जनसंख्या विस्फोट (Population Explosion)
परिचय: जनसंख्या विस्फोट का अर्थ है किसी क्षेत्र की जनसंख्या में तीव्र और अनियंत्रित वृद्धि। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब जन्म दर मृत्यु दर से बहुत अधिक हो जाती है। 2023 में, भारत चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया, जो इसके संसाधनों पर भारी दबाव डालता है।
जनसंख्या विस्फोट के कारण
- उच्च जन्म दर: गरीबी, अशिक्षा, परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता की कमी, और सामाजिक-सांस्कृतिक कारक जैसे पुत्र की चाह उच्च जन्म दर के प्रमुख कारण हैं।
- मृत्यु दर में तेजी से गिरावट: बेहतर चिकित्सा सुविधाओं, टीकाकरण, और स्वच्छता के कारण मृत्यु दर में तेजी से कमी आई है, जबकि जन्म दर में उतनी तेजी से गिरावट नहीं हुई है।
जनसंख्या विस्फोट के प्रभाव
- आर्थिक प्रभाव: संसाधनों पर दबाव, बेरोजगारी में वृद्धि, प्रति व्यक्ति आय में कमी, और बचत और पूंजी निर्माण की निम्न दर।
- सामाजिक प्रभाव: शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास जैसी बुनियादी सुविधाओं पर अत्यधिक दबाव।
- पर्यावरणीय प्रभाव: वनों की कटाई, प्रदूषण, और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन।
माल्थस का जनसंख्या सिद्धांत (Malthusian Theory of Population)
थॉमस रॉबर्ट माल्थ्स ने 1798 में अपने “An Essay on the Principle of Population” में जनसंख्या वृद्धि और खाद्य आपूर्ति के बीच संबंध का विश्लेषण किया।
मुख्य सिद्धांत
- जनसंख्या वृद्धि: माल्थस के अनुसार, जनसंख्या ज्यामितीय दर (Geometric Progression: 1, 2, 4, 8, …) से बढ़ती है।
- खाद्य उत्पादन: जबकि खाद्य आपूर्ति अंकगणितीय दर (Arithmetic Progression: 1, 2, 3, 4, …) से बढ़ती है।
- परिणाम: यह असंतुलन अंततः भुखमरी, अकाल और बीमारियों को जन्म देगा, जिन्हें माल्थस ने ‘सकारात्मक रोकथाम’ (Positive Checks) कहा। उन्होंने जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए देर से विवाह और आत्म-संयम जैसे ‘निवारक रोकथाम’ (Preventive Checks) का भी सुझाव दिया।
आलोचना और प्रासंगिकता
माल्थस की आलोचना इसलिए की जाती है क्योंकि उन्होंने तकनीकी प्रगति (जैसे हरित क्रांति) को नजरअंदाज कर दिया, जिसने खाद्य उत्पादन को तेजी से बढ़ाया। हालांकि, उनका सिद्धांत आज भी विकासशील देशों के संदर्भ में प्रासंगिक है, जहाँ जनसंख्या का दबाव संसाधनों पर स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
जनसांख्यिकीय संक्रमण का सिद्धांत (Theory of Demographic Transition)
यह सिद्धांत किसी भी देश के आर्थिक विकास के साथ-साथ उसकी जनसंख्या वृद्धि के पैटर्न में होने वाले बदलावों का वर्णन करता है। इसकी आमतौर पर तीन मुख्य अवस्थाएँ होती हैं:
1. प्रथम अवस्था (उच्च स्थिर)
इस अवस्था में उच्च जन्म दर और उच्च मृत्यु दर दोनों होती हैं, जिसके कारण जनसंख्या वृद्धि बहुत धीमी या स्थिर होती है। यह अविकसित और कृषि प्रधान अर्थव्यवस्थाओं की विशेषता है।
2. द्वितीय अवस्था (प्रारंभिक विस्तार)
इस अवस्था में, स्वास्थ्य और स्वच्छता में सुधार के कारण मृत्यु दर में तेजी से गिरावट आती है, लेकिन जन्म दर ऊंची बनी रहती है। इस अंतर के कारण जनसंख्या विस्फोट होता है। भारत वर्तमान में इस अवस्था के अंतिम चरण में है।
3. तृतीय अवस्था (देर से विस्तार)
इस अवस्था में, शहरीकरण, शिक्षा और परिवार नियोजन के कारण जन्म दर में भी गिरावट आने लगती है। मृत्यु दर निम्न स्तर पर बनी रहती है, जिससे जनसंख्या वृद्धि की दर धीमी हो जाती है।