अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund – IMF)
परिचय: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एक वैश्विक संगठन है जो अपने सदस्य देशों के बीच वित्तीय स्थिरता और मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए काम करता है। यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुगम बनाता है, उच्च रोजगार और सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है, और दुनिया भर में गरीबी को कम करने में मदद करता है।
- स्थापना: 1944 में ब्रेटन वुड्स सम्मेलन के परिणामस्वरूप। इसने 1945 में औपचारिक रूप से काम करना शुरू किया।
- मुख्यालय: वाशिंगटन डी.सी., संयुक्त राज्य अमेरिका।
- सदस्य: 190 देश।
IMF के प्रमुख कार्य
1. निगरानी (Surveillance)
IMF सदस्य देशों की आर्थिक और वित्तीय नीतियों पर नजर रखता है और वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक विकास का विश्लेषण करता है। यह देशों को संभावित जोखिमों के बारे में सलाह देता है।
2. वित्तीय सहायता (Financial Assistance)
IMF उन सदस्य देशों को ऋण प्रदान करता है जो भुगतान संतुलन (Balance of Payments) की समस्याओं का सामना कर रहे होते हैं। यह ऋण अक्सर संरचनात्मक सुधारों की शर्तों के साथ दिया जाता है।
3. तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण (Technical Assistance)
IMF सदस्य देशों को उनकी आर्थिक संस्थाओं को मजबूत करने और प्रभावी आर्थिक नीतियां बनाने में मदद करने के लिए तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण प्रदान करता है।
विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights – SDR)
SDR 1969 में IMF द्वारा बनाया गया एक अंतरराष्ट्रीय आरक्षित संपत्ति है। यह कोई मुद्रा नहीं है, बल्कि सदस्य देशों की मुद्राओं पर एक संभावित दावा है। इसका मूल्य पांच प्रमुख मुद्राओं की एक टोकरी (basket) पर आधारित है: अमेरिकी डॉलर, यूरो, चीनी युआन, जापानी येन, और ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग।
प्रमुख रिपोर्टें
IMF नियमित रूप से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण रिपोर्टें प्रकाशित करता है:
- विश्व आर्थिक आउटलुक (World Economic Outlook): यह वैश्विक आर्थिक विकास का विश्लेषण और पूर्वानुमान प्रदान करता है।
- वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (Global Financial Stability Report): यह वैश्विक वित्तीय प्रणाली के स्वास्थ्य और जोखिमों का आकलन करती है।
भारत और IMF
भारत IMF का एक संस्थापक सदस्य है।
- 1991 का संकट: भारत ने 1991 में एक गंभीर भुगतान संतुलन संकट का सामना किया, जिसके बाद उसने IMF से ऋण लिया। इस ऋण के साथ आई शर्तों ने भारत को अपनी अर्थव्यवस्था का उदारीकरण करने के लिए प्रेरित किया, जिसे LPG (उदारीकरण, निजीकरण, वैश्वीकरण) सुधारों के रूप में जाना जाता है।
- वर्तमान संबंध: आज, भारत एक मजबूत अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है और अब IMF से ऋण नहीं लेता है, बल्कि इसके संसाधनों में योगदान देता है।