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भारतीय कृषि विपणन व्यवस्था (Indian Agricultural Marketing System)

भारतीय कृषि विपणन व्यवस्था

कृषि विपणन में वे सभी गतिविधियाँ, एजेंसियां और नीतियां शामिल हैं जो कृषि उपज को खेत से अंतिम उपभोक्ता तक पहुंचाने में मदद करती हैं। भारत में, यह प्रणाली किसानों को उचित मूल्य सुनिश्चित करने, खाद्य सुरक्षा बनाए रखने और मूल्य स्थिरता प्रदान करने के लिए विभिन्न संस्थागत और नीतिगत उपायों का एक जटिल मिश्रण है।

भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India – FCI)

स्थापना: 1965 में खाद्य निगम अधिनियम, 1964 के तहत।

उद्देश्य: इसका मुख्य उद्देश्य किसानों के हितों की रक्षा के लिए प्रभावी मूल्य समर्थन सुनिश्चित करना, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के लिए पूरे देश में खाद्यान्न का वितरण करना, और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए खाद्यान्न के बफर स्टॉक का संतोषजनक स्तर बनाए रखना है।

कार्यप्रणाली: FCI किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गेहूं और चावल की खरीद करने वाली प्रमुख एजेंसी है। यह इन अनाजों का भंडारण और परिवहन करती है ताकि इन्हें PDS के माध्यम से जरूरतमंदों तक पहुंचाया जा सके।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price – MSP)

परिभाषा: MSP वह गारंटीकृत मूल्य है जो सरकार किसानों को उनकी उपज के लिए देती है, चाहे बाजार में कीमतें कितनी भी कम क्यों न हों। यह किसानों के लिए एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है।

निर्धारण: MSP की सिफारिश कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) द्वारा की जाती है और अंतिम निर्णय आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) द्वारा लिया जाता है। CACP विभिन्न कारकों जैसे उत्पादन लागत (A2+FL), मांग-आपूर्ति, और बाजार मूल्य के रुझानों पर विचार करता है।

चुनौतियाँ: MSP का लाभ मुख्य रूप से गेहूं और चावल जैसी फसलों और पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों तक ही सीमित रहा है। कई किसानों के लिए MSP पर अपनी उपज बेचना अभी भी एक चुनौती है।

सहकारी विपणन संस्थाएं

नैफेड (NAFED – National Agricultural Cooperative Marketing Federation of India)

स्थापना: 1958। यह भारत में कृषि उपज के लिए विपणन सहकारी समितियों की एक शीर्ष संस्था है। इसका मुख्य कार्य मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत सरकार की ओर से दलहन और तिलहन की खरीद करना है।

ट्राईफेड (TRIFED – Tribal Cooperative Marketing Development Federation of India)

स्थापना: 1987। इसका मुख्य उद्देश्य देश के आदिवासी समुदायों का सामाजिक-आर्थिक विकास करना है। यह लघु वनोपज (Minor Forest Produce – MFP) और अधिशेष कृषि उत्पादों के विपणन का प्रबंधन करता है ताकि आदिवासियों को उचित मूल्य मिल सके।

ई-नाम (e-NAM – National Agriculture Market)

शुरुआत: 14 अप्रैल 2016

उद्देश्य: यह एक अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल है जो मौजूदा APMC मंडियों को एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार बनाने के लिए नेटवर्क करता है। इसका लक्ष्य कृषि वस्तुओं के लिए बेहतर मूल्य खोज को सक्षम करना और पारदर्शिता बढ़ाना है।

प्रभाव: e-NAM किसानों को अपनी उपज को देश भर के खरीदारों को बेचने का अवसर प्रदान करता है, जिससे बिचौलियों की भूमिका कम होती है और उन्हें बेहतर रिटर्न मिलता है।

अभ्यास प्रश्न (MCQs)

1. भारतीय खाद्य निगम (FCI) की स्थापना किस वर्ष हुई थी?
  • (a) 1950
  • (b) 1965
  • (c) 1972
  • (d) 1982
2. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की सिफारिश कौन करता है?
  • (a) भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)
  • (b) नीति आयोग
  • (c) कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP)
  • (d) भारतीय खाद्य निगम (FCI)
3. NAFED मुख्य रूप से किन फसलों की खरीद से संबंधित है?
  • (a) गेहूं और चावल
  • (b) दलहन और तिलहन
  • (c) फल और सब्जियां
  • (d) कपास और जूट
4. e-NAM योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
  • (a) किसानों को प्रत्यक्ष आय सहायता प्रदान करना।
  • (b) APMC मंडियों को जोड़कर एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार बनाना।
  • (c) फसल बीमा प्रदान करना।
  • (d) कृषि में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना।
5. TRIFED किस समुदाय के उत्पादों के विपणन से संबंधित है?
  • (a) मछुआरे समुदाय
  • (b) बुनकर समुदाय
  • (c) आदिवासी समुदाय
  • (d) डेयरी किसान

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1: भारतीय कृषि विपणन प्रणाली में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की भूमिका का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। MSP को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए क्या सुधार आवश्यक हैं? (250 शब्द)
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