विदेशी व्यापार नीति (Foreign Trade Policy)
परिभाषा: विदेशी व्यापार नीति (FTP) सरकार द्वारा आयात और निर्यात को विनियमित और बढ़ावा देने के लिए बनाए गए दिशानिर्देशों और प्रोत्साहनों का एक समूह है। इसका मुख्य उद्देश्य देश के आर्थिक विकास को गति देना, विदेशी मुद्रा अर्जित करना और वैश्विक बाजार में देश की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना है।
भारत की विदेशी व्यापार नीति का इतिहास
स्वतंत्रता के बाद, भारत की व्यापार नीति मुख्य रूप से आयात प्रतिस्थापन पर केंद्रित थी। हालांकि, 1991 के आर्थिक सुधारों के बाद, नीति का ध्यान निर्यात संवर्धन की ओर स्थानांतरित हो गया। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय हर पांच साल के लिए एक नई FTP की घोषणा करता है।
विदेशी व्यापार नीति 2023-2028
1 अप्रैल 2023 को घोषित, इस नई नीति का लक्ष्य 2030 तक भारत के निर्यात को 2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाना है। यह नीति पिछले प्रोत्साहनों से हटकर एक नई दृष्टि प्रस्तुत करती है।
मुख्य बिंदु
- प्रोत्साहन से छूट आधारित व्यवस्था की ओर बढ़ना: यह नीति सब्सिडी या प्रोत्साहन देने के बजाय प्रक्रियाओं को सरल बनाने, प्रौद्योगिकी और ई-पहल पर जोर देती है।
- निर्यात उत्कृष्टता वाले शहर (Towns of Export Excellence – TEE): फरीदाबाद, मुरादाबाद, मिर्जापुर और वाराणसी जैसे चार नए शहरों को इस योजना में जोड़ा गया है।
- व्यापार करने में आसानी (Ease of Doing Business): प्रक्रियाओं का स्वचालन और आवेदन शुल्क को कम करके निर्यातकों के लिए लागत कम करना।
- ई-कॉमर्स निर्यात को बढ़ावा: ई-कॉमर्स निर्यात के लिए प्रति खेप मूल्य सीमा को ₹5 लाख से बढ़ाकर ₹10 लाख कर दिया गया है।
विदेशी व्यापार नीति के उद्देश्य
- वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात को बढ़ाना।
- विदेशी मुद्रा भंडार को स्थिर रखना।
- व्यापार घाटे को कम करना।
- ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ को सशक्त बनाना।
- वैश्विक मूल्य श्रृंखला (Global Value Chains) में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाना।
विदेशी व्यापार नीति के उपकरण
- निर्यात संवर्धन योजनाएं: जैसे निर्यातित उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट (RoDTEP) योजना, जो MEIS जैसी पिछली योजनाओं की जगह लेती है।
- आयात शुल्क (टैरिफ): गैर-आवश्यक आयातों को हतोत्साहित करने और घरेलू उद्योगों को बचाने के लिए।
- विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZs): निर्यात-उन्मुख उत्पादन के लिए शुल्क-मुक्त परिक्षेत्र।