1. परिभाषा (Definition of Finance Commission)
वित्त आयोग (Finance Commission) भारत का एक संवैधानिक निकाय है, जो केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों के वितरण के सिद्धांतों का निर्धारण करता है। यह राजस्व के न्यायसंगत वितरण, करों के बँटवारे, और वित्तीय मामलों में पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है।
- संविधान के अनुच्छेद (Article): अनुच्छेद 280।
- स्थापना (Established): 1951।
- पहले अध्यक्ष (First Chairman): के.सी. नियोगी (K.C. Neogy)।
- अवधि (Term): प्रत्येक 5 वर्ष में एक नया वित्त आयोग गठित किया जाता है।
- वर्तमान वित्त आयोग (Current Finance Commission): 15वां वित्त आयोग (2021-26), अध्यक्ष एन.के. सिंह (N.K. Singh)।
तथ्य: वित्त आयोग को “संविधान का वित्तीय प्रहरी (Fiscal Watchdog of the Constitution)” कहा जाता है।
2. इतिहास (History of Finance Commission)
- पहला वित्त आयोग (1951):
- अध्यक्ष: के.सी. नियोगी।
- उद्देश्य: करों के राजस्व का केंद्र और राज्यों के बीच बँटवारा।
- 12वां वित्त आयोग (2005-2010):
- अध्यक्ष: सी. रंगराजन।
- करों के बँटवारे में राज्यों का हिस्सा 30.5% किया गया।
- 14वां वित्त आयोग (2015-2020):
- अध्यक्ष: वाई.वी. रेड्डी (Y.V. Reddy)।
- राज्यों का हिस्सा बढ़ाकर 42% कर दिया गया।
- 15वां वित्त आयोग (2021-2026):
- अध्यक्ष: एन.के. सिंह (N.K. Singh)।
- करों में राज्यों का हिस्सा: 41%।
- COVID-19 महामारी के प्रभाव का आकलन।
तथ्य: वित्त आयोग की सिफारिशें बाध्यकारी (Binding) नहीं होतीं, लेकिन इन्हें वित्तीय नीति निर्माण में अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
3. संरचना (Structure of Finance Commission)
- अध्यक्ष (Chairman):
- वित्तीय मामलों, अर्थशास्त्र, प्रशासन में विशेष अनुभव।
- सदस्य (Members):
- चार सदस्य (अनुभवी अर्थशास्त्री, वित्तीय विशेषज्ञ, सार्वजनिक प्रशासन विशेषज्ञ)।
- सचिवालय (Secretariat):
- आयोग का प्रशासनिक ढाँचा।
4. वित्त आयोग के कार्य (Functions of Finance Commission)
- करों का वितरण (Distribution of Taxes):
- केंद्र और राज्यों के बीच कर राजस्व का बँटवारा।
- राज्यों के बीच करों के बँटवारे का अनुपात निर्धारित करना।
- राज्यों को अनुदान (Grants-in-Aid to States):
- राज्यों की विशेष आवश्यकताओं के अनुसार अनुदान (Grants) की सिफारिश।
- कमजोर और पिछड़े राज्यों को विशेष सहायता।
- वित्तीय संसाधनों का आकलन (Assessment of Financial Resources):
- केंद्र और राज्यों की वित्तीय स्थिति का मूल्यांकन।
- नियोजन आयोग और नीति आयोग (Planning Commission and NITI Aayog):
- विकास योजनाओं के लिए वित्तीय सहायता की सिफारिश।
- केंद्र-राज्य वित्तीय संबंध (Centre-State Financial Relations):
- वित्तीय संबंधों को मजबूत करने की सिफारिश।
- अन्य संदर्भित कार्य (Other Functions as Referred by President):
- राष्ट्रपति द्वारा सौंपे गए किसी अन्य वित्तीय मुद्दे पर सिफारिशें देना।
5. वित्त आयोग की सिफारिशें (Recommendations of Finance Commission)
5.1 कर राजस्व का बँटवारा (Tax Revenue Distribution)
- 14वें वित्त आयोग: राज्यों को कर राजस्व का 42% हिस्सा।
- 15वें वित्त आयोग: राज्यों का हिस्सा 41% (जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के कारण कमी)।
5.2 अनुदान (Grants-in-Aid)
- राज्यों को स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढाँचे में सुधार के लिए अनुदान।
- 15वां वित्त आयोग: स्वास्थ्य क्षेत्र में ₹13,192 करोड़ का अनुदान।
5.3 वित्तीय अनुशासन (Fiscal Discipline)
- राज्यों को वित्तीय घाटे (Fiscal Deficit) को नियंत्रित करने की सिफारिश।
- राज्यों को FRBM अधिनियम (Fiscal Responsibility and Budget Management Act) का पालन करना आवश्यक।
5.4 विशेष सहायता (Special Assistance to States)
- पिछड़े राज्यों (जैसे: बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश) को विशेष सहायता।
- प्राकृतिक आपदा प्रभावित राज्यों के लिए राहत।
5.5 स्थानीय निकायों को सहायता (Support to Local Bodies)
- पंचायतों और शहरी स्थानीय निकायों (Urban Local Bodies) को वित्तीय सहायता।
- 15वां वित्त आयोग: ₹4.36 लाख करोड़ की सिफारिश।
6. वित्त आयोग की चुनौतियाँ (Challenges of Finance Commission)
- राज्यों की वित्तीय निर्भरता (Financial Dependency of States):
- केंद्र पर अत्यधिक निर्भरता।
- राज्यों की क्षमताओं में असमानता (Inequality Among States):
- कुछ राज्यों की वित्तीय क्षमता अधिक, जबकि कुछ बहुत कमजोर।
- केंद्र-राज्य विवाद (Centre-State Conflicts):
- करों के बँटवारे में असहमति।
- अन्य एजेंसियों का हस्तक्षेप (Intervention of Other Agencies):
- नीति आयोग और अन्य वित्तीय संस्थानों का समानांतर काम।
7. सुधार के सुझाव (Suggestions for Improvement)
- पारदर्शिता (Transparency):
- सिफारिशों के कार्यान्वयन में पारदर्शिता।
- सहयोग (Cooperation):
- केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय सहयोग को बढ़ावा।
- लंबी अवधि की योजना (Long-Term Planning):
- दीर्घकालिक वित्तीय योजनाएँ।
- स्थानीय निकायों को सशक्त बनाना (Empowering Local Bodies):
- पंचायतों और शहरी निकायों को अधिक वित्तीय स्वायत्तता।
8. निष्कर्ष (Conclusion)
वित्त आयोग (Finance Commission) भारत में सहकारी संघवाद (Cooperative Federalism) का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। यह न केवल केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों के न्यायसंगत वितरण को सुनिश्चित करता है, बल्कि वित्तीय अनुशासन को भी प्रोत्साहित करता है।
वर्तमान समय में, वित्त आयोग को तेजी से बदलती वैश्विक अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप अपनी सिफारिशों को अधिक प्रभावी और व्यावहारिक बनाना आवश्यक है। इसके माध्यम से भारत सतत और समावेशी विकास (Sustainable and Inclusive Growth) की दिशा में कदम बढ़ा सकता है।