मिशन इंद्रधनुष (Mission Indradhanush)
परिचय: मिशन इंद्रधनुष को अगस्त 2015 में भारत सरकार द्वारा लॉन्च किया गया था। यह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (Public Sector Banks – PSBs) के सामने आने वाली चुनौतियों, विशेष रूप से उच्च NPA और शासन संबंधी मुद्दों, से निपटने के लिए एक व्यापक सुधार कार्यक्रम था। इसका नाम इंद्रधनुष के सात रंगों की तरह सात-आयामी (ABCD EFG) सुधार रणनीति पर आधारित है।
उद्देश्य
- PSBs की बैलेंस शीट को साफ करना और उनकी वित्तीय स्थिति को मजबूत करना।
- बैंकों के शासन (governance) में सुधार करना और उन्हें अधिक स्वायत्त बनाना।
- NPA की समस्या का समाधान करना और ऋण अनुशासन में सुधार करना।
- PSBs को अधिक प्रतिस्पर्धी और कुशल बनाना।
मिशन इंद्रधनुष के सात चरण (Seven Steps)
A – नियुक्ति (Appointments)
इसका उद्देश्य PSBs के शीर्ष प्रबंधन (अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक) की नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी और पेशेवर बनाना था। सरकार ने नियुक्ति प्रक्रिया से राजनीतिक हस्तक्षेप को अलग करने पर जोर दिया।
B – बैंक बोर्ड ब्यूरो (Bank Board Bureau – BBB)
2016 में, पी.जे. नायक समिति की सिफारिशों के आधार पर BBB का गठन किया गया। इसका मुख्य कार्य PSBs के पूर्णकालिक निदेशकों और अध्यक्षों की नियुक्ति के लिए सिफारिशें करना था। इसने बैंकों को पूंजी जुटाने और विलय जैसी रणनीतियों पर भी सलाह दी। (अब इसे FSIB से बदल दिया गया है)।
C – पूंजी पुनर्पूंजीकरण (Capitalization)
PSBs को बेसल-III मानदंडों को पूरा करने और अपनी बैलेंस शीट को मजबूत करने के लिए पर्याप्त पूंजी प्रदान करना। इसके तहत, सरकार ने बैंकों में भारी मात्रा में पूंजी डाली ताकि उनकी ऋण देने की क्षमता बढ़ सके।
D – तनावमुक्त करना (De-stressing)
इसका संबंध NPA की समस्या का समाधान करने से था। इसके तहत ऋण वसूली न्यायाधिकरणों (DRTs) को मजबूत करना, संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (ARCs) को प्रोत्साहित करना और दिवाला और दिवालियापन संहिता (IBC) जैसे कानूनी सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
E – सशक्तिकरण (Empowerment)
बैंकों को अधिक परिचालन स्वायत्तता (operational autonomy) प्रदान करना ताकि वे बिना किसी बाहरी दबाव के व्यावसायिक निर्णय ले सकें। इसमें भर्ती, मानव संसाधन और प्रौद्योगिकी पर निर्णय लेने की स्वतंत्रता शामिल थी।
F – जवाबदेही की रूपरेखा (Framework of Accountability)
बैंकों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए नए प्रमुख प्रदर्शन संकेतक (Key Performance Indicators – KPIs) स्थापित किए गए। इसका उद्देश्य प्रबंधन को उनके प्रदर्शन के लिए अधिक जवाबदेह बनाना था।
G – शासन सुधार (Governance Reforms)
बैंकों के बोर्ड में सुधार करना और शासन प्रथाओं को मजबूत करना। इसके लिए ‘ज्ञान संगम’ जैसे बैंकरों के सम्मेलन आयोजित किए गए ताकि सुधारों पर चर्चा और रणनीति बनाई जा सके।