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पादपों में अतिसंयोजी प्रजनन (Asexual Reproduction in Plants)

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पादपों में अतिसंयोजी प्रजनन (Asexual Reproduction in Plants)

पादपों में अतिसंयोजी प्रजनन (Asexual Reproduction in Plants)

🌱 1. परिचय (Introduction)

अतिसंयोजी प्रजनन वह प्रक्रिया है जिसमें पादप बिना बीजों के, स्वयं से ही नई पीढ़ियाँ उत्पन्न करते हैं। इस प्रकार के प्रजनन में आनुवंशिक समानता बनी रहती है, क्योंकि नई पीढ़ी मूल पौधे के समान होती है। अतिसंयोजी प्रजनन के कई प्रकार होते हैं, जैसे कि कच्चे कंद से प्रजनन, छायांकुर (Cuttings), भूसे से प्रजनन (Layering), आदि।

🔄 2. अतिसंयोजी प्रजनन के प्रकार (Types of Asexual Reproduction)

पादपों में अतिसंयोजी प्रजनन के मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं:

  • कच्चे कंद से प्रजनन (Runners or Stolons)
  • छायांकुर (Cuttings)
  • भूसे से प्रजनन (Layering)
  • ट्युबर्स और बल्ब से प्रजनन (Tubers and Bulbs)
  • स्पोर से प्रजनन (Sporogenesis)

2.1. कच्चे कंद से प्रजनन (Runners or Stolons)

कच्चे कंद, जिन्हें Stolons भी कहा जाता है, पादप के तने के सतह पर फैलते हैं और जब वे जमीन के संपर्क में आते हैं, तो वहां नई जड़ें और अंकुर विकसित होते हैं। इस प्रकार से नए पौधे उत्पन्न होते हैं। उदाहरण के लिए, स्ट्रॉबेरी (Strawberry) पौधा इस प्रकार के प्रजनन का उपयोग करता है।

2.2. छायांकुर (Cuttings)

छायांकुर एक प्रकार का अतिसंयोजी प्रजनन है जिसमें पौधे के किसी हिस्से, जैसे कि तने, पत्ते, या जड़ें काटकर उन्हें नए पौधे में परिवर्तित किया जाता है। ये कटे हुए हिस्से पानी या मिट्टी में डालकर अंकुरित होते हैं। उदाहरण के लिए, गुलाब (Rose) पौधा छायांकुर से प्रजनन करता है।

2.3. भूसे से प्रजनन (Layering)

भूसे से प्रजनन में पौधे के किसी तने को जमीन के संपर्क में लाया जाता है, जिससे वहां नई जड़ें उत्पन्न होती हैं और नया पौधा विकसित होता है। इस प्रक्रिया में पौधे को काटने की आवश्यकता नहीं होती है। उदाहरण के लिए, अमरूद (Guava) पौधा भूसे से प्रजनन करता है।

2.4. ट्युबर्स और बल्ब से प्रजनन (Tubers and Bulbs)

ट्युबर्स और बल्ब पौधों के विशेष प्रकार के ऊतक होते हैं जो भोजन संचय करते हैं और नए पौधों के विकास के लिए उपयोग होते हैं। ट्युबर्स जैसे आलू (Potato) और बल्ब जैसे प्याज (Onion) इस प्रकार के प्रजनन का उपयोग करते हैं।

2.5. स्पोर से प्रजनन (Sporogenesis)

स्पोर से प्रजनन मुख्यतः कवकों और फफूंदियों में देखा जाता है, लेकिन कुछ पादप भी इस प्रक्रिया का उपयोग करते हैं। स्पोर्स सूक्ष्म बीज होते हैं जो वातावरण में फैलते हैं और उपयुक्त परिस्थितियों में अंकुरित होकर नए पौधे बनाते हैं।

⚖️ 3. तालिका: अतिसंयोजी प्रजनन के प्रकार और उनके गुण (Table: Types of Asexual Reproduction and Their Characteristics)

प्रजनन का प्रकार (Type of Reproduction) विवरण (Description) उदाहरण (Examples)
कच्चे कंद से प्रजनन (Runners or Stolons) पौधे के तने सतह पर फैलते हैं और जमीन के संपर्क में आने पर नई जड़ें और अंकुर विकसित होते हैं।
  • स्ट्रॉबेरी (Strawberry)
  • दालचीनी (Cinnamon)
छायांकुर (Cuttings) पौधे के किसी हिस्से को काटकर उसे अंकुरित किया जाता है।
  • गुलाब (Rose)
  • तुलसी (Basil)
भूसे से प्रजनन (Layering) पौधे के तने को जमीन के संपर्क में लाकर नई जड़ें उत्पन्न होती हैं।
  • अमरूद (Guava)
  • नीम (Neem)
ट्युबर्स और बल्ब से प्रजनन (Tubers and Bulbs) पौधों के विशेष ऊतक जो भोजन संचय करते हैं और नए पौधे के विकास के लिए उपयोग होते हैं।
  • आलू (Potato)
  • प्याज (Onion)
स्पोर से प्रजनन (Sporogenesis) सूक्ष्म बीज (स्पोर्स) से नए पौधे का विकास।
  • कवक (Fungi)
  • फफूंदी (Mushrooms)

