परिचय (Introduction)
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए शमन (Mitigation) और अनुकूलन (Adaptation) दोनों ही आवश्यक हैं।
- शमन (Mitigation) का लक्ष्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना है।
- अनुकूलन (Adaptation) के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए लचीलापन विकसित किया जाता है।
1. कार्बन अवशोषण (Carbon Sequestration)
परिभाषा (Definition)
कार्बन अवशोषण का अर्थ है वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) को अवशोषित करके उसे दीर्घकालिक भंडारण में रखना।
- यह प्राकृतिक और कृत्रिम दोनों तरीकों से हो सकता है।
प्रमुख विधियाँ (Methods)
- प्राकृतिक अवशोषण (Natural Sequestration):
- वनीकरण (Afforestation) और पुनर्वनीकरण (Reforestation)।
- जैविक कार्बन भंडारण (Biological Carbon Storage):
- समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र जैसे मैंग्रोव और समुद्री घास।
- कृत्रिम अवशोषण (Artificial Sequestration):
- कार्बन कैप्चर और स्टोरेज (CCS):
- CO₂ को पकड़कर भूगर्भीय भंडारण में सुरक्षित रखना।
- उदाहरण: नॉर्वे के स्लेपनर प्रोजेक्ट (Sleipner Project)।
- कार्बन कैप्चर और स्टोरेज (CCS):
महत्त्वपूर्ण तथ्य (Key Facts)
- वनों और मिट्टी द्वारा वैश्विक CO₂ का 25% तक अवशोषण किया जाता है।
- भारत में राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम को बढ़ावा दिया गया है।
2. हरित ऊर्जा (Green Energy)
परिचय (Introduction)
हरित ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त होती है, जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करती है।
प्रमुख स्रोत (Major Sources)
- सौर ऊर्जा (Solar Energy):
- सूर्य के प्रकाश से ऊर्जा का उत्पादन।
- उदाहरण: भारत का चरखा सोलर प्लांट (Charanka Solar Park), गुजरात।
- तथ्य:
- 2022 में भारत की सौर ऊर्जा क्षमता 60 GW तक पहुँच चुकी थी।
- पवन ऊर्जा (Wind Energy):
- हवा के प्रवाह से बिजली का उत्पादन।
- उदाहरण: भारत का जैसलमेर पवन ऊर्जा संयंत्र (Jaisalmer Wind Power Plant)।
- तथ्य:
- भारत पवन ऊर्जा उत्पादन में चौथे स्थान पर है।
- जलविद्युत (Hydropower):
- बहते पानी की शक्ति से ऊर्जा का उत्पादन।
- उदाहरण: तेहरी बांध (उत्तराखंड)।
- तथ्य:
- भारत की जलविद्युत क्षमता 46 GW है।
सरकारी पहल (Government Initiatives)
- राष्ट्रीय सौर मिशन (2010): 2030 तक 280 GW सौर ऊर्जा का लक्ष्य।
- राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति (2018): सौर और पवन ऊर्जा संयोजनों को बढ़ावा देना।
3. कार्बन व्यापार और कार्बन कर (Carbon Trading and Carbon Tax)
कार्बन व्यापार (Carbon Trading)
परिभाषा (Definition)
कार्बन व्यापार एक बाज़ार-आधारित तंत्र है, जिसमें देशों और कंपनियों को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर सीमा निर्धारित की जाती है और अतिरिक्त उत्सर्जन अधिकारों की खरीद-फरोख्त की अनुमति दी जाती है।
- इसे कैप-एंड-ट्रेड सिस्टम भी कहा जाता है।
महत्त्वपूर्ण तथ्य (Key Facts)
- यूरोपीय संघ का EU Emissions Trading System (ETS) दुनिया का सबसे बड़ा कार्बन बाज़ार है।
- भारत में कार्बन व्यापार को बढ़ावा देने के लिए परफॉर्म, अचीव एंड ट्रेड (PAT) योजना लागू की गई है।
कार्बन कर (Carbon Tax)
परिभाषा (Definition)
कार्बन कर वह कर है, जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए जीवाश्म ईंधनों के उपयोग पर लगाया जाता है।
- यह प्रदूषण फैलाने वालों को दंडित करने और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है।
उदाहरण (Examples)
- स्वीडन ने 1991 में कार्बन कर लागू किया।
- भारत में कोयला उपकर (Coal Cess) के रूप में कार्बन कर लगाया जाता है।
महत्त्व (Importance)
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को नियंत्रित करना।
- स्वच्छ ऊर्जा को प्रोत्साहन देना।
- जलवायु वित्तपोषण (Climate Financing) के लिए धन उत्पन्न करना।
शमन और अनुकूलन रणनीतियाँ जलवायु परिवर्तन से निपटने में अत्यधिक प्रभावी हैं। कार्बन अवशोषण, हरित ऊर्जा, और कार्बन व्यापार जैसी नीतियाँ ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को नियंत्रित करने और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद करती हैं। भारत जैसे देश इन नीतियों के माध्यम से सतत विकास की दिशा में अग्रसर हैं।