परिभाषा (Definition)
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (NBFCs) ऐसी वित्तीय संस्थाएँ हैं जो बैंकिंग लाइसेंस के बिना बैंकों जैसी सेवाएँ प्रदान करती हैं।
- यह कंपनियाँ वित्तीय सेवाओं जैसे ऋण, निवेश, बीमा, और परिसंपत्ति प्रबंधन में विशेषज्ञ होती हैं।
- NBFCs को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत विनियमित किया जाता है।
मुख्य विशेषताएँ (Key Features of NBFCs)
- बैंकिंग और NBFC में अंतर:
- NBFCs चालू खाता और बचत खाता नहीं खोल सकतीं।
- वे रिज़र्व आवश्यकता (CRR और SLR) रखने के लिए बाध्य नहीं हैं।
- सेवाएँ:
- ऋण प्रदान करना, निवेश योजना, बीमा सेवाएँ, और परिसंपत्ति प्रबंधन।
- नियामक प्राधिकरण (Regulatory Authority):
- NBFCs को RBI के दिशानिर्देशों का पालन करना होता है।
- ग्रामीण क्षेत्रों पर ध्यान:
- NBFCs ने वित्तीय सेवाओं को ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों तक पहुँचाया।
NBFCs के प्रकार (Types of NBFCs)
- संपत्ति वित्त कंपनियाँ (Asset Finance Companies – AFCs):
- वे कंपनियाँ जो परिसंपत्ति आधारित ऋण प्रदान करती हैं, जैसे वाहन या मशीनरी।
- उदाहरण: श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस।
- माइक्रोफाइनेंस संस्थाएँ (Microfinance Institutions – MFIs):
- छोटे और मध्यम उद्यमों और निम्न-आय वर्ग को छोटे ऋण प्रदान करती हैं।
- उदाहरण: बंदन बैंक (बैंक बनने से पहले MFI था)।
- हाउसिंग फाइनेंस कंपनियाँ (Housing Finance Companies – HFCs):
- ये कंपनियाँ गृह ऋण प्रदान करती हैं।
- उदाहरण: HDFC।
- इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनियाँ (Infrastructure Finance Companies):
- अवसंरचना परियोजनाओं के लिए वित्त प्रदान करती हैं।
- उदाहरण: लार्सन एंड टुब्रो फाइनेंस।
- गोल्ड लोन कंपनियाँ (Gold Loan Companies):
- सोने के गहनों के बदले ऋण देती हैं।
- उदाहरण: मुथूट फाइनेंस, मनप्पुरम फाइनेंस।
- निवेश कंपनियाँ (Investment Companies):
- शेयर और म्यूचुअल फंड में निवेश करती हैं।
NBFCs के कार्य (Functions of NBFCs)
- वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion):
- ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में वित्तीय सेवाओं की पहुँच बढ़ाना।
- 2023 तक, NBFCs ने 6 करोड़ से अधिक ग्राहकों को ऋण प्रदान किया।
- ऋण वितरण (Credit Distribution):
- व्यापार, उद्योग, और व्यक्तिगत आवश्यकताओं के लिए ऋण।
- आर्थिक विकास में योगदान (Contribution to Economic Development):
- NBFCs का योगदान भारत के जीडीपी में लगभग 12% है।
- निवेश सेवाएँ (Investment Services):
- शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में निवेश का प्रबंधन।
महत्वपूर्ण आँकड़े (Key Facts and Figures)
- 2023 तक NBFCs की संख्या:
- भारत में पंजीकृत NBFCs की संख्या 9,425 है।
- इनमें से 351 सिस्टमेटिकली इम्पोर्टेंट NBFCs हैं।
- NBFCs का कुल ऋण वितरण:
- 2023 में, NBFCs ने ₹28 लाख करोड़ का ऋण वितरित किया।
- प्रमुख NBFCs:
- HDFC, बजाज फाइनेंस, मुथूट फाइनेंस, श्रीराम फाइनेंस।
