अवसंरचना विकास (Infrastructure Development)
परिचय: अवसंरचना किसी भी अर्थव्यवस्था की रीढ़ होती है, जिसमें परिवहन, ऊर्जा, दूरसंचार और शहरी विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं। भारत सरकार ने देश के आर्थिक विकास को गति देने, लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए अवसंरचना विकास पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है।
विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zones – SEZs)
उद्देश्य: SEZ विशेष रूप से सीमांकित शुल्क-मुक्त परिक्षेत्र होते हैं जिन्हें व्यापार, संचालन और शुल्कों के लिए विदेशी क्षेत्र माना जाता है। इनका मुख्य उद्देश्य निर्यात को बढ़ावा देना, विदेशी निवेश आकर्षित करना, और रोजगार पैदा करना है।
- कानूनी आधार: भारत में SEZs की स्थापना विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम, 2005 के तहत की जाती है।
- प्रावधान: SEZ में स्थित इकाइयों को आयकर, सीमा शुल्क और अन्य करों में छूट मिलती है। उन्हें एक सरल नियामक वातावरण भी प्रदान किया जाता है।
- प्रभाव: SEZs ने भारत के निर्यात, विशेष रूप से आईटी/आईटीईएस, फार्मा और रत्न-आभूषण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हालांकि, भूमि अधिग्रहण और स्थानीय समुदायों पर प्रभाव को लेकर इनकी आलोचना भी हुई है।
औद्योगिक कॉरिडोर (Industrial Corridors)
उद्देश्य: औद्योगिक कॉरिडोर विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे के साथ एकीकृत औद्योगिक क्षेत्रों का एक नेटवर्क है, जो उत्पादन केंद्रों को बंदरगाहों और बाजारों से जोड़ता है। इसका लक्ष्य विनिर्माण को बढ़ावा देना और लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना है।
प्रमुख औद्योगिक कॉरिडोर
- दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा (DMIC): भारत का सबसे महत्वाकांक्षी गलियारा, जो जापान के सहयोग से विकसित किया जा रहा है।
- चेन्नई-बेंगलुरु औद्योगिक गलियारा (CBIC): दक्षिण भारत में विनिर्माण और आईटी हब को जोड़ने पर केंद्रित।
- समर्पित फ्रेट कॉरिडोर (Dedicated Freight Corridor – DFC): इन गलियारों के साथ-साथ, माल ढुलाई के लिए विशेष रेल लाइनें बनाई जा रही हैं ताकि माल का तेजी से परिवहन हो सके।
राष्ट्रीय निवेश एवं अवसंरचना कोष (NIIF)
शुरुआत: 2015 में स्थापित, NIIF भारत का पहला संप्रभु धन कोष (Sovereign Wealth Fund) है।
उद्देश्य: इसका मुख्य उद्देश्य घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्रोतों से निवेश आकर्षित करके देश में व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य ग्रीनफील्ड, ब्राउनफील्ड और रुकी हुई अवसंरचना परियोजनाओं में निवेश करना है।
कार्यप्रणाली: NIIF तीन फंडों का प्रबंधन करता है: मास्टर फंड (मुख्य अवसंरचना), फंड ऑफ फंड्स (अन्य फंडों में निवेश), और स्ट्रैटेजिक अपॉर्चुनिटीज फंड (विविध निवेश)।