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ऋण (Loans): प्रकार और ब्याज दर निर्धारण प्रणाली

ऋण (Loans)

ऋण की परिभाषा: ऋण एक वित्तीय व्यवस्था है जिसमें एक पक्ष (ऋणदाता, जैसे बैंक) दूसरे पक्ष (ऋणी) को धनराशि उधार देता है, जिसे ऋणी भविष्य में ब्याज सहित चुकाने का वादा करता है।

ऋण के प्रकार

  • व्यक्तिगत ऋण (Personal Loan): व्यक्तिगत जरूरतों (जैसे शादी, चिकित्सा आपातकाल) के लिए दिया जाने वाला असुरक्षित (unsecured) ऋण। इसकी ब्याज दरें आमतौर पर अधिक होती हैं।
  • गृह ऋण (Home Loan): घर खरीदने या बनाने के लिए दिया जाने वाला सुरक्षित (secured) ऋण। इसकी अवधि लंबी (30 वर्ष तक) और ब्याज दरें कम होती हैं।
  • शिक्षा ऋण (Education Loan): उच्च शिक्षा के लिए दिया जाने वाला ऋण। इसमें चुकौती आमतौर पर कोर्स पूरा होने के बाद शुरू होती है।
  • वाहन ऋण (Vehicle Loan): कार या दोपहिया वाहन खरीदने के लिए। वाहन को संपार्श्विक (collateral) के रूप में रखा जाता है।
  • कृषि ऋण (Agricultural Loan): किसानों को खेती की जरूरतों (बीज, उर्वरक, उपकरण) के लिए दिया जाने वाला प्राथमिकता क्षेत्र का ऋण।

भारत में ब्याज दर निर्धारण प्रणाली का विकास

समय के साथ, RBI ने ऋणों पर ब्याज दरों को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए विभिन्न प्रणालियों को लागू किया है।

प्राइम लेंडिंग रेट (PLR) प्रणाली

यह वह ब्याज दर थी जिस पर बैंक अपने सबसे विश्वसनीय ग्राहकों को ऋण देते थे। यह प्रणाली पारदर्शी नहीं थी क्योंकि बैंक अक्सर PLR से भी कम दरों पर ऋण दे देते थे।

बेस रेट (Base Rate) प्रणाली (2010 से)

बेस रेट वह न्यूनतम दर थी जिससे नीचे बैंक किसी को भी ऋण नहीं दे सकते थे (कुछ अपवादों को छोड़कर)। इसने PLR की तुलना में अधिक पारदर्शिता लाई, लेकिन RBI द्वारा रेपो रेट में कटौती का लाभ ग्राहकों तक धीरे-धीरे पहुंचता था।

MCLR प्रणाली (2016 से)

सीमांत लागत पर आधारित उधार दर (Marginal Cost of Funds based Lending Rate – MCLR) प्रणाली को बेस रेट की कमियों को दूर करने के लिए लाया गया। यह बैंकों की धन की सीमांत लागत पर आधारित थी और इसे मासिक रूप से संशोधित किया जाता था, जिससे मौद्रिक नीति का हस्तांतरण बेहतर हुआ।

बाहरी बेंचमार्क उधार दर (EBLR) प्रणाली (2019 से)

External Benchmark Lending Rate (EBLR) वर्तमान प्रणाली है। 1 अक्टूबर 2019 से, RBI ने बैंकों के लिए सभी नए फ्लोटिंग रेट व्यक्तिगत या खुदरा ऋणों को एक बाहरी बेंचमार्क से जोड़ना अनिवार्य कर दिया है।

  • बाहरी बेंचमार्क हो सकते हैं:
    1. RBI का रेपो रेट
    2. भारत सरकार का 3-महीने या 6-महीने का ट्रेजरी बिल यील्ड
    3. कोई अन्य बेंचमार्क जो फाइनेंशियल बेंचमार्क्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (FBIL) द्वारा प्रकाशित हो।
  • लाभ: यह प्रणाली सबसे पारदर्शी है और RBI द्वारा रेपो रेट में किए गए बदलावों का लाभ ग्राहकों तक सबसे तेजी से पहुंचाती है।

अभ्यास प्रश्न (MCQs)

1. वर्तमान में, भारत में नए फ्लोटिंग रेट खुदरा ऋणों के लिए ब्याज दरें किस प्रणाली से जुड़ी हुई हैं?
  • (a) PLR
  • (b) बेस रेट
  • (c) MCLR
  • (d) EBLR
2. RBI द्वारा रेपो रेट में कटौती का लाभ ग्राहकों तक सबसे तेजी से पहुंचाने के लिए कौन सी प्रणाली शुरू की गई थी?
  • (a) PLR
  • (b) बेस रेट
  • (c) MCLR
  • (d) EBLR
3. निम्नलिखित में से कौन सा एक असुरक्षित (unsecured) ऋण का उदाहरण है?
  • (a) गृह ऋण
  • (b) वाहन ऋण
  • (c) व्यक्तिगत ऋण
  • (d) स्वर्ण ऋण
4. MCLR का पूर्ण रूप क्या है?
  • (a) Maximum Cost of Funds based Lending Rate
  • (b) Marginal Cost of Funds based Lending Rate
  • (c) Minimum Cost of Funds based Lending Rate
  • (d) Major Cost of Funds based Lending Rate
5. EBLR प्रणाली के तहत, बैंक अपने ऋणों को निम्नलिखित में से किससे जोड़ सकते हैं?
  • (a) केवल RBI रेपो रेट
  • (b) केवल ट्रेजरी बिल यील्ड
  • (c) केवल MCLR
  • (d) RBI रेपो रेट या ट्रेजरी बिल यील्ड जैसे बाहरी बेंचमार्क

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1: भारत में ऋण ब्याज दर निर्धारण प्रणाली के विकास का पता लगाएं, PLR से लेकर EBLR तक। EBLR प्रणाली को क्यों लागू किया गया और यह पिछली प्रणालियों से कैसे बेहतर है? (250 शब्द)
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