पोस्ट पेमेंट बैंक (Post Payment Banks – PPBs)
परिभाषा (Definition)
पोस्ट पेमेंट बैंक (Post Payment Bank) भारतीय डाक विभाग द्वारा संचालित एक विशेष प्रकार का भुगतान बैंक है, जो बुनियादी बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करता है।
शुरुआत और उद्देश्य (Launch and Purpose)
- शुरुआत:
- भारतीय डाक भुगतान बैंक (IPPB) की शुरुआत 1 सितंबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की।
- उद्देश्य:
- ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं का विस्तार।
- डिजिटल भुगतान और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना।
- संचालन:
- IPPB का संचालन भारतीय डाक विभाग (India Post) और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा विनियमित है।
मुख्य सेवाएँ (Key Services of IPPB)
- बचत खाता (Savings Account):
- ₹2 लाख तक की जमा राशि।
- डिजिटल भुगतान (Digital Payments):
- UPI, NEFT, IMPS, और RTGS जैसी सुविधाएँ।
- बीमा और पेंशन (Insurance and Pension):
- जीवन बीमा और पेंशन योजनाएँ।
- माइक्रो एटीएम (Micro ATM Services):
- डाक सेवकों के माध्यम से माइक्रो एटीएम सेवाएँ।
- डाक सेवाएँ और बैंकिंग:
- डाकघरों को बैंकिंग केंद्र के रूप में उपयोग करना।
मुख्य विशेषताएँ (Key Features)
- डिजिटल बैंकिंग (Digital Banking):
- मोबाइल ऐप और वेब पोर्टल के माध्यम से सेवाएँ।
- छोटी जमा सीमा (Small Deposits):
- ₹2 लाख तक की बचत खाता सुविधा।
- ऋण सेवाएँ नहीं (No Credit Services):
- भुगतान बैंक ऋण और क्रेडिट कार्ड की सुविधा नहीं देते।
- ग्रामीण पहुँच (Rural Reach):
- 1.5 लाख डाकघरों के नेटवर्क के माध्यम से।
महत्वपूर्ण आँकड़े (Key Facts and Figures)
- ग्राहकों की संख्या:
- 2023 तक IPPB के पास 5 करोड़ से अधिक खाते हैं।
- भौगोलिक कवरेज:
- IPPB ने 1.36 लाख डाकघरों को बैंकिंग नेटवर्क से जोड़ा है।
- डिजिटल भुगतान योगदान:
- 2022-23 में IPPB ने 50 करोड़ डिजिटल लेन-देन किए।
- डाक सेवक योगदान:
- लगभग 3 लाख डाक सेवक बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करते हैं।
NBFCs और पोस्ट पेमेंट बैंक के बीच अंतर (Difference Between NBFCs and Post Payment Banks)
पैरामीटर | NBFCs | पोस्ट पेमेंट बैंक (IPPB) |
---|---|---|
लाइसेंसिंग प्राधिकरण | RBI और कंपनी अधिनियम। | RBI और भारतीय डाक विभाग। |
ऋण सेवाएँ | ऋण और क्रेडिट सेवाएँ प्रदान करती हैं। | ऋण और क्रेडिट सेवाएँ नहीं। |
बचत खाता | बचत खाता सुविधा नहीं। | बचत खाता प्रदान करती हैं। |
ग्रामीण पहुँच | सीमित। | 1.5 लाख डाकघरों के माध्यम से व्यापक पहुँच। |
प्रमुख उद्देश्य | ऋण और निवेश सेवाएँ। | वित्तीय समावेशन और डिजिटल भुगतान। |
भूमिका
NBFCs और पोस्ट पेमेंट बैंक दोनों ने भारत में वित्तीय समावेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। NBFCs ने उद्योगों, छोटे व्यवसायों और व्यक्तिगत ऋण सेवाओं में योगदान दिया है, जबकि पोस्ट पेमेंट बैंक ने ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं को पहुँचाया है। यह दोनों प्रणाली भारत की आर्थिक संरचना को मजबूत बनाने में सहायक रही हैं।