वित्त आयोग (Finance Commission)
परिचय: वित्त आयोग एक संवैधानिक निकाय है जो भारत में केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संबंधों को परिभाषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका मुख्य कार्य संघ और राज्यों के बीच करों की शुद्ध आय के वितरण पर सिफारिशें देना है। इसे ‘राजकोषीय संघवाद का संतुलन चक्र’ (Balancing Wheel of Fiscal Federalism) कहा जाता है।
- संवैधानिक प्रावधान: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत, भारत के राष्ट्रपति को हर पांच साल में या आवश्यकतानुसार एक वित्त आयोग का गठन करना होता है।
- प्रकृति: यह एक अर्ध-न्यायिक (quasi-judicial) और सलाहकार निकाय है। इसकी सिफारिशें सरकार पर बाध्यकारी नहीं होती हैं, लेकिन परंपरागत रूप से इन्हें स्वीकार किया जाता है।
वित्त आयोग का इतिहास
भारत में अब तक 16 वित्त आयोगों का गठन किया जा चुका है।
- प्रथम वित्त आयोग (1951): इसकी स्थापना 1951 में की गई थी और इसके अध्यक्ष के.सी. नियोगी थे। इसने 1952-57 की अवधि के लिए अपनी सिफारिशें दीं।
वित्त आयोग की संरचना
वित्त आयोग में एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्य होते हैं, जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। संसद ने कानून द्वारा सदस्यों की योग्यताएं निर्धारित की हैं:
- अध्यक्ष: सार्वजनिक मामलों में अनुभव रखने वाला व्यक्ति।
- सदस्य (4):
- उच्च न्यायालय का न्यायाधीश या इस पद के लिए योग्य व्यक्ति।
- भारत के वित्त और खातों का विशेष ज्ञान रखने वाला व्यक्ति।
- वित्तीय मामलों और प्रशासन में व्यापक अनुभव रखने वाला व्यक्ति।
- अर्थशास्त्र का विशेष ज्ञान रखने वाला व्यक्ति।
वित्त आयोग के कार्य
अनुच्छेद 280 के अनुसार, वित्त आयोग राष्ट्रपति को निम्नलिखित मामलों पर सिफारिशें करता है:
- करों का वितरण: संघ और राज्यों के बीच करों की शुद्ध आय का वितरण (ऊर्ध्वाधर हस्तांतरण – Vertical Devolution) और राज्यों के बीच ऐसी आय का आवंटन (क्षैतिज हस्तांतरण – Horizontal Devolution)।
- सहायता अनुदान (Grants-in-Aid): भारत की संचित निधि से राज्यों को दिए जाने वाले सहायता अनुदान को नियंत्रित करने वाले सिद्धांत। ये अनुदान राजस्व घाटा अनुदान, क्षेत्र-विशिष्ट अनुदान या आपदा राहत अनुदान हो सकते हैं।
- पंचायतों और नगर पालिकाओं के लिए संसाधन: राज्य की संचित निधि को बढ़ाने के लिए आवश्यक उपाय ताकि राज्य में पंचायतों और नगर पालिकाओं के संसाधनों की पूर्ति हो सके (राज्य वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर)।
- राष्ट्रपति द्वारा सुदृढ़ वित्त के हित में निर्दिष्ट कोई अन्य मामला।
15वां वित्त आयोग (2021-2026)
अध्यक्ष: एन. के. सिंह
प्रमुख सिफारिशें
- ऊर्ध्वाधर हस्तांतरण: इसने सिफारिश की कि राज्यों का हिस्सा केंद्रीय करों के विभाज्य पूल में 41% होना चाहिए। (14वें वित्त आयोग के 42% से 1% कम, क्योंकि नवगठित केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाएगा)।
- क्षैतिज हस्तांतरण के मानदंड: राज्यों के बीच धन के वितरण के लिए निम्नलिखित मानदंड और भारांक सुझाए गए:
- आय का अंतर (Income Distance): 45%
- जनसंख्या (2011): 15%
- क्षेत्रफल: 15%
- वन और पारिस्थितिकी: 10%
- जनसांख्यिकीय प्रदर्शन: 12.5%
- कर प्रयास: 2.5%
16वां वित्त आयोग (2026-2031)
अध्यक्ष: डॉ. अरविंद पनगढ़िया
इस आयोग का गठन कर दिया गया है और यह 2026-2031 की अवधि के लिए अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगा।
सुधार के लिए सुझाव
- स्थायी सचिवालय: वित्त आयोग को एक स्थायी सचिवालय प्रदान किया जाना चाहिए ताकि यह लगातार काम कर सके और पिछले आयोगों के अनुभव का लाभ उठा सके।
- सिफारिशों को बाध्यकारी बनाना: कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि आयोग की प्रमुख सिफारिशों को सरकार पर अधिक बाध्यकारी बनाया जाना चाहिए।
- उपकर और अधिभार का मुद्दा: केंद्र द्वारा लगाए गए उपकर (Cess) और अधिभार (Surcharge) विभाज्य पूल का हिस्सा नहीं होते हैं, जिससे राज्यों को राजस्व का नुकसान होता है। इस मुद्दे का समाधान करने की आवश्यकता है।