1. पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forest and Climate Change – MoEFCC)
परिचय (Introduction)
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) भारत सरकार का प्रमुख मंत्रालय है, जो पर्यावरणीय संरक्षण, वन प्रबंधन, और जलवायु परिवर्तन के नीतिगत ढांचे का कार्यान्वयन सुनिश्चित करता है।
- स्थापना: 1985।
- मुख्यालय: नई दिल्ली।
उद्देश्य (Objectives)
- पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास को बढ़ावा देना।
- वनों, जैव विविधता, और वन्यजीवों का संरक्षण।
- जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नीतियाँ तैयार करना।
प्रमुख कार्य (Key Functions)
- नीति निर्माण और कार्यान्वयन (Policy Formulation and Implementation):
- पर्यावरण और वन संबंधित अधिनियमों का प्रबंधन।
- उदाहरण: पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986।
- जलवायु परिवर्तन प्रबंधन (Climate Change Management):
- भारत की राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs) को लागू करना।
- जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) का संचालन।
- पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (Environmental Impact Assessment – EIA):
- बड़ी परियोजनाओं के पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग (International Cooperation):
- पेरिस समझौता (2015) और क्योटो प्रोटोकॉल के तहत भारत की भूमिका सुनिश्चित करना।
महत्त्वपूर्ण पहल (Key Initiatives)
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal – NGT):
- पर्यावरणीय विवादों का त्वरित निपटारा।
- पर्यावरण स्वीकृति प्रणाली:
- औद्योगिक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए मंजूरी।
- CAMPA (Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority):
- क्षतिपूरक वनीकरण और वन भूमि संरक्षण।
महत्त्वपूर्ण तथ्य (Key Facts)
- MoEFCC ने 2021 में भारत की ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन तीव्रता को 33-35% तक कम करने का लक्ष्य रखा।
- जलवायु वित्त पोषण के लिए MoEFCC ने 2022 में ₹20,000 करोड़ का आवंटन किया।
2. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board – CPCB)
परिचय (Introduction)
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) भारत में वायु, जल, और मिट्टी के प्रदूषण की निगरानी और नियंत्रण के लिए एक प्रमुख वैधानिक निकाय है।
- स्थापना: 1974 (जल अधिनियम, 1974 के तहत)।
- मुख्यालय: नई दिल्ली।
उद्देश्य (Objectives)
- प्रदूषण नियंत्रण:
- जल, वायु, और मृदा की गुणवत्ता बनाए रखना।
- प्रदूषण पर जागरूकता:
- जनता को प्रदूषण के खतरों के बारे में शिक्षित करना।
प्रमुख कार्य (Key Functions)
- प्रदूषण निगरानी (Pollution Monitoring):
- राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम (NAQMP) के तहत वायु गुणवत्ता पर नजर रखना।
- जल गुणवत्ता निगरानी के लिए नदी और जल स्रोतों का विश्लेषण।
- प्रदूषण नियंत्रण मानक (Pollution Control Standards):
- वायु और जल गुणवत्ता के मानक तैयार करना।
- उदाहरण: PM2.5 और PM10 की सुरक्षित सीमा।
- औद्योगिक प्रदूषण पर नियंत्रण (Industrial Pollution Control):
- उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट और प्रदूषण पर कार्रवाई।
- अधिनियमों का कार्यान्वयन (Implementation of Acts):
- जल (1974), वायु (1981), और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (1986) को लागू करना।
महत्त्वपूर्ण पहल (Key Initiatives)
- राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP):
- 2024 तक वायु प्रदूषण में 20-30% तक कमी का लक्ष्य।
- गंगा स्वच्छता अभियान:
- नमामि गंगे मिशन के तहत गंगा नदी की सफाई।
- ठोस और प्लास्टिक कचरा प्रबंधन:
- अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 का कार्यान्वयन।
महत्त्वपूर्ण तथ्य (Key Facts)
- CPCB के अनुसार, 2022 में भारत के 122 शहरों को प्रदूषित घोषित किया गया।
