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कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस (Coal, Petroleum, Natural Gas)


1. कोयला (Coal)

परिचय (Introduction)

कोयला एक प्रमुख गैर-नवीकरणीय जीवाश्म ईंधन है, जिसका उपयोग बिजली उत्पादन, इस्पात निर्माण, और औद्योगिक प्रक्रियाओं में किया जाता है।

  • तथ्य:
    • भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक और उपभोक्ता है।
    • भारत के कुल बिजली उत्पादन का 56% कोयले से होता है (2022)।
प्रकार (Types of Coal)
  1. एंथ्रासाइट (Anthracite): उच्चतम गुणवत्ता वाला कोयला।
  2. बिटुमिनस (Bituminous): औद्योगिक उपयोग।
  3. लिग्नाइट (Lignite): निम्न गुणवत्ता, बिजली उत्पादन के लिए।
  4. पीट : निम्न गुणवत्ता
उपयोग (Uses)
  1. थर्मल पावर प्लांट में।
  2. इस्पात और सीमेंट उद्योग में।
  3. घरेलू ईंधन के रूप में।

2. पेट्रोलियम (Petroleum)

परिचय (Introduction)

पेट्रोलियम को “काला सोना” कहा जाता है, जो मुख्य रूप से परिवहन, रसायन और ऊर्जा उत्पादन में उपयोग होता है।

  • तथ्य:
    • भारत पेट्रोलियम का 85% आयात करता है।
    • 2022 में भारत में पेट्रोलियम खपत 211.7 मिलियन टन थी।
उत्पाद (Products)
  1. पेट्रोल।
  2. डीजल।
  3. एलपीजी (LPG)।
  4. केरोसिन।
उपयोग (Uses)
  1. परिवहन के लिए ईंधन।
  2. पेट्रोकेमिकल्स (प्लास्टिक, उर्वरक, और रसायन)।
  3. घरेलू गैस (LPG)।

3. प्राकृतिक गैस (Natural Gas)

परिचय (Introduction)

प्राकृतिक गैस एक स्वच्छ जीवाश्म ईंधन है, जिसका उपयोग बिजली उत्पादन, उर्वरक निर्माण, और घरेलू उपयोग में होता है।

  • तथ्य:
    • भारत में प्राकृतिक गैस उत्पादन का 75% तटवर्ती क्षेत्रों में होता है।
    • 2022 में भारत में प्राकृतिक गैस की खपत 63.9 बिलियन क्यूबिक मीटर थी।
प्रकार (Types)
  1. CNG (Compressed Natural Gas): परिवहन के लिए।
  2. LNG (Liquefied Natural Gas): औद्योगिक उपयोग के लिए।
उपयोग (Uses)
  1. परिवहन क्षेत्र में CNG।
  2. उर्वरक उत्पादन।
  3. बिजली उत्पादन।

4. अन्य जीवाश्म ईंधन (Other Fossil Fuels)

1. शेल गैस (Shale Gas):
  • प्राकृतिक गैस का एक रूप, जो शेल फॉर्मेशन में पाया जाता है।
2. टार सैंड्स (Tar Sands):
  • कच्चे तेल का गाढ़ा रूप, जो बालू और मिट्टी में मिलता है।
3. कोयला गैसीकरण (Coal Gasification):
  • कोयले से गैस उत्पादन की प्रक्रिया।

जीवाश्म ईंधनों के पर्यावरणीय प्रभाव (Environmental Impacts of Fossil Fuels)


1. वायु प्रदूषण (Air Pollution)

  1. ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (GHG Emissions):
    • कोयला, पेट्रोलियम, और प्राकृतिक गैस के दहन से CO₂, मीथेन, और नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जित होते हैं।
    • तथ्य: 2021 में भारत का CO₂ उत्सर्जन 2.71 बिलियन टन था।
  2. कणीय पदार्थ (Particulate Matter):
    • थर्मल पावर प्लांट्स और वाहन उत्सर्जन से वायु गुणवत्ता में गिरावट।
    • उदाहरण: दिल्ली में PM2.5 स्तर अक्सर सुरक्षित सीमा से अधिक होता है।

2. जल प्रदूषण (Water Pollution)

  1. तेल रिसाव (Oil Spills):
    • समुद्री जीवन और तटीय पारिस्थितिकी तंत्र पर विनाशकारी प्रभाव।
    • उदाहरण: 2010 का डीपवाटर होराइजन ऑयल स्पिल।
  2. खनन और ड्रिलिंग का प्रभाव:
    • कोयला खदानों और गैस ड्रिलिंग से जल स्रोतों में रसायनों का रिसाव।

3. भूमि क्षरण (Land Degradation)

  1. खनन का प्रभाव:
    • कोयला खनन से पारिस्थितिकी तंत्र का विनाश।
    • तथ्य: भारत में हर साल लगभग 20,000 हेक्टेयर भूमि खनन के लिए उपयोग की जाती है।
  2. टार सैंड्स और शेल गैस के लिए भूमि का अत्यधिक उपयोग।

4. जैव विविधता ह्रास (Biodiversity Loss)

  • तेल और गैस ड्रिलिंग से वन्यजीवों के आवास नष्ट होते हैं।
  • कोयला खनन से जंगलों का विनाश।

5. स्वास्थ्य प्रभाव (Health Impacts)

  1. श्वसन रोग (Respiratory Diseases):
    • जीवाश्म ईंधनों से निकलने वाले प्रदूषकों के कारण।
  2. जलborne रोग:
    • खनन क्षेत्रों के पास दूषित जल स्रोत।

6. जलवायु परिवर्तन (Climate Change)

  • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से वैश्विक तापमान में वृद्धि।
  • तथ्य: 1880 के बाद से वैश्विक तापमान में 1.1°C वृद्धि हुई है।

जीवाश्म ईंधनों का सतत प्रबंधन (Sustainable Management of Fossil Fuels)

  1. नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग: सौर, पवन, और जैव ऊर्जा को बढ़ावा देना।
  2. स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी:
    • कार्बन कैप्चर और स्टोरेज।
  3. ऊर्जा दक्षता में सुधार।
  4. नीतिगत प्रयास (Policy Efforts):
    • भारत की राष्ट्रीय जैव ऊर्जा मिशन।
    • नवीकरणीय ऊर्जा पर ध्यान: 2030 तक 50% ऊर्जा क्षमता।

जीवाश्म ईंधनों ने ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति लाई है, लेकिन इनके पर्यावरणीय और स्वास्थ्य प्रभाव गंभीर हैं। अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देकर, सतत विकास के लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने की दिशा में बढ़ा जा सकता है। नीति निर्माताओं और नागरिकों की सक्रिय भूमिका इस बदलाव को संभव बना सकती है।

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