मुद्रा प्रवाह (Money Supply)
मुद्रा प्रवाह की परिभाषा: मुद्रा प्रवाह से तात्पर्य किसी एक विशेष समय पर किसी देश की अर्थव्यवस्था में जनता के पास उपलब्ध मुद्रा के कुल स्टॉक से है। इसमें प्रचलन में मौजूद करेंसी (नोट और सिक्के) और वाणिज्यिक बैंकों में जमा राशि शामिल होती है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मुद्रा प्रवाह को नियंत्रित और मॉनिटर करता है।
मुद्रा तरलता (Liquidity of Money): तरलता का अर्थ है किसी संपत्ति को बिना मूल्य खोए कितनी आसानी से नकदी में बदला जा सकता है। मुद्रा सबसे तरल संपत्ति है।
मुद्रा प्रवाह के मापक (Measures of Money Supply)
RBI ने मुद्रा प्रवाह को उसकी तरलता के घटते क्रम में चार श्रेणियों में बांटा है: M1, M2, M3, और M4।
एम1 (M1) – संकीर्ण मुद्रा (Narrow Money)
यह मुद्रा आपूर्ति का सबसे तरल मापक है, जिसमें लेन-देन के लिए सबसे आसानी से उपलब्ध धन शामिल होता है।
- संघटक:
- जनता के पास करेंसी (C) – (नोट + सिक्के)
- वाणिज्यिक बैंकों की मांग जमा (DD) – (चालू खाता, बचत खाता जमा)
- RBI के पास अन्य जमा (OD)
- फॉर्मूला: M1 = C + DD + OD
एम2 (M2)
यह M1 से व्यापक है और इसमें डाकघर बचत बैंकों की जमा राशि भी शामिल होती है, जो कम तरल होती है।
- संघटक:
- M1 के सभी घटक
- डाकघर बचत बैंकों में बचत जमा
- फॉर्मूला: M2 = M1 + डाकघर बचत बैंकों में बचत जमा
एम3 (M3) – व्यापक मुद्रा (Broad Money)
यह मुद्रा आपूर्ति का सबसे आम और व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला मापक है। इसमें M1 के साथ-साथ बैंकों की सावधि जमा (Time Deposits) भी शामिल होती हैं।
- संघटक:
- M1 के सभी घटक
- वाणिज्यिक बैंकों की शुद्ध सावधि जमा (Net Time Deposits)
- फॉर्मूला: M3 = M1 + वाणिज्यिक बैंकों की शुद्ध सावधि जमा
एम4 (M4)
यह मुद्रा आपूर्ति का सबसे कम तरल मापक है। इसमें M3 के साथ-साथ डाकघर की सभी जमा राशियां शामिल होती हैं।
- संघटक:
- M3 के सभी घटक
- डाकघर बचत बैंकों की कुल जमा (राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र को छोड़कर)
- फॉर्मूला: M4 = M3 + डाकघर की कुल जमा
तरलता और मुद्रा प्रवाह के बीच संबंध
तरलता के घटते क्रम में मुद्रा आपूर्ति के मापक इस प्रकार हैं:
M1 > M2 > M3 > M4
(M1 सबसे अधिक तरल है, और M4 सबसे कम तरल है।)