भारत में बेरोजगारी: एक अवलोकन
बेरोजगारी वह स्थिति है जिसमें एक व्यक्ति जो काम करने के लिए योग्य और इच्छुक है, उसे प्रचलित मजदूरी दर पर काम नहीं मिल पाता है। यह किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए एक प्रमुख चुनौती है क्योंकि यह न केवल आर्थिक विकास को बाधित करती है बल्कि गरीबी और सामाजिक अशांति को भी जन्म देती है।
बेरोजगारी के प्रकार
- संरचनात्मक बेरोजगारी (Structural Unemployment): यह तब होती है जब अर्थव्यवस्था की संरचना में बदलाव के कारण श्रमिकों के कौशल और उपलब्ध नौकरियों के बीच मेल नहीं होता है। उदाहरण: स्वचालन (Automation) के कारण फैक्ट्री मजदूरों की नौकरी जाना।
- प्रच्छन्न बेरोजगारी (Disguised Unemployment): यह वह स्थिति है जहाँ किसी काम में आवश्यकता से अधिक लोग लगे होते हैं। यदि कुछ लोगों को उस काम से हटा भी दिया जाए, तो कुल उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। यह मुख्य रूप से भारत के कृषि क्षेत्र में पाई जाती है।
- मौसमी बेरोजगारी (Seasonal Unemployment): यह तब होती है जब साल के कुछ विशेष मौसमों में ही काम उपलब्ध होता है। उदाहरण: कृषि में बुवाई और कटाई के समय काम मिलना, या पर्यटन उद्योग में ऑफ-सीजन के दौरान बेरोजगारी।
- चक्रीय बेरोजगारी (Cyclical Unemployment): यह व्यापार चक्र (Business Cycle) में मंदी के कारण उत्पन्न होती है। आर्थिक मंदी के दौरान वस्तुओं और सेवाओं की मांग कम हो जाती है, जिससे उत्पादन घटता है और कंपनियां कर्मचारियों की छंटनी करती हैं।
- घर्षणात्मक बेरोजगारी (Frictional Unemployment): यह तब होती है जब लोग एक नौकरी से दूसरी नौकरी में जाने की प्रक्रिया में अस्थायी रूप से बेरोजगार होते हैं। इसे एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था का संकेत माना जाता है।
भारत में बेरोजगारी के कारण
- जनसंख्या वृद्धि: श्रम बल में तेजी से वृद्धि, जिसके अनुपात में रोजगार के अवसर पैदा नहीं हो पाते।
- धीमा औद्योगिक विकास: विनिर्माण क्षेत्र का विकास रोजगार सृजन के लिए पर्याप्त नहीं रहा है।
- कृषि पर निर्भरता: कृषि क्षेत्र में मौसमी और प्रच्छन्न बेरोजगारी व्यापक है।
- दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली: शिक्षा प्रणाली सैद्धांतिक ज्ञान पर अधिक और व्यावहारिक कौशल पर कम केंद्रित है, जिससे ‘कौशल-अंतर’ (Skill Gap) पैदा होता है।
- कम महिला श्रम बल भागीदारी (LFPR): सामाजिक और सांस्कृतिक कारणों से महिलाओं की श्रम बल में भागीदारी बहुत कम है।
बेरोजगारी उन्मूलन के लिए सरकारी प्रयास
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा): ग्रामीण क्षेत्रों में अकुशल श्रमिकों को 100 दिनों के गारंटीशुदा मजदूरी रोजगार प्रदान करता है।
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY): युवाओं को उद्योग-संबंधित कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना ताकि उनकी रोजगार क्षमता बढ़ सके।
- स्टार्ट-अप इंडिया और स्टैंड-अप इंडिया: उद्यमिता को बढ़ावा देना ताकि युवा नौकरी मांगने वाले के बजाय नौकरी देने वाले बनें।
- उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना: घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देकर रोजगार के अवसर पैदा करना।
अभ्यास प्रश्न (MCQs)
1. भारतीय कृषि में आमतौर पर किस प्रकार की बेरोजगारी पाई जाती है?
2. जब कोई व्यक्ति बेहतर अवसर के लिए एक नौकरी छोड़कर दूसरी नौकरी की तलाश में होता है, तो इस अस्थायी बेरोजगारी को क्या कहते हैं?
3. अर्थव्यवस्था में सामान्य मंदी के कारण होने वाली बेरोजगारी क्या कहलाती है?
4. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
5. ‘संरचनात्मक बेरोजगारी’ का सबसे अच्छा उदाहरण क्या है?
मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1: भारत में ‘जनसांख्यिकीय लाभांश’ को ‘जनसांख्यिकीय अभिशाप’ में बदलने से रोकने के लिए बेरोजगारी की चुनौती से निपटना क्यों महत्वपूर्ण है? विश्लेषण करें। (250 शब्द)