्यशील जनसंख्या अभी भी अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। इसके बावजूद, कृषि उत्पादकता (प्रति हेक्टेयर उपज) चीन और ब्राजील जैसे अन्य प्रमुख कृषि देशों की तुलना में कम है।
4. प्रच्छन्न बेरोजगारी
कृषि क्षेत्र में प्रच्छन्न बेरोजगारी (Disguised Unemployment) की समस्या व्यापक है, जहाँ आवश्यकता से अधिक लोग काम पर लगे होते हैं। यदि कुछ श्रमिकों को कृषि से हटाकर अन्य क्षेत्रों में लगाया जाए, तो भी कुल उत्पादन पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह निम्न आय और गरीबी का एक प्रमुख कारण है।
कृषि का महत्व (Importance of Agriculture)
1. आर्थिक योगदान (Economic Contribution)
हालांकि GVA में कृषि का हिस्सा कम हुआ है, फिर भी यह भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। 2023-24 में, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों का सकल मूल्य वर्धन (GVA) में योगदान लगभग 18% था। यह द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रों के लिए मांग पैदा करके आर्थिक विकास को गति देता है।
2. खाद्य सुरक्षा और पोषण
कृषि 1.4 अरब से अधिक की आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करती है। हरित क्रांति के बाद से, भारत खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया है और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम जैसी योजनाओं के माध्यम से अपने नागरिकों को भोजन उपलब्ध कराता है।
3. रोजगार और आजीविका का स्रोत
यह भारत में रोजगार का सबसे बड़ा एकल स्रोत है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश आबादी को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से आजीविका प्रदान करता है। यह ग्रामीण गरीबी को कम करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
4. उद्योगों के साथ अग्र और पश्च संबंध (Forward and Backward Linkages)
कृषि कई प्रमुख उद्योगों, जैसे कपड़ा, चीनी, और खाद्य प्रसंस्करण, के लिए आवश्यक कच्चा माल प्रदान करती है (Forward Linkage)। साथ ही, यह ट्रैक्टर, उर्वरक और कीटनाशक जैसे उद्योगों के लिए एक बड़ा बाजार भी है (Backward Linkage)।
5. निर्यात में योगदान
भारत चावल, मसाले, समुद्री उत्पाद, मांस और कपास जैसे कृषि उत्पादों का एक प्रमुख निर्यातक है, जो देश के लिए महत्वपूर्ण विदेशी मुद्रा अर्जित करता है और वैश्विक खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।