विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization – WTO)
परिचय: विश्व व्यापार संगठन एकमात्र वैश्विक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो राष्ट्रों के बीच व्यापार के नियमों से निपटता है। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि व्यापार यथासंभव सुचारू, अनुमानित और स्वतंत्र रूप से हो।
- स्थापना: 1 जनवरी 1995 को, मारकेश समझौते (Marrakesh Agreement) के तहत।
- मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्जरलैंड।
- उत्तराधिकारी: इसने प्रशुल्क एवं व्यापार पर सामान्य समझौता (General Agreement on Tariffs and Trade – GATT), जो 1948 में बनाया गया था, का स्थान लिया।
WTO के सिद्धांत
WTO प्रणाली कुछ मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित है:
- गैर-भेदभाव (Non-discrimination): इसके दो प्रमुख घटक हैं:
- सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र (Most-Favoured-Nation – MFN): इसके तहत, एक देश को अपने सभी व्यापारिक भागीदारों के साथ समान व्यवहार करना चाहिए। यदि कोई देश किसी एक देश को विशेष लाभ (जैसे कम टैरिफ) देता है, तो उसे वह लाभ सभी WTO सदस्यों को देना होगा।
- राष्ट्रीय व्यवहार (National Treatment): आयातित और स्थानीय रूप से उत्पादित वस्तुओं के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए।
- पारस्परिकता (Reciprocity): व्यापार बाधाओं को कम करने के लिए देशों के बीच पारस्परिक रियायतों का आदान-प्रदान।
- पारदर्शिता (Transparency): सदस्य देशों को अपनी व्यापार नीतियों को पारदर्शी बनाना होगा।
प्रमुख समझौते
कृषि पर समझौता (Agreement on Agriculture – AoA)
इसका उद्देश्य कृषि व्यापार में बाधाओं को कम करना और अधिक निष्पक्ष बाजार बनाना है। इसके तीन स्तंभ हैं: बाजार पहुंच, घरेलू समर्थन (सब्सिडी), और निर्यात सब्सिडी।
सेवाओं में व्यापार पर सामान्य समझौता (General Agreement on Trade in Services – GATS)
यह सेवाओं (जैसे बैंकिंग, दूरसंचार, पर्यटन) में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए नियमों का पहला और एकमात्र सेट है।
बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार-संबंधित पहलुओं पर समझौता (TRIPS)
यह कॉपीराइट, पेटेंट, ट्रेडमार्क और अन्य बौद्धिक संपदा अधिकारों के लिए न्यूनतम मानक निर्धारित करता है।
विवाद निपटान तंत्र (Dispute Settlement Mechanism)
यह WTO के सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है। यह सदस्य देशों के बीच व्यापार विवादों को हल करने के लिए एक नियम-आधारित प्रणाली प्रदान करता है। इसके निर्णय सदस्यों पर बाध्यकारी होते हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में, अपीलीय निकाय (Appellate Body) में सदस्यों की नियुक्ति को लेकर विवादों के कारण यह तंत्र संकट में है।
भारत और WTO
भारत GATT और WTO दोनों का संस्थापक सदस्य रहा है।
- लाभ: WTO ने भारत को अपने निर्यात के लिए एक बड़ा और स्थिर बाजार प्रदान किया है। विवाद निपटान तंत्र ने भारत को विकसित देशों के खिलाफ कई मामलों में जीत दिलाई है।
- चुनौतियाँ: भारत को कृषि सब्सिडी (विशेष रूप से खाद्य सुरक्षा के लिए सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग) और बौद्धिक संपदा (TRIPS) से संबंधित मुद्दों पर विकसित देशों से दबाव का सामना करना पड़ता है।