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शहरीकरण और इसके पर्यावरणीय प्रभाव (Urbanization and Its Environmental Impacts)

शहरीकरण का अर्थ है ग्रामीण क्षेत्रों का तेजी से शहरी क्षेत्रों में परिवर्तन। यह प्रक्रिया आर्थिक विकास और सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देती है, लेकिन साथ ही पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव डालती है।


1. शहरों में वायु गुणवत्ता (Air Quality in Cities)

परिचय (Introduction)

शहरी क्षेत्रों में बढ़ते वाहनों, औद्योगिक उत्सर्जन, और निर्माण कार्यों के कारण वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है।

  • तथ्य: 2022 में, भारत के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में से 35 विश्व स्तर पर सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल थे।

प्रमुख वायु प्रदूषक (Major Air Pollutants)

  1. PM2.5 और PM10: वाहनों और निर्माण कार्यों से।
  2. नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂): उद्योगों और थर्मल पावर प्लांट्स से।
  3. कार्बन मोनोऑक्साइड (CO): वाहन ईंधन का अपूर्ण दहन।

प्रभाव (Impacts)

  1. स्वास्थ्य पर प्रभाव:
    • श्वसन रोग, अस्थमा, और फेफड़ों का कैंसर।
  2. पर्यावरणीय प्रभाव:
    • अम्लीय वर्षा और वनों का क्षरण।

सरकारी पहल (Government Initiatives)

  1. राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP):
    • 2024 तक वायु प्रदूषण में 20-30% कमी का लक्ष्य।
  2. प्रदूषण रहित वाहन नीति:
    • इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करना।

2. प्लास्टिक प्रदूषण: समुद्री एवं स्थलीय प्रभाव (Plastic Pollution: Marine and Terrestrial Impacts)

परिचय (Introduction)

प्लास्टिक प्रदूषण शहरी क्षेत्रों में ठोस कचरे का एक प्रमुख घटक है, जो समुद्री और स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करता है।

  • तथ्य: भारत में हर साल 3.4 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है।

प्रभाव (Impacts)

  1. समुद्री पारिस्थितिकी (Marine Ecosystem):
    • समुद्री जीव प्लास्टिक निगलने के कारण प्रभावित होते हैं।
    • उदाहरण: समुद्री कछुए प्लास्टिक बैग को जेलीफ़िश समझकर निगल लेते हैं।
  2. स्थलीय पारिस्थितिकी (Terrestrial Ecosystem):
    • मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट।
    • भूजल प्रदूषण।

सरकारी पहल (Government Initiatives)

  1. सिंगल-यूज़ प्लास्टिक प्रतिबंध (2022)।
  2. प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम (Plastic Waste Management Rules, 2016)।

3. शहरी ऊष्मा द्वीप (Urban Heat Islands)

परिभाषा (Definition)

शहरी ऊष्मा द्वीप एक ऐसी घटना है, जहाँ शहरी क्षेत्र आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक गर्म होते हैं।

  • यह कंक्रीट संरचनाओं, वाहन उत्सर्जन, और वनस्पति की कमी के कारण होता है।

प्रभाव (Impacts)

  1. पर्यावरणीय प्रभाव:
    • स्थानीय तापमान में वृद्धि।
    • ऊर्जा खपत में वृद्धि।
  2. स्वास्थ्य पर प्रभाव:
    • हीट स्ट्रोक और श्वसन संबंधी बीमारियाँ।

समाधान (Solutions)

  1. हरित क्षेत्र (Green Spaces) का विकास।
  2. ऊर्जा दक्ष भवन और छतों पर हरियाली।
  3. हीट-रिफ्लेक्टिव पेंट्स का उपयोग।

उदाहरण (Examples)

  • दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव अधिक देखा गया है।

4. शहरी क्षेत्रों में ठोस कचरा एवं अपशिष्ट जल प्रबंधन (Solid Waste and Wastewater Management in Urban Areas)

परिचय (Introduction)

शहरीकरण के कारण ठोस कचरे और अपशिष्ट जल का प्रबंधन एक गंभीर चुनौती बन गया है।

  • तथ्य: भारत हर साल 62 मिलियन टन ठोस कचरा उत्पन्न करता है, जिसमें से केवल 43% का वैज्ञानिक प्रबंधन किया जाता है।

ठोस कचरा प्रबंधन (Solid Waste Management)

  1. वर्तमान स्थिति (Current Scenario):
    • कचरे का पृथक्करण और पुनर्चक्रण सीमित है।
    • लैंडफिल साइट्स पर कचरे का अनियंत्रित ढेर।
  2. सरकारी पहल (Government Initiatives):
    • स्वच्छ भारत मिशन: ठोस कचरे के निपटान में सुधार।
    • कचरा पृथक्करण नियम।

अपशिष्ट जल प्रबंधन (Wastewater Management)

  1. वर्तमान स्थिति (Current Scenario):
    • शहरी क्षेत्रों में उत्पन्न कुल अपशिष्ट जल का 30% से भी कम उपचारित किया जाता है।
    • अनुपचारित जल नदियों और अन्य जल स्रोतों में छोड़ दिया जाता है।
  2. सरकारी पहल (Government Initiatives):
    • नमामि गंगे योजना: गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए।
    • AMRUT योजना: शहरी क्षेत्रों में अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र स्थापित करना।

प्रभाव (Impacts)

  1. पर्यावरणीय प्रभाव:
    • जल स्रोतों का प्रदूषण।
    • मृदा प्रदूषण और जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभाव।
  2. स्वास्थ्य पर प्रभाव:
    • जलजनित रोग, जैसे हैजा और टाइफाइड।

शहरीकरण पर्यावरणीय चुनौतियों के साथ अवसर भी प्रदान करता है। वायु गुणवत्ता, प्लास्टिक प्रदूषण, शहरी ऊष्मा द्वीप, और अपशिष्ट प्रबंधन की समस्याओं को दूर करने के लिए सामुदायिक सहभागिता, सरकारी नीतियाँ, और हरित प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना आवश्यक है। सतत शहरी विकास ही इन समस्याओं का दीर्घकालिक समाधान है।

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