जेपी नायक समिति (P.J. Nayak Committee)
परिचय: जेपी नायक समिति का गठन भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा 2014 में किया गया था। इस समिति का आधिकारिक नाम ‘भारत में बैंकों के बोर्डों के शासन की समीक्षा के लिए समिति’ था। इसका मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) के शासन (Governance), स्वायत्तता और संचालन को मजबूत करने के लिए सिफारिशें देना था।
मुख्य सिफारिशें (Key Recommendations)
सरकार की हिस्सेदारी कम करना
समिति की सबसे महत्वपूर्ण सिफारिश यह थी कि सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अपनी हिस्सेदारी 50% से कम कर देनी चाहिए। इसका उद्देश्य बैंकों को सरकारी हस्तक्षेप से मुक्त करना और उन्हें अधिक स्वायत्तता प्रदान करना था।
बैंक निवेश कंपनी (Bank Investment Company – BIC) का गठन
समिति ने सुझाव दिया कि सरकार की हिस्सेदारी को एक निष्क्रिय ‘बैंक निवेश कंपनी’ में स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए। BIC बैंकों के लिए एक होल्डिंग कंपनी के रूप में कार्य करेगी और उनके शासन का प्रबंधन करेगी, न कि सरकार सीधे।
बैंक बोर्ड ब्यूरो (Bank Boards Bureau – BBB) की स्थापना
समिति ने PSBs के निदेशकों और अध्यक्षों की नियुक्ति के लिए एक स्वायत्त निकाय के रूप में बैंक बोर्ड ब्यूरो की स्थापना की सिफारिश की। इसका उद्देश्य नियुक्तियों को राजनीतिक प्रभाव से दूर रखना और पेशेवर बनाना था।
शासन में सुधार (Governance Reforms)
- बैंकों के बोर्ड को अधिक अधिकार देना।
- बैंकों को अपने मानव संसाधन और व्यावसायिक रणनीतियों के बारे में निर्णय लेने की स्वतंत्रता देना।
- जोखिम प्रबंधन प्रणालियों को मजबूत करना।
सिफारिशों का परिणाम और कार्यान्वयन
- बैंक बोर्ड ब्यूरो (BBB) की स्थापना: सरकार ने 2016 में जेपी नायक समिति की सिफारिशों के आधार पर BBB का गठन किया। इसका मुख्य कार्य PSBs के वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति की सिफारिश करना और बैंकों के लिए शासन सुधारों पर सलाह देना था।
- FSIB में परिवर्तन: 2022 में, BBB को वित्तीय सेवा संस्थान ब्यूरो (Financial Services Institutions Bureau – FSIB) में बदल दिया गया, जिसका दायरा बैंकों के साथ-साथ बीमा कंपनियों और अन्य वित्तीय संस्थानों तक बढ़ा दिया गया है।
- सरकार की हिस्सेदारी: हालांकि सरकार ने बैंकों का विलय किया है, लेकिन PSBs में अपनी हिस्सेदारी को 50% से कम करने की प्रमुख सिफारिश को अभी तक लागू नहीं किया गया है।