भारत में पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के लिए विभिन्न कानून और विनियम लागू किए गए हैं। ये अधिनियम पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान करने और सतत विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
1. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 (Environment Protection Act, 1986)
परिचय (Introduction)
यह अधिनियम 1984 भोपाल गैस त्रासदी के बाद पर्यावरणीय आपदाओं को रोकने और पर्यावरणीय संरक्षण के लिए लागू किया गया।
- इसे पर्यावरणीय मुद्दों पर भारत का छाता अधिनियम (Umbrella Act) माना जाता है।
उद्देश्य (Objectives)
- पर्यावरण की सुरक्षा और सुधार।
- प्रदूषण निवारण, नियंत्रण, और कमी।
- औद्योगिक अपशिष्ट और रासायनिक पदार्थों के प्रबंधन के लिए मानक स्थापित करना।
प्रमुख प्रावधान (Key Provisions)
- केन्द्रीय सरकार की शक्तियाँ:
- प्रदूषण नियंत्रण के लिए नियम और मानक बनाना।
- पर्यावरणीय गुणवत्ता मानक:
- जल, वायु, और मिट्टी की गुणवत्ता के मानकों को लागू करना।
- प्रदूषण पर दंड:
- अधिनियम का उल्लंघन करने पर 5 वर्ष का कारावास या ₹1 लाख तक का जुर्माना।
महत्त्वपूर्ण तथ्य (Key Facts)
- यह अधिनियम पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) की प्रक्रिया को लागू करता है।
- इसे 19 नवंबर 1986 को अधिसूचित किया गया।
सरकारी कदम (Government Steps)
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT), 2010:
- पर्यावरणीय मुद्दों पर त्वरित न्याय।
- पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA):
- परियोजनाओं के पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन।
2. जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 (Water (Prevention and Control of Pollution) Act, 1974)
परिचय (Introduction)
यह अधिनियम जल प्रदूषण को रोकने और नियंत्रित करने के लिए भारत का पहला कानून है।
उद्देश्य (Objectives)
- जल स्रोतों को प्रदूषण से बचाना।
- जल प्रदूषण के रोकथाम और नियंत्रण के लिए केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की स्थापना।
- पीने के पानी, सिंचाई, और औद्योगिक उपयोग के लिए जल की गुणवत्ता बनाए रखना।
प्रमुख प्रावधान (Key Provisions)
- प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Pollution Control Boards):
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCBs) की स्थापना।
- अधिकार:
- प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई।
- प्रदूषण पर दंड:
- जल प्रदूषण फैलाने पर ₹10,000 जुर्माना या 3 महीने तक की सजा।
महत्त्वपूर्ण तथ्य (Key Facts)
- भारत की 70% नदियाँ प्रदूषित मानी जाती हैं।
- गंगा नदी के संरक्षण के लिए नमामि गंगे मिशन (2014) शुरू किया गया।
सरकारी पहल (Government Initiatives)
- नमामि गंगे प्रोजेक्ट:
- गंगा नदी की सफाई और पुनर्जीवन।
- राष्ट्रीय जल गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम (NWQMP)।
3. वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 (Air (Prevention and Control of Pollution) Act, 1981)
परिचय (Introduction)
यह अधिनियम भारत में वायु प्रदूषण को रोकने और नियंत्रित करने के लिए लागू किया गया।
- इसे 1974 के जल अधिनियम से प्रेरणा लेकर तैयार किया गया।
उद्देश्य (Objectives)
- वायु प्रदूषण नियंत्रण।
- हानिकारक गैसों और धूल कणों के उत्सर्जन को रोकना।
- CPCB और SPCBs को वायु प्रदूषण के निगरानी के लिए शक्तियाँ प्रदान करना।
प्रमुख प्रावधान (Key Provisions)
- प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की स्थापना।
- वायु गुणवत्ता मानकों की निगरानी।
- वायु प्रदूषण पर दंड:
- वायु प्रदूषण के लिए ₹1 लाख जुर्माना या 6 साल तक की सजा।
- वायु प्रदूषण क्षेत्रों की पहचान:
- प्रदूषित क्षेत्रों को नियंत्रित क्षेत्र के रूप में चिन्हित करना।
महत्त्वपूर्ण तथ्य (Key Facts)
- 2019 में भारत के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली, कानपुर, और लखनऊ शामिल थे।
- Bharat Stage-VI (BS-VI) उत्सर्जन मानक 2020 में लागू किया गया।
सरकारी कदम (Government Initiatives)
- राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP):
- वायु प्रदूषण को 2024 तक 20-30% कम करने का लक्ष्य।
- एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम:
- प्रमुख शहरों में AQI का डेटा एकत्र करना।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986, जल अधिनियम, 1974, और वायु अधिनियम, 1981 भारत के पर्यावरण संरक्षण के लिए आधारशिला हैं। इन कानूनों ने प्रदूषण को नियंत्रित करने और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रभावी कार्यान्वयन और सामुदायिक भागीदारी के साथ, इन कानूनों का उद्देश्य भारत के प्राकृतिक संसाधनों और मानव स्वास्थ्य की रक्षा करना है।