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मुद्रा बाजार (Money Market): कार्य, साधन और संरचना

मुद्रा बाजार (Money Market)

परिभाषा: मुद्रा बाजार वित्तीय बाजार का वह खंड है जहाँ अल्पकालिक उधार और लेन-देन होता है। इसमें उपयोग किए जाने वाले वित्तीय साधनों की परिपक्वता अवधि एक वर्ष से कम होती है। यह बाजार बैंकों, वित्तीय संस्थानों, कंपनियों और सरकार को उनकी अल्पकालिक तरलता (liquidity) की जरूरतों को प्रबंधित करने में मदद करता है।

मुद्रा बाजार के कार्य

  • तरलता का प्रबंधन: यह अर्थव्यवस्था में अल्पकालिक धन की कमी और अधिकता के बीच संतुलन बनाता है।
  • मौद्रिक नीति का कार्यान्वयन: RBI मुद्रा बाजार के माध्यम से रेपो रेट जैसे उपकरणों का उपयोग करके अर्थव्यवस्था में धन की आपूर्ति को प्रभावित करता है।
  • सरकार के लिए अल्पकालिक वित्त: सरकार ट्रेजरी बिल जारी करके अपनी अल्पकालिक वित्तीय जरूरतों को पूरा करती है।
  • कार्यशील पूंजी का स्रोत: कंपनियां वाणिज्यिक पत्र जारी करके अपनी कार्यशील पूंजी (working capital) की जरूरतों को पूरा करती हैं।

मुद्रा बाजार के मुख्य साधन (Major Instruments)

ट्रेजरी बिल (Treasury Bills – T-Bills)

ये भारत सरकार द्वारा अपनी अल्पकालिक तरलता की जरूरतों को पूरा करने के लिए जारी किए गए साधन हैं। इन्हें शून्य-कूपन बॉन्ड (Zero-Coupon Bonds) भी कहा जाता है क्योंकि इन पर कोई ब्याज नहीं दिया जाता, बल्कि इन्हें छूट (discount) पर जारी किया जाता है और अंकित मूल्य (face value) पर भुनाया जाता है।

  • परिपक्वता अवधि: 91-दिन, 182-दिन, और 364-दिन।

वाणिज्यिक पत्र (Commercial Paper – CP)

यह एक असुरक्षित (unsecured) वचन पत्र है जो उच्च क्रेडिट रेटिंग वाली बड़ी कंपनियों द्वारा अपनी अल्पकालिक धन की जरूरतों को पूरा करने के लिए जारी किया जाता है।

जमा प्रमाणपत्र (Certificate of Deposit – CD)

यह एक परक्राम्य (negotiable) साधन है जो वाणिज्यिक बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा एक निश्चित अवधि के लिए जमा की गई धनराशि के बदले जारी किया जाता है।

कॉल/नोटिस/टर्म मनी (Call/Notice/Term Money)

यह अंतर-बैंक बाजार है जहाँ बैंक एक-दूसरे से बहुत ही अल्पकालिक अवधि के लिए उधार लेते और देते हैं ताकि वे अपनी आरक्षित आवश्यकताओं (CRR) को पूरा कर सकें।

  • कॉल मनी: 1 दिन के लिए उधार।
  • नोटिस मनी: 2 से 14 दिनों के लिए उधार।
  • टर्म मनी: 15 दिनों से 1 वर्ष के लिए उधार।

भारत में मुद्रा बाजार के प्रमुख संगठन

  • भारतीय रिजर्व बैंक (RBI): यह मुद्रा बाजार का नियामक और एक प्रमुख भागीदार है।
  • वाणिज्यिक बैंक: ये मुद्रा बाजार में सबसे बड़े भागीदार हैं, जो उधारकर्ता और ऋणदाता दोनों के रूप में कार्य करते हैं।
  • गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFCs) और निगम: ये अपनी अल्पकालिक निधि की जरूरतों के लिए बाजार का उपयोग करते हैं।
  • सरकार: ट्रेजरी बिल के माध्यम से एक प्रमुख उधारकर्ता।

अभ्यास प्रश्न (MCQs)

1. मुद्रा बाजार में लेन-देन की परिपक्वता अवधि क्या होती है?
  • (a) एक वर्ष से अधिक
  • (b) एक वर्ष तक
  • (c) पांच वर्ष तक
  • (d) कोई निश्चित अवधि नहीं
2. भारत सरकार द्वारा अपनी अल्पकालिक वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए कौन सा साधन जारी किया जाता है?
  • (a) वाणिज्यिक पत्र (Commercial Paper)
  • (b) ट्रेजरी बिल (Treasury Bill)
  • (c) जमा प्रमाणपत्र (Certificate of Deposit)
  • (d) शेयर (Shares)
3. ‘कॉल मनी’ बाजार में उधार की अवधि क्या होती है?
  • (a) एक दिन
  • (b) 2 से 14 दिन
  • (c) 15 दिन से अधिक
  • (d) 91 दिन
4. निम्नलिखित में से कौन सा एक असुरक्षित (unsecured) मुद्रा बाजार साधन है?
  • (a) ट्रेजरी बिल
  • (b) वाणिज्यिक पत्र
  • (c) जमा प्रमाणपत्र
  • (d) रेपो
5. भारत में मुद्रा बाजार का मुख्य नियामक कौन है?
  • (a) सेबी (SEBI)
  • (b) वित्त मंत्रालय
  • (c) भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)
  • (d) भारतीय बैंक संघ (IBA)

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1: मुद्रा बाजार क्या है? भारतीय अर्थव्यवस्था में तरलता प्रबंधन और मौद्रिक नीति के कार्यान्वयन में इसकी भूमिका पर चर्चा करें। (250 शब्द)
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