📚 4. परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण तथ्य (Important Facts for Exams)

  • अतिसंयोजी प्रजनन में पौधे बिना बीज के स्वयं से नई पीढ़ियाँ उत्पन्न करते हैं।
  • कच्चे कंद (Runners) पौधों के तने के सतह पर फैलते हैं और नई जड़ें उत्पन्न करते हैं।
  • छायांकुर (Cuttings) में पौधे के किसी हिस्से को काटकर उसे अंकुरित किया जाता है।
  • भूसे से प्रजनन (Layering) में पौधे के तने को जमीन के संपर्क में लाया जाता है जिससे नई जड़ें उत्पन्न होती हैं।
  • ट्युबर्स और बल्ब पौधों के विशेष ऊतक हैं जो भोजन संचय करते हैं और नए पौधे के विकास के लिए उपयोग होते हैं।
  • स्पोर से प्रजनन (Sporogenesis) मुख्यतः कवकों और फफूंदियों में होता है।
  • अतिसंयोजी प्रजनन से पौधों में आनुवंशिक समानता बनी रहती है।
  • कच्चे कंद से प्रजनन पौधों को तेजी से फैलने में मदद करता है।
  • छायांकुर से पौधे आसानी से प्रजनन कर सकते हैं और उनकी वृद्धि होती है।
  • भूसे से प्रजनन में पौधों को अपनी शाखाओं को जमीन पर लाकर नए पौधे विकसित करने का मौका मिलता है।
  • ट्युबर्स और बल्ब से पौधों को ऊर्जा और पोषक तत्व मिलते हैं जो नए पौधे के विकास के लिए आवश्यक होते हैं।
  • स्पोर सूक्ष्म बीज होते हैं जो वातावरण में फैलते हैं और उपयुक्त परिस्थितियों में अंकुरित होते हैं।
  • अतिसंयोजी प्रजनन पौधों को तेजी से फैलने और अपने स्थान पर स्थायित्व बनाए रखने में मदद करता है।
  • कच्चे कंद से प्रजनन पौधों को नई पीढ़ियाँ उत्पन्न करने का आसान तरीका है।
  • छायांकुर से प्रजनन पौधों को अनुवांशिक विविधता के बिना नई पीढ़ियाँ उत्पन्न करने में सक्षम बनाता है।
  • भूसे से प्रजनन पौधों को नई जड़ें उत्पन्न करने में मदद करता है, जिससे पौधे मजबूत और स्वस्थ रहते हैं।
  • ट्युबर्स और बल्ब से प्रजनन पौधों को ऊर्जा संचय करने में मदद करता है, जिससे वे कठिन परिस्थितियों में जीवित रह सकते हैं।
  • स्पोर से प्रजनन पौधों को व्यापक क्षेत्रों में फैलने में मदद करता है।
  • अतिसंयोजी प्रजनन पौधों को विभिन्न पर्यावरणीय स्थितियों में स्थायित्व प्रदान करता है।
  • कच्चे कंद से प्रजनन पौधों को तेजी से फैलने का अवसर प्रदान करता है।
  • छायांकुर से प्रजनन पौधों की विकास क्षमता को बढ़ाता है और उन्हें स्वस्थ रखता है।
पादपों में अतिसंयोजी प्रजनन पर प्रश्नोत्तरी

