भारत में गरीबी: एक अवलोकन
गरीबी वह स्थिति है जिसमें एक व्यक्ति या समुदाय जीवन जीने के लिए आवश्यक न्यूनतम आवश्यकताओं, जैसे भोजन, वस्त्र, आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य, को पूरा करने में असमर्थ होता है। भारत ने गरीबी उन्मूलन में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन यह आज भी एक प्रमुख सामाजिक-आर्थिक चुनौती बनी हुई है।
गरीबी के प्रकार
- निरपेक्ष गरीबी (Absolute Poverty): यह जीवन की न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक आय या उपभोग के अभाव को संदर्भित करती है। इसे गरीबी रेखा (Poverty Line) के माध्यम से मापा जाता है। भारत में गरीबी का आकलन मुख्य रूप से इसी आधार पर किया जाता है।
- सापेक्ष गरीबी (Relative Poverty): यह किसी समाज में आय या धन के असमान वितरण को दर्शाती है। इसमें एक व्यक्ति या समूह की आय की तुलना समाज के औसत आय स्तर से की जाती है। यह अवधारणा विकसित देशों में अधिक प्रचलित है।
भारत में गरीबी का मापन: गरीबी रेखा
परिभाषा: गरीबी रेखा आय या उपभोग व्यय का वह स्तर है जिससे नीचे रहने वाले व्यक्ति को गरीब माना जाता है। यह न्यूनतम कैलोरी आवश्यकता और कुछ गैर-खाद्य वस्तुओं पर आधारित होती है।
गरीबी आकलन हेतु प्रमुख समितियां:
- तेंदुलकर समिति (2009): इस समिति ने कैलोरी आधारित मॉडल के बजाय शिक्षा, स्वास्थ्य, और अन्य वस्तुओं पर मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (MPCE) को आधार बनाया। इसने 2011-12 के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में ₹816 और शहरी क्षेत्रों में ₹1000 प्रति व्यक्ति प्रति माह की गरीबी रेखा निर्धारित की। इसके अनुसार, भारत में गरीबी 21.9% थी।
- रंगराजन समिति (2014): इस समिति ने तेंदुलकर समिति से व्यापक दृष्टिकोण अपनाया और गरीबी रेखा को ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ₹972 और शहरी क्षेत्रों के लिए ₹1407 प्रति व्यक्ति प्रति माह निर्धारित किया। इसके अनुसार, भारत में गरीबी 29.5% थी।
नोट: वर्तमान में, भारत सरकार गरीबी के आकलन के लिए आधिकारिक तौर पर तेंदुलकर समिति की पद्धति का उपयोग करती है, हालांकि नीति निर्माण के लिए विभिन्न संकेतकों का प्रयोग किया जाता है।
भारत में गरीबी के कारण
- ऐतिहासिक कारण: औपनिवेशिक शासन के दौरान भारतीय संसाधनों का शोषण।
- आर्थिक कारण: धीमी आर्थिक विकास दर (स्वतंत्रता के बाद के दशकों में), कृषि पर अत्यधिक निर्भरता, बेरोजगारी और अल्प-रोजगार, आय और संपत्ति की असमानता।
- सामाजिक कारण: जाति व्यवस्था, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक असमान पहुंच, लैंगिक असमानता।
- जनसांख्यिकीय कारण: तेजी से बढ़ती जनसंख्या।
गरीबी उन्मूलन के लिए सरकारी प्रयास
सरकार ने गरीबी को कम करने के लिए विभिन्न योजनाएं और कार्यक्रम चलाए हैं, जिन्हें मोटे तौर पर निम्नलिखित श्रेणियों में बांटा जा सकता है:
- रोजगार सृजन कार्यक्रम: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा)।
- खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY)।
- वित्तीय समावेशन: प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY)।
- स्वास्थ्य और बीमा: आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY)।
- आवास: प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY)।