- CPCB की निगरानी प्रणाली के तहत भारत में 1,200 वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्र हैं।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal – NGT)
परिचय (Introduction)
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) भारत का एक विशेष न्यायिक निकाय है, जो पर्यावरण संरक्षण, वन्यजीव संरक्षण, और प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग से संबंधित मामलों का त्वरित निपटान करता है।
- स्थापना: 18 अक्टूबर 2010।
- कानूनी आधार: राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010।
- मुख्यालय: नई दिल्ली।
- NGT को पर्यावरणीय विवादों को सुलझाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) के तहत कार्यान्वित किया गया।
उद्देश्य (Objectives)
- पर्यावरणीय संरक्षण और पुनर्स्थापना।
- पर्यावरणीय कानूनों के उल्लंघन के मामलों का निपटान।
- पर्यावरणीय विवादों में त्वरित न्याय।
- सतत विकास और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करना।
सुविधाएँ (Features)
- विशेष न्यायालय (Special Tribunal):
- केवल पर्यावरणीय मामलों के लिए स्थापित।
- एक्सपर्ट मेंबर्स (Expert Members):
- NGT में न्यायाधीशों के साथ पर्यावरणीय विशेषज्ञ होते हैं।
- त्वरित न्याय (Expeditious Justice):
- पर्यावरणीय विवादों को अधिकतम 6 महीने के भीतर निपटाना।
- पर्यावरणीय कानूनों का कार्यान्वयन (Implementation of Environmental Laws):
- वायु अधिनियम, 1981।
- जल अधिनियम, 1974।
- वन संरक्षण अधिनियम, 1980।
संरचना (Structure)
- अध्यक्ष (Chairperson):
- सेवानिवृत्त न्यायाधीश।
- वर्तमान में (2023): सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल।
- न्यायिक सदस्य (Judicial Members):
- उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश।
- विशेषज्ञ सदस्य (Expert Members):
- पर्यावरण, वन्यजीव, और तकनीकी विशेषज्ञ।
महत्त्वपूर्ण फैसले (Key Judgments)
- यमुना और गंगा नदी संरक्षण:
- गंगा और यमुना नदी को स्वच्छ बनाने के लिए कई निर्देश।
- नमामि गंगे परियोजना के तहत निगरानी।
- अवैध खनन:
- उत्तराखंड और गोवा में अवैध खनन पर रोक।
- दिल्ली में कचरा प्रबंधन:
- कचरा प्रबंधन प्रणाली को मजबूत करने के लिए सख्त निर्देश।
- स्टर्लाइट कॉपर प्लांट बंद (Sterlite Copper Plant Closure):
- तमिलनाडु में प्रदूषण फैलाने के कारण संयंत्र बंद।
महत्त्वपूर्ण तथ्य (Key Facts)
- NGT के क्षेत्रीय पीठ (Regional Benches):
- पश्चिमी क्षेत्र: पुणे।
- पूर्वी क्षेत्र: कोलकाता।
- दक्षिणी क्षेत्र: चेन्नई।
- मध्य क्षेत्र: भोपाल।
- NGT का मुख्य कार्य:
- पर्यावरणीय विवादों का त्वरित समाधान।
- भारत में NGT का महत्व:
- भारत विश्व में चौथा ऐसा देश है जिसने पर्यावरणीय विवादों के लिए विशेष न्यायाधिकरण स्थापित किया।
सीमाएँ (Limitations)
- प्रवर्तन क्षमता की कमी (Enforcement Issues):
- कई बार NGT के आदेशों का कार्यान्वयन प्रभावी रूप से नहीं होता।
- वित्तीय और मानव संसाधनों की कमी (Lack of Financial and Human Resources)।
- संविधानिक चुनौतियाँ (Constitutional Challenges):
- कई बार इसके अधिकार क्षेत्र को लेकर विवाद।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) भारत में पर्यावरणीय संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के प्रमुख स्तंभ हैं। ये संस्थाएँ न केवल पर्यावरणीय मानकों को लागू करती हैं, बल्कि जागरूकता और सतत विकास के लिए नीतिगत दिशानिर्देश भी प्रदान करती हैं। इनकी प्रभावी भूमिका भारत को पर्यावरणीय संकट से निपटने और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) भारत में पर्यावरणीय विवादों के समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण संस्था है। यह पर्यावरणीय कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन और सतत विकास को सुनिश्चित करता है। हालांकि, इसके प्रभावी संचालन के लिए वित्तीय और नीतिगत समर्थन को और मजबूत करना आवश्यक है।