भारत में जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण के लिए एक मजबूत विधिक और नीतिगत ढांचा स्थापित किया गया है। इसमें वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 और जैव विविधता अधिनियम, 2002 जैसे कानून शामिल हैं, जो वनस्पतियों और जीव-जंतुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (Wildlife Protection Act, 1972)
उद्देश्य (Objective)
यह अधिनियम वन्यजीवों की प्रजातियों, उनके आवास, और पारिस्थितिकी को संरक्षण प्रदान करता है।
- यह शिकार, व्यापार, और वन्यजीव उत्पादों के उपयोग पर नियंत्रण करता है।
प्रमुख प्रावधान (Key Provisions)
- संरक्षित क्षेत्र (Protected Areas):
- राष्ट्रीय उद्यान (National Parks), वन्यजीव अभयारण्य (Wildlife Sanctuaries), और बायोस्फीयर रिज़र्व का प्रावधान।
- तथ्य: भारत में कुल 106 राष्ट्रीय उद्यान और 567 वन्यजीव अभयारण्य हैं।
- वन्यजीवों का शिकार प्रतिबंध (Hunting Ban):
- किसी भी अनुसूची-I या II की प्रजाति के शिकार पर पूर्ण प्रतिबंध।
- वन्यजीवों का व्यापार और संरक्षण (Trade and Conservation):
- संरक्षित प्रजातियों के अवैध व्यापार और तस्करी पर कठोर दंड।
- राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (National Board for Wildlife):
- वन्यजीव संरक्षण योजनाओं को सलाह और दिशा प्रदान करने के लिए स्थापित।
- अध्यक्ष: भारत के प्रधानमंत्री।
- वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (Wildlife Crime Control Bureau):
- अवैध शिकार और तस्करी की रोकथाम।
अधिनियम की अनुसूचियाँ (Schedules of the Act)
- अनुसूची-I और II: अत्यधिक संरक्षित प्रजातियाँ (जैसे बाघ, गैंडा)।
- अनुसूची-III और IV: सामान्य संरक्षित प्रजातियाँ।
- अनुसूची-V: वे प्रजातियाँ जिनका शिकार अनुमति है (जैसे चूहा)।
- अनुसूची-VI: संरक्षित पौधों की सूची।
महत्त्वपूर्ण तथ्य (Key Facts)
- 1972 में लागू हुआ और इसमें 6 बार संशोधन किया गया, अंतिम बार 2021 में।
- बाघों की सुरक्षा के लिए प्रोजेक्ट टाइगर (1973) इसी अधिनियम के तहत शुरू किया गया।
- भारत में बाघों की संख्या (2022): 3,167।
जैव विविधता अधिनियम, 2002 (Biological Diversity Act, 2002)
उद्देश्य (Objective)
यह अधिनियम जैव विविधता के संरक्षण, सतत उपयोग, और जैविक संसाधनों से प्राप्त लाभों के समान वितरण को सुनिश्चित करता है।
प्रमुख प्रावधान (Key Provisions)
- राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (National Biodiversity Authority – NBA):
- स्थापना: 2003।
- मुख्यालय: चेन्नई।
- यह अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार है और विदेशी संगठनों द्वारा जैविक संसाधनों के उपयोग पर नियंत्रण रखता है।
- राज्य जैव विविधता बोर्ड (State Biodiversity Boards):
- राज्य स्तर पर जैव विविधता प्रबंधन सुनिश्चित करते हैं।
- तथ्य: 2022 तक भारत में 29 राज्य जैव विविधता बोर्ड हैं।
- जैव विविधता प्रबंधन समिति (Biodiversity Management Committees – BMCs):
- ग्राम पंचायत स्तर पर स्थापित।
- यह पीपुल्स बायोडायवर्सिटी रजिस्टर (PBR) बनाए रखती है।
- अनुमति और लाभ-साझाकरण (Access and Benefit Sharing – ABS):
- जैविक संसाधनों के उपयोग से प्राप्त लाभ स्थानीय समुदायों के साथ साझा करना।
- उदाहरण: भारतीय जड़ी-बूटियों से निर्मित विदेशी दवाओं के मुनाफे का हिस्सा।
- विदेशी कंपनियों पर नियंत्रण (Regulation on Foreign Companies):
- विदेशी कंपनियाँ भारतीय जैविक संसाधनों का उपयोग बिना अनुमति नहीं कर सकतीं।
महत्त्वपूर्ण तथ्य (Key Facts)
- भारत में जैव विविधता संरक्षण के लिए यह पहला समग्र अधिनियम है।
- यह 1992 में रियो डि जेनेरियो में जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन से प्रेरित है।
- भारत में कुल 8 जैव विविधता हॉटस्पॉट हैं।
राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (National Biodiversity Authority – NBA)
परिचय (Introduction)
राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA) भारत में जैव विविधता अधिनियम, 2002 के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है। इसका मुख्य उद्देश्य जैव विविधता के संरक्षण, सतत उपयोग, और जैविक संसाधनों से प्राप्त लाभों को समान रूप से साझा करना है।
स्थापना और मुख्यालय (Establishment and Headquarters)
- स्थापना: 2003।
- मुख्यालय: चेन्नई, तमिलनाडु।
कार्य (Functions)
- जैविक संसाधनों पर नियंत्रण (Regulation on Biological Resources):
- विदेशी संगठनों और व्यक्तियों द्वारा जैव संसाधनों के उपयोग की निगरानी।
- लाभ-साझाकरण (Benefit Sharing):
- जैविक संसाधनों और पारंपरिक ज्ञान के उपयोग से प्राप्त लाभ स्थानीय समुदायों को वितरित करना।
- नीति निर्माण (Policy Making):
- जैव विविधता संरक्षण के लिए नीतियाँ और दिशा-निर्देश तैयार करना।
- जैव विविधता रजिस्टर (Biodiversity Register):
- पीपुल्स बायोडायवर्सिटी रजिस्टर (PBR) तैयार करने में सहायता।
महत्त्वपूर्ण तथ्य (Key Facts)
- NBA भारत सरकार, राज्य जैव विविधता बोर्ड, और स्थानीय स्तर की जैव विविधता प्रबंधन समितियों के बीच समन्वय करता है।
- यह जैविक संसाधनों के अवैध व्यापार को नियंत्रित करता है।
अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ (International Conventions)
1. जैव विविधता संधि (Convention on Biological Diversity – CBD)
परिचय (Introduction)
- स्थापना: 1992, रियो डि जेनेरियो पृथ्वी शिखर सम्मेलन।
- भारत ने 1994 में इस संधि को अनुमोदित किया।
- यह जैव विविधता संरक्षण और जैविक संसाधनों के सतत उपयोग को बढ़ावा देता है।
मुख्य उद्देश्य (Main Objectives)
- जैव विविधता का संरक्षण।
- सतत उपयोग।
- लाभ-साझाकरण।
महत्त्वपूर्ण पहल (Key Initiatives)
- नागोया प्रोटोकॉल (2010):
जैव संसाधनों के उपयोग से लाभों का समान वितरण। - कार्टाजेना प्रोटोकॉल (2003):
जैव प्रौद्योगिकी के सुरक्षित उपयोग को सुनिश्चित करना।
2. रामसर संधि (Ramsar Convention)
परिचय (Introduction)
- स्थापना: 1971, रामसर (ईरान)।
- यह संधि आर्द्रभूमियों (Wetlands) के संरक्षण और उनके सतत उपयोग पर केंद्रित है।
महत्त्वपूर्ण तथ्य (Key Facts)
- भारत ने 1982 में इस संधि को अनुमोदित किया।
- भारत में 2023 तक 75 रामसर स्थल हैं।
- प्रमुख स्थल:
- चिल्का झील (ओडिशा)।
- सुंदरबन (पश्चिम बंगाल)।
उद्देश्य (Objectives)
- आर्द्रभूमियों का संरक्षण।
- जैव विविधता के लिए आर्द्रभूमियों का महत्व बढ़ाना।
3. साइट्स (CITES – Convention on International Trade in Endangered Species)
परिचय (Introduction)
- स्थापना: 1973, वाशिंगटन डी.सी।
- यह संधि संकटग्रस्त वनस्पतियों और जीव-जंतुओं के अंतरराष्ट्रीय व्यापार को विनियमित करती है।
- भारत ने 1976 में इस संधि को अपनाया।
प्रमुख प्रावधान (Key Provisions)
- अनुबंध की अनुसूचियाँ (Appendices):
- अनुबंध-I: विलुप्ति के कगार पर प्रजातियाँ (जैसे, बाघ)।
- अनुबंध-II: व्यापार के लिए नियंत्रित प्रजातियाँ।
- अनुबंध-III: किसी सदस्य देश द्वारा संरक्षित प्रजातियाँ।
महत्त्वपूर्ण उदाहरण (Key Examples)
- हाथी दांत और बाघ की खाल के व्यापार पर प्रतिबंध।
- मैकाव तोता और लाल लकड़ी का संरक्षण।
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 और जैव विविधता अधिनियम, 2002 भारत के जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिए प्रमुख कानूनी साधन हैं। इन कानूनों ने संकटग्रस्त प्रजातियों, जैविक संसाधनों और पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण को बढ़ावा दिया है। हालाँकि, इन कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन और स्थानीय समुदायों की भागीदारी को सुनिश्चित करना भविष्य में इनके सफल परिणामों के लिए आवश्यक है। राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण जैव विविधता के संरक्षण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ जैसे CBD, रामसर संधि, और CITES वैश्विक स्तर पर जैव विविधता के संरक्षण को सुनिश्चित करती हैं। इन संधियों के तहत भारत ने संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन इनके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए मजबूत विधिक और संस्थागत ढाँचा आवश्यक है।