पारितंत्र गतिकी पारितंत्र में ऊर्जा प्रवाह, पोषक तत्व चक्र, और पारिस्थितिक प्रक्रियाओं के माध्यम से होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करती है। यह प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
ऊर्जा प्रवाह (Energy Flow)
ऊर्जा प्रवाह पारितंत्र में ऊर्जा के स्थानांतरण को संदर्भित करता है। यह मुख्य रूप से सूर्य से प्रारंभ होता है और उत्पादकों, उपभोक्ताओं और अपघटकों के माध्यम से प्रवाहित होता है।
1. खाद्य श्रृंखला (Food Chain)
- परिभाषा:
एक रैखिक पथ जिसमें ऊर्जा उत्पादकों से उपभोक्ताओं तक प्रवाहित होती है। - प्रकार:
- ग्रेजिंग खाद्य श्रृंखला: सूर्य → पौधे → शाकाहारी → मांसाहारी।
- डिट्रीटस खाद्य श्रृंखला: मृत पदार्थ → अपघटक → उपभोक्ता।
- उदाहरण:
- घास → हिरण → बाघ।
2. खाद्य जाल (Food Web)
- परिभाषा:
खाद्य श्रृंखलाओं का एक जटिल नेटवर्क। - महत्व:
यह पारिस्थितिक तंत्र की स्थिरता को दर्शाता है। - उदाहरण:
- तालाब में शैवाल → छोटी मछली → बड़ी मछली → पक्षी।
3. ट्रॉफिक स्तर (Trophic Levels)
- परिभाषा:
पारितंत्र में विभिन्न स्तर जिनमें जीव भोजन प्राप्त करते हैं।- प्राथमिक उत्पादक: जैसे शैवाल।
- प्राथमिक उपभोक्ता: जैसे ज़ोoplankton।
- माध्यमिक उपभोक्ता: जैसे छोटी मछली।
- तृतीयक उपभोक्ता: जैसे बड़ी मछली।
4. पारिस्थितिक पिरामिड (Ecological Pyramids)
- प्रकार:
- संख्या का पिरामिड (Pyramid of Numbers):
- जीवों की संख्या को दर्शाता है।
- सीधा पिरामिड: जैसे जंगल, जहाँ पौधों की संख्या अधिक और मांसाहारी की कम।
- उल्टा पिरामिड: जैसे परजीवी संबंध, जहाँ परजीवियों की संख्या अधिक।
- बायोमास का पिरामिड (Pyramid of Biomass):
- जीवों के कुल वजन को दर्शाता है।
- सीधा पिरामिड: जैसे जंगल, जहाँ पौधों का बायोमास अधिक।
- उल्टा पिरामिड: जलीय पारिस्थितिकी तंत्र, जहाँ फाइटोप्लांकटन का बायोमास कम और उपभोक्ताओं का अधिक।
- ऊर्जा का पिरामिड (Pyramid of Energy):
- ऊर्जा प्रवाह को दर्शाता है।
- यह हमेशा सीधा होता है क्योंकि ऊर्जा की हानि होती है।
- संख्या का पिरामिड (Pyramid of Numbers):
पारिस्थितिक उत्तराधिकार (Ecological Succession)
परिभाषा (Definition)
यह प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा पारिस्थितिक तंत्र समय के साथ एक समुदाय से दूसरे समुदाय में बदलता है।
प्रकार (Types)
- प्राथमिक उत्तराधिकार (Primary Succession):
- नई भूमि पर जीवन का विकास।
- उदाहरण: लावा प्रवाह पर पौधों का विकास।
- द्वितीयक उत्तराधिकार (Secondary Succession):
- पहले से मौजूद लेकिन क्षतिग्रस्त भूमि पर जीवन का पुनः विकास।
- उदाहरण: जंगल की आग के बाद।
चरण (Stages)
- पायनियर चरण (Pioneer Stage):
- शुरुआती जीव जैसे लाइकेन और शैवाल।
- मध्य चरण (Intermediate Stage):
- झाड़ियाँ और छोटे पौधे।
- स्थिर अवस्था (Climax Stage):
- पूर्ण विकसित वन।
जैव-भूरासायनिक चक्र (Biogeochemical Cycles)
जैव-भूरासायनिक चक्र पर्यावरण में पोषक तत्वों के चक्रण को संदर्भित करता है। यह जीवन और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
1. कार्बन चक्र (Carbon Cycle)
- परिभाषा:
पर्यावरण में कार्बन का चक्रण। - चरण (Steps):
- उत्सर्जन: जीवाश्म ईंधन जलाने से CO₂ का उत्सर्जन।
- प्रकाश संश्लेषण: पौधे CO₂ को अवशोषित करते हैं।
- श्वसन: जीव CO₂ छोड़ते हैं।
- तथ्य:
- वायुमंडल में CO₂ की मात्रा 0.04% है।
- मानव गतिविधियों से वार्षिक CO₂ उत्सर्जन 35 गीगाटन है।
2. नाइट्रोजन चक्र (Nitrogen Cycle)
- परिभाषा:
पर्यावरण में नाइट्रोजन का चक्रण। - चरण (Steps):
- नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation): बैक्टीरिया द्वारा वायुमंडलीय N₂ को अमोनिया में बदलना।
- नाइट्रिफिकेशन (Nitrification): अमोनिया को नाइट्रेट में बदलना।
- अमोनिफिकेशन (Ammonification): मृत जीवों से अमोनिया का उत्पादन।
- डी-नाइट्रिफिकेशन (Denitrification): नाइट्रेट को वायुमंडलीय N₂ में बदलना।
- तथ्य:
- वायुमंडल में नाइट्रोजन की मात्रा 78% है।
3. फॉस्फोरस चक्र (Phosphorus Cycle)
- परिभाषा:
पृथ्वी की चट्टानों और मिट्टी से फॉस्फोरस का चक्रण। - चरण (Steps):
- अपक्षय (Weathering): चट्टानों से फॉस्फोरस का रिसाव।
- शोषण (Absorption): पौधों द्वारा फॉस्फेट का उपयोग।
- अपघटन (Decomposition): मृत जीवों से फॉस्फोरस का पुनर्चक्रण।
- महत्व:
- फॉस्फोरस पौधों और जीवों के डीएनए और आरएनए का हिस्सा है।
4. जल चक्र (Water Cycle)
- परिभाषा:
जल का वायुमंडल, भूमि और जल निकायों के बीच चक्रण। - चरण (Steps):
- वाष्पीकरण (Evaporation): जल का भाप में बदलना।
- संघनन (Condensation): भाप का बादलों में बदलना।
- वर्षा (Precipitation): बारिश या बर्फ के रूप में पानी का गिरना।
- बहाव (Runoff): भूमि से जल का जल निकायों में पहुँचना।
- तथ्य:
- पृथ्वी की सतह का 71% जल से ढका है।
- कुल जल का केवल 3% मीठा जल है।
पारितंत्र गतिकी जीवन और पर्यावरण के बीच ऊर्जा और पोषक तत्वों के प्रवाह को समझने में मदद करती है। ऊर्जा प्रवाह, पारिस्थितिक उत्तराधिकार, और जैव-भूरासायनिक चक्र पारिस्थितिकी तंत्र को स्थिर और संतुलित बनाए रखते हैं। इन चक्रों का अध्ययन पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।