अपशिष्ट प्रबंधन का उद्देश्य कचरे को इस प्रकार नियंत्रित करना है कि वह पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को नुकसान न पहुँचाए। इसमें कचरे का पृथक्करण, पुनर्चक्रण, और उचित निपटान शामिल हैं।
1. ठोस कचरा (Solid Waste)
परिभाषा (Definition)
ठोस कचरा गैर-तरल और गैर-गैसीय कचरा है, जो घरेलू, औद्योगिक, और व्यावसायिक स्रोतों से उत्पन्न होता है।
प्रमुख प्रक्रिया (Key Processes)
- पृथक्करण (Segregation):
- कचरे को सूखा (Dry) और गीला (Wet) कचरे में अलग करना।
- महत्त्व: पुनर्चक्रण और निपटान के लिए कचरे की दक्षता बढ़ाता है।
- सरकारी प्रयास:
- स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्रोत पर कचरे का पृथक्करण।
- पुनर्चक्रण (Recycling):
- कचरे को पुनः उपयोगी उत्पादों में बदलना।
- उदाहरण: प्लास्टिक और कागज का पुनर्चक्रण।
- तथ्य:
- भारत में 60% प्लास्टिक कचरा पुनःचक्रण होता है।
- स्वच्छ लैंडफिल (Sanitary Landfills):
- कचरे को गड्ढों में दबाकर स्वच्छता मानकों का पालन करना।
- उपयोग: लैंडफिल में गैस उत्पादन (जैसे, मीथेन)।
- सरकारी नीतियाँ:
- ठोस कचरा प्रबंधन नियम, 2016: स्वच्छ लैंडफिल्स की स्थापना को प्रोत्साहित करता है।
सरकारी पहल (Government Initiatives)
- स्वच्छ भारत मिशन (2014):
- शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कचरा प्रबंधन।
- ठोस कचरा प्रबंधन नियम, 2016:
- कचरे के पृथक्करण और निपटान के लिए दिशानिर्देश।
2. खतरनाक कचरा (Hazardous Waste)
परिभाषा (Definition)
खतरनाक कचरा वह कचरा है जो जहरीला (Toxic), संक्षारक (Corrosive), या संवेदनशील (Reactive) होता है।
स्रोत (Sources)
- औद्योगिक कचरा (Industrial Waste):
- भारी धातु, सॉल्वेंट।
- चिकित्सा कचरा (Medical Waste):
- अस्पतालों से निकलने वाला जैव-अपशिष्ट।
- घरेलू कचरा (Household Waste):
- बैटरी, पेंट, और सफाई उत्पाद।
प्रभाव (Impacts)
- स्वास्थ्य:
- त्वचा रोग, कैंसर, और श्वसन समस्याएँ।
- पर्यावरण:
- मिट्टी और जल का प्रदूषण।
प्रबंधन (Management)
- पुनःचक्रण (Recycling):
- खतरनाक सामग्रियों का पुनः उपयोग।
- भंडारण (Storage):
- सुरक्षित कंटेनरों में।
- निपटान (Disposal):
- खतरनाक कचरा प्रबंधन नियम, 2016 के अनुसार।
सरकारी पहल (Government Initiatives)
- पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986:
- खतरनाक कचरे के निपटान का विनियमन।
- खतरनाक और अन्य कचरा प्रबंधन नियम, 2016:
- खतरनाक कचरे के निपटान के लिए मानक।
3. ई-कचरा (E-Waste)
परिभाषा (Definition)
ई-कचरा (E-Waste) इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे कंप्यूटर, मोबाइल फोन, और टेलीविज़न से उत्पन्न अवशिष्ट कचरा है।
स्रोत (Sources)
- घरेलू उपकरण (Household Appliances):
- पुराने फ्रिज, टीवी।
- आईटी उपकरण (IT Equipment):
- कंप्यूटर, लैपटॉप।
- दूरसंचार उपकरण (Telecommunication Devices):
- मोबाइल फोन और बैटरी।
समस्याएँ (Problems)
- स्वास्थ्य पर प्रभाव (Health Impacts):
- ई-कचरे में सीसा, पारा, और कैडमियम जैसे जहरीले पदार्थ होते हैं, जो कैंसर और न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का कारण बनते हैं।
- तथ्य: भारत में 10 लाख टन ई-कचरा प्रतिवर्ष उत्पन्न होता है।
- पर्यावरणीय प्रभाव (Environmental Impacts):
- जल और मिट्टी का प्रदूषण।
- जलीय जीवन पर प्रभाव।
प्रबंधन (Management)
- पुनर्चक्रण (Recycling):
- ई-कचरे से उपयोगी धातुओं का पुनःचक्रण।
- उदाहरण: बैटरी से लिथियम और सीसा निकालना।
- डिसमेंन्टलिंग यूनिट्स (Dismantling Units):
- ई-कचरे को अलग-अलग हिस्सों में विभाजित करना।
- सरकारी कदम (Government Steps):
- ई-कचरा प्रबंधन नियम, 2016:
- उत्पादकों को ई-कचरे के निपटान का उत्तरदायित्व।
- ईपीआर (Extended Producer Responsibility) का पालन।
- साइक्लोमैक्स जैसे ई-कचरा पुनःचक्रण संयंत्रों की स्थापना।
- ई-कचरा प्रबंधन नियम, 2016:
सरकारी योजनाएँ और पहल (Government Initiatives and Laws)
- ई-कचरा प्रबंधन नियम, 2016:
- भारत में ई-कचरा पुनर्चक्रण के लिए कानूनी ढाँचा।
- पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986:
- ई-कचरे के संग्रह और निपटान के लिए व्यापक दिशानिर्देश।
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT):
- ई-कचरा निपटान में पर्यावरणीय मानकों का पालन सुनिश्चित करता है।
अपशिष्ट प्रबंधन में ठोस, खतरनाक, और ई-कचरे के लिए पृथक्करण, पुनर्चक्रण, और स्वच्छ निपटान प्रक्रियाएँ महत्वपूर्ण हैं। सरकारी कानून और नीतियाँ जैसे ई-कचरा प्रबंधन नियम, 2016 और ठोस कचरा प्रबंधन नियम, 2016 अपशिष्ट प्रबंधन को मजबूत बनाते हैं। अपशिष्ट प्रबंधन की दिशा में सामुदायिक भागीदारी और जागरूकता आवश्यक है।