क्योटो प्रोटोकॉल (Kyoto Protocol)
परिचय (Introduction)
क्योटो प्रोटोकॉल 1997 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के तहत ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए एक कानूनी समझौता है।
- लागू हुआ: 16 फरवरी 2005।
- प्रमुख उद्देश्य: 1990 के स्तर से औद्योगिक देशों के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 5% तक कम करना।
मुख्य विशेषताएँ (Key Features)
- बाध्यकारी लक्ष्यों (Binding Targets):
- 37 औद्योगिक देशों और यूरोपीय संघ के लिए बाध्यकारी उत्सर्जन लक्ष्य।
- लचीले तंत्र (Flexible Mechanisms):
- सफाई विकास तंत्र (CDM): विकासशील देशों में परियोजनाओं के माध्यम से उत्सर्जन क्रेडिट अर्जित करना।
- संयुक्त कार्यान्वयन (Joint Implementation): औद्योगिक देशों के बीच क्रेडिट साझा करना।
- कार्बन व्यापार (Carbon Trading)।
भारत और क्योटो प्रोटोकॉल
- भारत ने क्योटो प्रोटोकॉल पर 2002 में हस्ताक्षर किए।
- भारत को गैर-एनेक्स I देशों की श्रेणी में रखा गया, जिसमें उत्सर्जन कम करने के बाध्यकारी लक्ष्य नहीं थे।
पेरिस समझौता (Paris Agreement)
परिचय (Introduction)
पेरिस समझौता 2015 में UNFCCC के तहत जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौता है।
- लागू हुआ: 4 नवंबर 2016।
- मुख्य उद्देश्य:
- वैश्विक तापमान वृद्धि को 2°C से कम और 1.5°C तक सीमित करने का प्रयास।
मुख्य विशेषताएँ (Key Features)
- राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs):
- प्रत्येक देश अपनी जलवायु कार्रवाई योजनाएँ प्रस्तुत करता है।
- जलवायु वित्तपोषण (Climate Finance):
- विकसित देश विकासशील देशों को हरित प्रौद्योगिकी और अनुकूलन के लिए 100 बिलियन डॉलर प्रतिवर्ष प्रदान करेंगे।
- कार्बन न्यूट्रैलिटी (Carbon Neutrality):
- 2050 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में शुद्ध-शून्य लक्ष्य।
भारत और पेरिस समझौता
- भारत ने पेरिस समझौते को 2016 में अनुमोदित किया।
- भारत ने अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs) प्रस्तुत किए।
भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (India’s NDCs)
परिचय (Introduction)
NDCs प्रत्येक देश की जलवायु कार्रवाई योजनाएँ हैं, जो पेरिस समझौते के तहत प्रस्तुत की जाती हैं।
भारत के प्रमुख NDCs (Key NDCs)
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन तीव्रता में कमी:
- 2030 तक GDP के प्रति यूनिट उत्सर्जन तीव्रता को 45% तक कम करना।
- तथ्य: 2005 के स्तर की तुलना में।
- गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता:
- 2030 तक कुल ऊर्जा क्षमता का 50% गैर-जीवाश्म स्रोतों से प्राप्त करना।
- उदाहरण: सौर और पवन ऊर्जा।
- कार्बन सिंक का निर्माण:
- वनों और वृक्षों के माध्यम से 2.5-3 बिलियन टन CO₂ का अतिरिक्त अवशोषण।
- स्वच्छ ऊर्जा कार्यक्रम:
- राष्ट्रीय सौर मिशन: 2030 तक 500 GW नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य।
भारत की प्रगति (India’s Progress)
- नवीकरणीय ऊर्जा:
- 2022 तक भारत ने 175 GW नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित की।
- सौर ऊर्जा:
- भारत के राजस्थान के जोधपुर ज़िले में स्थित भड़ला सोलर पार्क दुनिया का सबसे बड़ा सौर पार्क है।
- जलवायु वित्तपोषण:
- भारत ने ISA (International Solar Alliance) की स्थापना में नेतृत्व किया।
क्योटो प्रोटोकॉल और पेरिस समझौता जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक प्रयासों के स्तंभ हैं। भारत ने अपनी जलवायु प्रतिबद्धताओं के तहत हरित ऊर्जा, कार्बन अवशोषण, और उत्सर्जन कटौती के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। सतत विकास और वैश्विक सहयोग के माध्यम से जलवायु संकट को नियंत्रित करना ही भविष्य की दिशा है।