विदेशी निवेश और विनिवेश
विदेशी निवेश और विनिवेश भारत की आर्थिक रणनीति के दो महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। जहाँ विदेशी निवेश देश में पूंजी, प्रौद्योगिकी और रोजगार लाता है, वहीं विनिवेश सरकार को राजस्व जुटाने और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) की दक्षता में सुधार करने में मदद करता है।
1. विदेशी निवेश (Foreign Investment)
परिभाषा: विदेशी निवेश का अर्थ है किसी विदेशी व्यक्ति, कंपनी, या सरकार द्वारा किसी अन्य देश में व्यापार, उद्योग, या परिसंपत्तियों में धन का निवेश करना।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment – FDI)
यह किसी विदेशी निवेशक द्वारा किसी भारतीय कंपनी में किया गया दीर्घकालिक और स्थायी निवेश है। इसमें निवेशक को आमतौर पर प्रबंधन में भी भागीदारी मिलती है। यह देश में नई तकनीक, कौशल और पूंजी लाता है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (Foreign Portfolio Investment – FPI)
यह विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय वित्तीय बाजारों (जैसे शेयर बाजार, बॉन्ड) में किया जाने वाला अल्पकालिक निवेश है। यह FDI की तुलना में अधिक अस्थिर होता है।
2. विनिवेश (Disinvestment)
परिभाषा: विनिवेश वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) में अपनी हिस्सेदारी को बेचती है।
विनिवेश के प्रकार
- आंशिक विनिवेश: सरकार अपनी हिस्सेदारी का कुछ हिस्सा बेचती है, लेकिन स्वामित्व अपने पास रखती है। उदाहरण: LIC का IPO।
- रणनीतिक विनिवेश: सरकार अपनी 51% से अधिक हिस्सेदारी एक निजी इकाई को बेचती है, जिससे प्रबंधन का नियंत्रण भी स्थानांतरित हो जाता है। उदाहरण: एयर इंडिया का टाटा समूह को हस्तांतरण।
विनिवेश के उद्देश्य
- राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए राजस्व जुटाना।
- PSUs की दक्षता और व्यावसायिकता में सुधार करना।
- सार्वजनिक वित्त को सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं पर केंद्रित करना।
3. विभिन्न क्षेत्रों में एफडीआई की सीमा
| क्षेत्र | FDI सीमा (%) | मार्ग (Route) |
|---|---|---|
| बीमा | 100% (शर्तों के साथ) | स्वचालित |
| पेंशन | 74% | स्वचालित |
| सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक | 20% | सरकारी |
| सिंगल-ब्रांड रिटेल | 100% | स्वचालित |
| मल्टी-ब्रांड रिटेल | 51% | सरकारी |
| रक्षा | 74% (स्वचालित), 100% (सरकारी) | मिश्रित |