परिचय (Introduction)
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) भारत में पूंजी बाजार और वित्तीय बाजार को नियंत्रित करने वाली प्रमुख नियामक संस्था है।
- इसका उद्देश्य निवेशकों के हितों की रक्षा, वित्तीय बाजारों की पारदर्शिता सुनिश्चित करना, और बाजार में धोखाधड़ी और अनुचित प्रथाओं को रोकना है।
सेबी की स्थापना (Establishment of SEBI)
- स्थापना का वर्ष:
- SEBI की स्थापना 1988 में एक गैर-सांविधिक निकाय (Non-Statutory Body) के रूप में हुई।
- इसे 1992 में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के तहत एक स्वायत्त वैधानिक निकाय (Statutory Body) का दर्जा दिया गया।
- मुख्यालय:
- SEBI का मुख्यालय मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) में स्थित है।
- इसके क्षेत्रीय कार्यालय दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद में हैं।
- लक्ष्य (Objectives):
- निवेशकों के हितों की रक्षा करना।
- सुरक्षित और पारदर्शी बाजार सुनिश्चित करना।
- पूंजी बाजार में धोखाधड़ी को रोकना।
सेबी के कार्य (Functions of SEBI)
SEBI के कार्यों को तीन प्रमुख वर्गों में बाँटा जा सकता है:
- नियामक कार्य (Regulatory Functions)
- विकासात्मक कार्य (Development Functions)
- रक्षक कार्य (Protective Functions)
1. नियामक कार्य (Regulatory Functions)
- पूंजी बाजार का नियमन:
- शेयर बाजार, बॉन्ड बाजार, म्यूचुअल फंड, और डेरिवेटिव्स बाजार को नियंत्रित करना।
- पंजीकरण (Registration):
- ब्रोकर, सब-ब्रोकर, मर्चेंट बैंकर, म्यूचुअल फंड, और क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों का पंजीकरण और विनियमन।
- पारदर्शिता सुनिश्चित करना:
- बाजार की कार्यप्रणाली को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाना।
- शिकायत निवारण प्रणाली:
- निवेशकों की शिकायतों का निपटारा करना।
2. विकासात्मक कार्य (Development Functions)
- शिक्षा और जागरूकता (Education and Awareness):
- निवेशकों को पूंजी बाजार और वित्तीय उपकरणों के प्रति शिक्षित करना।
- उदाहरण: निवेशक शिक्षा और सुरक्षा अभियान।
- नए वित्तीय उत्पादों का विकास (Development of New Financial Products):
- म्यूचुअल फंड, डेरिवेटिव्स, और ईटीएफ (Exchange Traded Funds) जैसे उत्पादों को बढ़ावा देना।
- इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग का प्रोत्साहन (Promotion of Electronic Trading):
- बाजार में प्रौद्योगिकी आधारित सेवाओं को बढ़ावा देना।
3. रक्षक कार्य (Protective Functions)
- निवेशकों के हितों की रक्षा (Investor Protection):
- धोखाधड़ी और बाजार में अनुचित प्रथाओं को रोकना।
- इनसाइडर ट्रेडिंग पर नियंत्रण (Control of Insider Trading):
- कंपनियों में गोपनीय जानकारी का दुरुपयोग रोकना।
- इनसाइडर ट्रेडिंग के लिए कठोर दंड का प्रावधान।
- डीलिस्टिंग और पुनर्पंजीकरण (Delisting and Relisting):
- कंपनियों को नियमानुसार शेयर बाजार से हटाना और पुनः पंजीकरण करना।
- कॉर्पोरेट गवर्नेंस में सुधार (Improvement in Corporate Governance):
- कंपनियों को पारदर्शी और जिम्मेदार बनाने के लिए नियमों को सख्ती से लागू करना।
सेबी के अधिकार (Powers of SEBI)
- जाँच का अधिकार (Right to Investigate):
- SEBI को पूंजी बाजार में धोखाधड़ी और अनुचित प्रथाओं की जाँच करने का अधिकार है।
- दंड लगाने का अधिकार (Imposing Penalties):
- SEBI बाजार में धोखाधड़ी, इनसाइडर ट्रेडिंग, और नियमों के उल्लंघन पर दंड लगा सकता है।
- नियम बनाने का अधिकार (Rule-Making Authority):
- पूंजी बाजार के लिए दिशा-निर्देश और नियम लागू करना।
- संपत्ति जब्त करने का अधिकार (Power to Seize Property):
- यदि कोई कंपनी या व्यक्ति नियमों का उल्लंघन करता है, तो SEBI उसकी संपत्ति जब्त कर सकता है।
महत्वपूर्ण पहल और सुधार (Key Initiatives and Reforms)
- इनसाइडर ट्रेडिंग रोकथाम अधिनियम, 1992 (Prohibition of Insider Trading Regulations):
- इनसाइडर ट्रेडिंग को रोकने के लिए सख्त दिशा-निर्देश।
- टेकओवर कोड (Takeover Code):
- किसी कंपनी के अधिग्रहण के लिए नियमों को स्पष्ट करना।
- ईटीएफ का प्रोत्साहन (Promotion of ETFs):
- निवेशकों के लिए कम लागत वाले वित्तीय साधनों का विकास।
- एसएटी (Securities Appellate Tribunal):
- SEBI के फैसलों के खिलाफ अपील के लिए ट्रिब्यूनल।
- डिविडेंड पॉलिसी अनिवार्यता:
- कंपनियों के लिए लाभांश नीति को सार्वजनिक करना अनिवार्य।
महत्वपूर्ण आँकड़े (Key Figures)
- सेबी के तहत पंजीकृत संस्थाएँ (2023):
- म्यूचुअल फंड कंपनियाँ: 44।
- क्रेडिट रेटिंग एजेंसियाँ: 7।
- शिकायत निवारण:
- 2022-23 में SEBI ने 30,000 से अधिक निवेशकों की शिकायतों का समाधान किया।
- शेयर बाजार का आकार:
- 2023 में BSE और NSE का कुल बाज़ार पूंजीकरण: ₹280 लाख करोड़।
सेबी ने भारतीय पूंजी बाजार को पारदर्शी, कुशल, और निवेशक-अनुकूल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके नियम और निगरानी तंत्र ने भारत के वित्तीय बाजार को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक बनाया है। सेबी के प्रयासों से निवेशकों का विश्वास बढ़ा है और भारत का पूंजी बाजार तेजी से विकसित हुआ है।