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विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) और यूरो इश्यू (Euro Issue)

विदेशी मुद्रा भंडार और यूरो इश्यू

किसी देश की बाहरी वित्तीय मजबूती का आकलन उसके विदेशी मुद्रा भंडार और अंतरराष्ट्रीय बाजारों से पूंजी जुटाने की उसकी क्षमता से किया जाता है। ये दोनों कारक देश की आर्थिक स्थिरता और वैश्विक निवेशकों के विश्वास को दर्शाते हैं।

1. विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves)

परिभाषा: विदेशी मुद्रा भंडार किसी देश के केंद्रीय बैंक (भारत में RBI) द्वारा विदेशी मुद्राओं में रखी गई संपत्ति है। यह देश की अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय स्थिरता का एक प्रमुख संकेतक है।

प्रमुख घटक

  • विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (Foreign Currency Assets – FCA): यह सबसे बड़ा घटक है, जिसमें अमेरिकी डॉलर, यूरो, पाउंड स्टर्लिंग और येन जैसी प्रमुख मुद्राएं शामिल हैं।
  • स्वर्ण भंडार (Gold Reserves): RBI द्वारा रखा गया सोना।
  • विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights – SDR): यह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा बनाई गई एक अंतरराष्ट्रीय आरक्षित संपत्ति है।
  • IMF में आरक्षित स्थिति (Reserve Tranche Position): IMF में किसी भी सदस्य देश द्वारा किया गया योगदान।

विदेशी मुद्रा भंडार का महत्त्व

  • आयात कवर: यह देश को उसके आयात बिल का भुगतान करने की क्षमता प्रदान करता है। एक स्वस्थ भंडार कई महीनों के आयात को कवर कर सकता है।
  • विनिमय दर स्थिरता: RBI रुपये में अत्यधिक अस्थिरता को रोकने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करने हेतु इस भंडार का उपयोग कर सकता है।
  • निवेशक विश्वास: एक मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार वैश्विक निवेशकों को देश की आर्थिक स्थिरता के बारे में आश्वस्त करता है।

2. यूरो इश्यू (Euro Issue)

परिभाषा: यूरो इश्यू भारतीय कंपनियों द्वारा अंतरराष्ट्रीय बाजारों से विदेशी मुद्रा में पूंजी जुटाने के लिए जारी किए गए वित्तीय साधनों को संदर्भित करता है।

प्रमुख उपकरण

  • ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट (GDR): यह एक परक्राम्य लिखत है जो विदेशी डिपॉजिटरी बैंक द्वारा जारी किया जाता है। यह भारतीय कंपनी के शेयरों का प्रतिनिधित्व करता है और लंदन या लक्ज़मबर्ग जैसे यूरोपीय स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध होता है।
  • अमेरिकन डिपॉजिटरी रिसीट (ADR): यह GDR के समान है, लेकिन यह विशेष रूप से अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंजों (जैसे NYSE, NASDAQ) में सूचीबद्ध होता है और अमेरिकी निवेशकों को लक्षित करता है।
  • विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉन्ड (FCCB): ये विदेशी मुद्रा में जारी किए गए बॉन्ड हैं जिन्हें एक निश्चित अवधि के बाद जारीकर्ता कंपनी के इक्विटी शेयरों में परिवर्तित किया जा सकता है।

यूरो इश्यू का महत्त्व

  • पूंजी तक पहुंच: यह भारतीय कंपनियों को वैश्विक पूंजी बाजारों तक पहुंच प्रदान करता है।
  • कम लागत पर पूंजी: अक्सर, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में घरेलू बाजारों की तुलना में कम ब्याज दरों पर पूंजी उपलब्ध होती है।
  • वैश्विक पहचान: ADR/GDR जारी करने से कंपनी की वैश्विक दृश्यता और प्रतिष्ठा बढ़ती है।

अभ्यास प्रश्न (MCQs)

1. निम्नलिखित में से कौन सा भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक है?
  • (a) स्वर्ण भंडार
  • (b) विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (FCA)
  • (c) विशेष आहरण अधिकार (SDR)
  • (d) IMF में आरक्षित स्थिति
2. अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध डिपॉजिटरी रिसीट को क्या कहा जाता है?
  • (a) GDR
  • (b) ADR
  • (c) FCCB
  • (d) IDR
3. ‘विशेष आहरण अधिकार’ (SDR) किसके द्वारा बनाया गया है?
  • (a) विश्व बैंक
  • (b) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)
  • (c) विश्व व्यापार संगठन (WTO)
  • (d) भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)
4. विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉन्ड (FCCB) की मुख्य विशेषता क्या है?
  • (a) इन पर कोई ब्याज नहीं मिलता है।
  • (b) इन्हें भविष्य में कंपनी के शेयरों में बदला जा सकता है।
  • (c) ये केवल अमेरिकी बाजारों में जारी किए जा सकते हैं।
  • (d) ये एक अल्पकालिक ऋण साधन हैं।
5. RBI विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग क्यों करता है?
  • (a) सरकारी घाटे को वित्तपोषित करने के लिए।
  • (b) शेयर बाजार में निवेश करने के लिए।
  • (c) रुपये की विनिमय दर को स्थिर करने के लिए।
  • (d) वाणिज्यिक बैंकों को ऋण देने के लिए।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1: भारत की बाहरी स्थिरता के लिए एक मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार के महत्व पर चर्चा करें। हाल के वर्षों में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि के प्रमुख कारणों का विश्लेषण करें। (250 शब्द)
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