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मुद्रा बाजार (Money Market)


परिभाषा (Definition)

मुद्रा बाजार वह बाजार है जहाँ अल्पकालिक वित्तीय साधनों का व्यापार किया जाता है। यह बाजार मुख्य रूप से एक वर्ष या उससे कम समय के लिए धन की जरूरतों को पूरा करता है।

उदाहरण:

  • एक बैंक को अगले तीन महीनों के लिए अधिक नकदी की जरूरत है, तो वह मुद्रा बाजार में ट्रेजरी बिल खरीद सकता है।
  • कंपनियाँ वाणिज्यिक पत्र जारी करके अल्पकालिक ऋण ले सकती हैं।

मुद्रा बाजार के मुख्य उद्देश्य (Main Purposes of Money Market)

  1. अल्पकालिक नकदी की आपूर्ति:
    • जो संस्थान तुरंत धन की आवश्यकता रखते हैं, वे यहाँ धन प्राप्त कर सकते हैं।
    • उदाहरण: यदि एक बैंक को अगले 15 दिनों के लिए नकदी चाहिए, तो वह “काल धन बाजार” (Call Money Market) का उपयोग कर सकता है।
  2. आर्थिक स्थिरता बनाए रखना:
    • मुद्रा बाजार अर्थव्यवस्था में नकदी प्रवाह (Liquidity) को संतुलित करता है।
    • केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को नियंत्रित करके तरलता बनाए रखता है।
  3. सरकार की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करना:
    • सरकार अल्पकालिक ऋण के लिए “ट्रेजरी बिल्स” जारी करती है।
    • उदाहरण: सरकार को तीन महीने के लिए ₹1,000 करोड़ की जरूरत है, तो वह 91-दिन का ट्रेजरी बिल जारी कर सकती है।
  4. निवेश के विकल्प प्रदान करना:
    • निवेशकों और बैंकों को सुरक्षित और अल्पकालिक निवेश के साधन प्रदान करता है।
    • उदाहरण: बैंक अपनी अतिरिक्त नकदी को “प्रमाणपत्र जमा” (Certificate of Deposit) में निवेश कर सकता है।

मुद्रा बाजार के कार्य (Functions of Money Market)

  1. तरलता प्रदान करना (Providing Liquidity):
    • मुद्रा बाजार नकदी की कमी को पूरा करता है।
    • उदाहरण: यदि किसी कंपनी को एक महीने के लिए धन की आवश्यकता है, तो वह वाणिज्यिक पत्र (Commercial Paper) जारी कर सकती है।
  2. मुद्रा नीति लागू करना (Implementation of Monetary Policy):
    • भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मुद्रा बाजार के माध्यम से ब्याज दरों को नियंत्रित करता है।
    • उदाहरण: रेपो रेट (Repo Rate) और रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) के जरिए RBI नकदी की आपूर्ति को नियंत्रित करता है।
  3. सरकार को धन उपलब्ध कराना (Providing Funds to Government):
    • सरकार अपने अल्पकालिक वित्तीय घाटे को पूरा करने के लिए “ट्रेजरी बिल्स” जारी करती है।
    • उदाहरण: 91-दिन का ट्रेजरी बिल सरकार को तीन महीने के लिए धन जुटाने में मदद करता है।
  4. वित्तीय साधनों का व्यापार (Trading of Financial Instruments):
    • मुद्रा बाजार में अल्पकालिक ऋण उपकरणों का व्यापार होता है।
    • उदाहरण: ट्रेजरी बिल, वाणिज्यिक पत्र, और काल धन।

मुद्रा बाजार के मुख्य साधन (Major Instruments of Money Market)

  1. ट्रेजरी बिल्स (Treasury Bills):
    • परिभाषा: सरकार द्वारा जारी अल्पकालिक ऋण उपकरण।
    • अवधि: 91-दिन, 182-दिन, और 364-दिन।
    • उदाहरण: सरकार ₹500 करोड़ जुटाने के लिए 91-दिन का ट्रेजरी बिल जारी करती है।
  2. वाणिज्यिक पत्र (Commercial Papers):
    • परिभाषा: कंपनियों द्वारा जारी किया गया अल्पकालिक ऋण साधन।
    • उदाहरण: एक कंपनी अपनी अल्पकालिक वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए ₹100 करोड़ का वाणिज्यिक पत्र जारी करती है।
  3. प्रमाणपत्र जमा (Certificate of Deposit):
    • परिभाषा: बैंक और वित्तीय संस्थानों द्वारा जारी किए गए जमा प्रमाणपत्र।
    • अवधि: 7 दिन से लेकर एक वर्ष तक।
    • उदाहरण: एक निवेशक ₹10 लाख का प्रमाणपत्र जमा खरीदता है, जिसकी अवधि 6 महीने है।
  4. काल धन बाजार (Call Money Market):
    • परिभाषा: बैंकों और वित्तीय संस्थानों के बीच एक दिन से लेकर 14 दिनों तक के लिए धन का लेन-देन।
    • उदाहरण: एक बैंक दूसरे बैंक से ₹50 करोड़ उधार लेता है और अगले दिन उसे वापस करता है।
  5. रेपो और रिवर्स रेपो (Repo and Reverse Repo):
    • रेपो रेट: RBI द्वारा बैंकों को दिए गए ऋण पर ब्याज दर।
    • रिवर्स रेपो रेट: बैंकों द्वारा RBI को दी गई राशि पर ब्याज दर।
    • उदाहरण: RBI बैंकों को 6% की दर से धन उधार देता है (रेपो रेट)।

मुद्रा बाजार के उदाहरण (Examples of Money Market Usage)

  1. बैंक की नकदी कमी:
    • एक बैंक जिसे तत्काल नकदी की जरूरत है, वह “काल धन बाजार” में अल्पकालिक ऋण ले सकता है।
  2. सरकार का ऋण:
    • सरकार ट्रेजरी बिल्स जारी करके अपने अल्पकालिक वित्तीय घाटे को पूरा करती है।
  3. कंपनी का अल्पकालिक वित्त:
    • एक कंपनी वाणिज्यिक पत्र जारी करके अपनी तत्काल वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा कर सकती है।

भारत में मुद्रा बाजार के प्रमुख संगठन (Key Institutions in Indian Money Market)

  1. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI):
    • मुद्रा बाजार का मुख्य नियामक।
    • ब्याज दरों और नकदी प्रवाह को नियंत्रित करता है।
  2. वाणिज्यिक बैंक (Commercial Banks):
    • अल्पकालिक ऋण के प्रमुख प्रदाता।
  3. गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान (NBFCs):
    • अल्पकालिक वित्तीय साधनों में भागीदारी।
  4. सरकार:
    • सरकारी ऋण साधनों जैसे ट्रेजरी बिल्स को जारी करती है।

भारत में मुद्रा बाजार के प्रमुख तथ्य (Key Facts about Money Market in India)

  1. RBI द्वारा नियंत्रण:
    • भारतीय मुद्रा बाजार RBI के नियंत्रण में कार्य करता है।
  2. ट्रेजरी बिल्स का उपयोग:
    • सरकार अपनी अल्पकालिक वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ट्रेजरी बिल्स जारी करती है।
  3. डिजिटल लेन-देन:
    • डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लेन-देन का विस्तार हुआ है।

मुद्रा बाजार भारतीय अर्थव्यवस्था की तरलता प्रबंधन और अल्पकालिक वित्तीय स्थिरता बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका प्रभाव सरकार, बैंकों, और कॉरपोरेट संस्थानों पर व्यापक रूप से देखा जा सकता है।

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