1.1 परिभाषा (Definition)
विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) का अर्थ है किसी देश के केंद्रीय बैंक (भारत में RBI) के पास रखे गए विदेशी मुद्राओं, स्वर्ण भंडार (Gold Reserves), विशेष आहरण अधिकार (SDR – Special Drawing Rights), और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में आरक्षित भंडार का संग्रह।
- यह किसी देश की अंतरराष्ट्रीय वित्तीय स्थिरता का प्रमुख संकेतक है।
- प्रमुख घटक (Key Components):
- विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (Foreign Currency Assets – FCA)
- स्वर्ण भंडार (Gold Reserves)
- विशेष आहरण अधिकार (SDR – Special Drawing Rights)
- IMF में आरक्षित स्थिति (Reserve Tranche Position with IMF)
तथ्य: 2023 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग $600 बिलियन था।
1.2 विदेशी मुद्रा भंडार के उद्देश्य (Objectives of Forex Reserves)
- आयात आवश्यकताओं की पूर्ति (Meeting Import Requirements):
- आयातित वस्तुओं और सेवाओं के भुगतान के लिए।
- मुद्रा विनिमय दर स्थिरता (Stabilizing Exchange Rate):
- रुपये की कीमत में अस्थिरता को नियंत्रित करना।
- वैश्विक वित्तीय संकट से सुरक्षा (Protection from Financial Crisis):
- आपातकालीन स्थितियों में वित्तीय स्थिरता बनाए रखना।
- विदेशी निवेशकों का विश्वास (Investor Confidence):
- विदेशी निवेशकों के लिए स्थिर आर्थिक माहौल।
1.3 भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (India’s Forex Reserves)
घटक (Component) | मूल्य (2023) | प्रतिशत योगदान (%) |
---|---|---|
विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (FCA) | $530 बिलियन | 88% |
स्वर्ण भंडार (Gold Reserves) | $42 बिलियन | 7% |
विशेष आहरण अधिकार (SDR) | $18 बिलियन | 3% |
IMF आरक्षित स्थिति (Reserve Position with IMF) | $5 बिलियन | 2% |
1.4 विदेशी मुद्रा भंडार का महत्त्व (Importance of Forex Reserves)
- आर्थिक स्थिरता (Economic Stability): वैश्विक वित्तीय अस्थिरता के प्रभाव को कम करना।
- ऋण दायित्वों का भुगतान (Debt Obligations): विदेशी ऋण का समय पर भुगतान।
- आयात सुरक्षा (Import Cover): आयातित वस्तुओं के लिए सुरक्षित वित्त।
- निवेशक विश्वास (Investor Confidence): विदेशी निवेशकों को आकर्षित करना।
1.5 विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि के उपाय (Measures to Increase Forex Reserves)
- निर्यात को बढ़ावा (Boosting Exports): उच्च मूल्य के उत्पादों और सेवाओं का निर्यात।
- FDI और FPI को प्रोत्साहन (Encouraging FDI and FPI): विदेशी निवेश को आकर्षित करना।
- सॉवरेन बॉन्ड (Sovereign Bonds): विदेशी बाजार में बॉन्ड जारी करना।
- रुपये का स्थिरीकरण (Stabilizing the Rupee): रुपये की विनिमय दर में स्थिरता बनाए रखना।
2. यूरो इश्यू (Euro Issue)
2.1 परिभाषा (Definition)
यूरो इश्यू (Euro Issue) का अर्थ है किसी देश की कंपनी या सरकार द्वारा विदेशी मुद्रा में बॉन्ड या शेयर जारी करना, जो उस देश की सीमा के बाहर, विदेशी वित्तीय बाजारों में सूचीबद्ध होते हैं।
- प्रमुख उपकरण (Major Instruments):
- ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट (GDR)
- अमेरिकन डिपॉजिटरी रिसीट (ADR)
- विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉन्ड (FCCB)
उदाहरण:
- इन्फोसिस ने लंदन स्टॉक एक्सचेंज में GDR जारी किए।
- टाटा मोटर्स ने न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में ADR जारी किए।
2.2 यूरो इश्यू के प्रकार (Types of Euro Issues)
- ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट (GDR)
- विदेशी निवेशकों को शेयर खरीदने की अनुमति।
- अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सूचीबद्ध।
- अमेरिकन डिपॉजिटरी रिसीट (ADR)
- अमेरिकी बाजारों में सूचीबद्ध।
- अमेरिकी निवेशकों को शेयर खरीदने का अवसर।
- विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉन्ड (FCCB)
- बॉन्ड, जिन्हें बाद में शेयरों में बदला जा सकता है।
- कम ब्याज दर पर जारी।
2.3 यूरो इश्यू का महत्त्व (Importance of Euro Issue)
- विदेशी पूँजी प्रवाह (Foreign Capital Inflow): पूँजी की उपलब्धता।
- वैश्विक पहचान (Global Recognition): अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के बीच कंपनी की साख।
- कम ब्याज दर (Lower Interest Rates): अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कम लागत पर पूँजी जुटाना।
- मुद्रा विविधता (Currency Diversification): डॉलर, यूरो जैसी मुद्राओं में पूँजी जुटाना।
2.4 यूरो इश्यू के लाभ (Benefits of Euro Issue)
- कम वित्तीय लागत (Lower Financial Costs): घरेलू ऋण की तुलना में सस्ता।
- निवेशकों का विश्वास (Investor Confidence): अंतरराष्ट्रीय बाजार में साख।
- मुद्रा विविधता (Currency Diversification): डॉलर और यूरो जैसी मुद्राओं में जोखिम कम।
2.5 यूरो इश्यू की चुनौतियाँ (Challenges of Euro Issue)
- मुद्रा अस्थिरता (Currency Fluctuations): विनिमय दर जोखिम।
- नियामक बाधाएँ (Regulatory Barriers): विदेशी बाजारों के कानून।
- उच्च प्रतिस्पर्धा (High Competition): वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धा।
3. विदेशी मुद्रा भंडार और यूरो इश्यू का संबंध (Relationship between Forex Reserves and Euro Issue)
- विदेशी मुद्रा प्रवाह (Forex Inflows): यूरो इश्यू के माध्यम से विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि होती है।
- आर्थिक स्थिरता (Economic Stability): यूरो इश्यू से प्राप्त पूँजी का उपयोग भुगतान संतुलन में सुधार के लिए किया जा सकता है।
- रुपये का स्थिरीकरण (Rupee Stabilization): विदेशी मुद्रा भंडार रुपये की कीमत को स्थिर रखता है।
विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) और यूरो इश्यू (Euro Issue) किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विदेशी मुद्रा भंडार अंतरराष्ट्रीय व्यापार और वित्तीय स्थिरता के लिए आवश्यक है, जबकि यूरो इश्यू कंपनियों को वैश्विक पूँजी बाजारों से फंड जुटाने का अवसर प्रदान करता है। दोनों तत्व भारत की आर्थिक स्थिरता और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।