पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 (Environment Protection Act, 1986)
परिचय (Introduction)
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 भारत का व्यापक पर्यावरणीय कानून है, जिसे 1984 के भोपाल गैस त्रासदी के बाद पर्यावरणीय सुरक्षा के लिए लागू किया गया।
- यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 48A और 51A(g) के तहत भारत के नागरिकों और सरकार के पर्यावरण संरक्षण कर्तव्यों को मजबूत करता है।
उद्देश्य (Objectives)
- पर्यावरण की रक्षा और सुधार।
- पर्यावरणीय प्रदूषण को रोकना और नियंत्रित करना।
- प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई।
प्रमुख प्रावधान (Key Provisions)
- पर्यावरणीय गुणवत्ता मानक (Environmental Quality Standards):
- जल, वायु, और मिट्टी की गुणवत्ता के मानक स्थापित करना।
- प्रदूषण नियंत्रण उपाय (Pollution Control Measures):
- औद्योगिक और खतरनाक अपशिष्ट का प्रबंधन।
- रेडियोधर्मी पदार्थों और रासायनिक प्रदूषकों का विनियमन।
- केन्द्रीय सरकार की शक्तियाँ (Powers of Central Government):
- प्रदूषण के कारणों की पहचान और निवारण के लिए नियम बनाना।
- पर्यावरणीय आपात स्थितियों से निपटना।
- पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (Environmental Impact Assessment – EIA):
- बड़े परियोजनाओं के पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन।
दंड प्रावधान (Penalties)
- पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन पर ₹1 लाख तक का जुर्माना या 5 साल का कारावास।
- पर्यावरणीय संकट की स्थिति में दंड कठोर हो सकता है।
महत्त्वपूर्ण तथ्य (Key Facts)
- इसे 19 नवंबर 1986 को अधिसूचित किया गया।
- यह अधिनियम जल अधिनियम (1974) और वायु अधिनियम (1981) को लागू करने के लिए एक छत्र कानून है।
सरकारी पहल (Government Initiatives)
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal – NGT): पर्यावरणीय मुद्दों पर त्वरित न्याय।
- EIA 2020 मसौदा: पर्यावरणीय मंजूरी प्रक्रिया में संशोधन।
वन संरक्षण अधिनियम, 1980 (Forest Conservation Act, 1980)
परिचय (Introduction)
वन संरक्षण अधिनियम, 1980 का उद्देश्य वनों को कटने से बचाना और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखना है। यह कानून वनों के अंधाधुंध दोहन को रोकने के लिए बनाया गया।
उद्देश्य (Objectives)
- वन भूमि के संरक्षण:
- गैर-वानिकी गतिविधियों के लिए वनों के उपयोग को प्रतिबंधित करना।
- जैव विविधता का संरक्षण।
- वन्यजीव आवासों की रक्षा।
प्रमुख प्रावधान (Key Provisions)
- केन्द्रीय स्वीकृति (Central Approval):
- वन भूमि को गैर-वानिकी उपयोग में परिवर्तित करने के लिए केन्द्रीय सरकार की अनुमति आवश्यक है।
- क्षतिपूरक वनीकरण (Compensatory Afforestation):
- वन भूमि के उपयोग के बदले नई भूमि पर वनीकरण अनिवार्य।
- वन अधिकार (Forest Rights):
- आदिवासियों और स्थानीय समुदायों के अधिकारों का संरक्षण।
दंड प्रावधान (Penalties)
- वन भूमि के अवैध उपयोग या कटाई पर ₹10,000 तक का जुर्माना या 6 महीने तक का कारावास।
महत्त्वपूर्ण तथ्य (Key Facts)
- अधिनियम के तहत भारत का वन कवर 2021 तक 24.62% तक पहुँच चुका है।
- भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 21.71% हिस्सा वनाच्छादित है।
सरकारी पहल (Government Initiatives)
- CAMPA (Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority):
- क्षतिपूरक वनीकरण के लिए निधि प्रबंधन।
- राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम:
- वनों की गुणवत्ता और विस्तार।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम और वन संरक्षण अधिनियम भारत के पर्यावरणीय सुरक्षा ढांचे के स्तंभ हैं। ये कानून वनों और पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने के साथ-साथ सतत विकास को बढ़ावा देते हैं। सामुदायिक भागीदारी और नीतिगत सुधारों के साथ, इन कानूनों का प्रभाव और अधिक मजबूत हो सकता है।