भारतीय अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों में निरंतर विकास एवं प्रगति के संकेत स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। ये सकारात्मक पहलू अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में भारत की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने के साथ-साथ दीर्घकालिक विकास की संभावनाओं को भी बढ़ावा देते हैं।
सेवा क्षेत्र में वृद्धि (Growth in Service Sector)
- सेवा क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था का सबसे तेज़ी से बढ़ता क्षेत्र बनकर उभरा है।
- 2021-22 में सेवा क्षेत्र का सकल मूल्य वर्धन (GVA) जीडीपी का लगभग 54-55% था।
- सूचना प्रौद्योगिकी (IT), वित्तीय सेवाओं, दूरसंचार, पर्यटन, और स्वास्थ्य सेवाओं जैसे क्षेत्रों ने न केवल रोजगार सृजन में योगदान दिया है, बल्कि निर्यात आय में भी वृद्धि की है।
- आईटी एवं बीपीओ सेवाओं के निर्यात से विदेशी मुद्रा अर्जन (Foreign Exchange Earnings) में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी।
व्यापार में सुगमता (Ease of Doing Business)
- विश्व बैंक की ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस रैंकिंग में भारत ने 2014 से 2019 के बीच 79 पायदान की छलांग लगाई (2019 में 63वें स्थान पर)।
- सरकार की सुधारवादी नीतियाँ जैसे मेक इन इंडिया (Make in India), स्टार्टअप इंडिया (Startup India), जीएसटी (GST) ने व्यवसायिक वातावरण में सुधार किया।
- ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस में सुधार से विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) प्रवाह बढ़ा, स्थानीय उद्यमशीलता को प्रोत्साहन मिला, तथा लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को सक्षम परिवेश प्राप्त हुआ।
आधारभूत संरचना में सुधार (Improvement in Infrastructure)
- 2022-23 में पूँजीगत व्यय (Capital Expenditure) में उल्लेखनीय वृद्धि, जिससे सड़क, रेल, उड्डयन, बंदरगाह, और ऊर्जा क्षेत्र में निवेश बढ़ा।
- राष्ट्रीय राजमार्गों (National Highways) की लंबाई में तेजी से वृद्धि, मेट्रो नेटवर्क का विस्तार, समर्पित माल ढुलाई गलियारा (Dedicated Freight Corridor), और भारतमाला परियोजना (Bharatmala Project) जैसे पहल आधारभूत संरचना को सुदृढ़ कर रहे हैं।
- आधारभूत संरचना में सुधार लॉजिस्टिक्स कॉस्ट कम करने, क्षेत्रीय असंतुलन घटाने और निर्यात क्षमता बढ़ाने में सहायक है।
पीपीपी के आधार पर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (Third Largest Economy by PPP)
- क्रय शक्ति समता (PPP – Purchasing Power Parity) के आधार पर भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है (अमेरिका और चीन के बाद)।
- 2022 तक, भारत का जीडीपी (PPP) लगभग 10 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक आंका गया है।
- यह स्थिति भारत के बड़े घरेलू बाजार, विविधता पूर्ण उत्पादन संरचना और सेवा क्षेत्र के दम पर बनी है।
- PPP के आधार पर उच्च रैंक, अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का ध्यान आकर्षित करती है और भारत की आर्थिक क्षमता को रेखांकित करती है।
विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves)
- भारत के विदेशी मुद्रा भंडार ने 2021 में 600 बिलियन अमेरिकी डॉलर का स्तर पार किया, जो ऐतिहासिक उपलब्धि है। (हालाँकि वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार यह घटता-बढ़ता रहता है)
- पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार से आयातों को वित्तपोषित करने, रुपये की स्थिरता बनाए रखने एवं वैश्विक आर्थिक सदमे (Global Shocks) को झेलने की क्षमता बढ़ती है।
- इससे अंतरराष्ट्रीय निवेशकों में विश्वास कायम होता है, देश का क्रेडिट प्रोफाइल सुधरता है, तथा भुगतान संतुलन (Balance of Payments) को सुगम बनाए रखना संभव होता है।
इन सकारात्मक पहलुओं के फलस्वरूप भारत एक गतिशील, प्रतिस्पर्धी और वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है। ये प्रगति के संकेत आने वाले वर्षों में भारत को दीर्घकालिक स्थिरता, उच्च निवेश एवं सतत विकास के मार्ग पर आगे बढ़ने में सहायक सिद्ध होंगे।