पादपों में अतिसंयोजी प्रजनन पर प्रश्नोत्तरी

1. अतिसंयोजी प्रजनन का सबसे सामान्य प्रकार कौन सा है? (SSC CGL परीक्षा, 2021)
(a) परागण
(b) छायांकुर
(c) निषेचन
(d) जल संश्लेषण
उत्तर: (b) छायांकुर
छायांकुर (Cuttings) अतिसंयोजी प्रजनन का सबसे सामान्य प्रकार है, जिसमें पौधे के किसी हिस्से को काटकर उसे अंकुरित किया जाता है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) परागण: यह लैंगिक प्रजनन का हिस्सा है। – (c) निषेचन: यह लैंगिक प्रजनन की प्रक्रिया है। – (d) जल संश्लेषण: यह कोई वास्तविक प्रक्रिया नहीं है।
2. निम्नलिखित में से कौन सा अतिसंयोजी प्रजनन का तरीका नहीं है? (UPSC प्रारंभिक परीक्षा, 2020)
(a) कच्चे कंद
(b) बीज मृगन
(c) भूसे से प्रजनन
(d) छायांकुर
उत्तर: (b) बीज मृगन
बीज मृगन (Seed Germination) लैंगिक प्रजनन का हिस्सा है, अतः यह अतिसंयोजी प्रजनन का तरीका नहीं है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) कच्चे कंद: यह अतिसंयोजी प्रजनन का तरीका है। – (c) भूसे से प्रजनन: यह अतिसंयोजी प्रजनन का तरीका है। – (d) छायांकुर: यह अतिसंयोजी प्रजनन का तरीका है।
3. अतिसंयोजी प्रजनन में आनुवंशिक विविधता क्यों नहीं होती है? (State PCS Rajasthan, 2019)
(a) क्योंकि पौधे खुद से उत्पन्न होते हैं
(b) क्योंकि इसमें बीजों का उपयोग होता है
(c) क्योंकि यह केवल पौधों की वृद्धि है
(d) क्योंकि यह पर्यावरणीय परिवर्तन से संबंधित है
उत्तर: (a) क्योंकि पौधे खुद से उत्पन्न होते हैं
अतिसंयोजी प्रजनन में पौधे खुद से उत्पन्न होते हैं, जिससे उनकी आनुवंशिक समानता बनी रहती है और आनुवंशिक विविधता नहीं होती।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (b) बीजों का उपयोग लैंगिक प्रजनन में होता है। – (c) यह पौधों की वृद्धि नहीं, बल्कि नई पीढ़ियाँ उत्पन्न करने की प्रक्रिया है। – (d) यह पर्यावरणीय परिवर्तन से संबंधित नहीं है।
4. निम्नलिखित में से कौन सा पौधा अतिसंयोजी प्रजनन का उपयोग करता है? (Railway परीक्षा, 2018)
(a) टमाटर
(b) आलू
(c) आम
(d) चावल
उत्तर: (b) आलू
आलू (Potato) अतिसंयोजी प्रजनन का उपयोग करता है, जो ट्युबर्स के माध्यम से होता है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) टमाटर: यह लैंगिक प्रजनन का उपयोग करता है। – (c) आम: यह लैंगिक प्रजनन का उपयोग करता है। – (d) चावल: यह लैंगिक प्रजनन का उपयोग करता है।
5. अतिसंयोजी प्रजनन से उत्पन्न पौधे में जीनों की समानता क्यों बनी रहती है? (NEET, 2017)
(a) क्योंकि पौधे के जड़ें मजबूत होती हैं
(b) क्योंकि पौधे खुद से उत्पन्न होते हैं
(c) क्योंकि इसमें परागण होता है
(d) क्योंकि यह पर्यावरणीय अनुकूलन है
उत्तर: (b) क्योंकि पौधे खुद से उत्पन्न होते हैं
अतिसंयोजी प्रजनन में पौधे खुद से उत्पन्न होते हैं, जिससे उनके जीन समान रहते हैं।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) जड़ें मजबूत होने से जीन समानता नहीं होती। – (c) परागण लैंगिक प्रजनन का हिस्सा है। – (d) पर्यावरणीय अनुकूलन आनुवंशिक विविधता से संबंधित नहीं है।
6. निम्नलिखित में से कौन सा अतिसंयोजी प्रजनन का तरीका नहीं है? (UPSC प्रारंभिक परीक्षा, 2016)
(a) ट्युबर्स
(b) छायांकुर
(c) परागण
(d) कच्चे कंद
उत्तर: (c) परागण
परागण लैंगिक प्रजनन का हिस्सा है, अतः यह अतिसंयोजी प्रजनन का तरीका नहीं है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) ट्युबर्स: अतिसंयोजी प्रजनन का तरीका है। – (b) छायांकुर: अतिसंयोजी प्रजनन का तरीका है। – (d) कच्चे कंद: अतिसंयोजी प्रजनन का तरीका है।
7. अतिसंयोजी प्रजनन के दौरान पौधे किस प्रकार के उत्पादन से नई पीढ़ियाँ उत्पन्न करते हैं? (SSC CHSL परीक्षा, 2015)
(a) बीज
(b) स्पोर्स
(c) ट्युबर्स
(d) पराग
उत्तर: (c) ट्युबर्स
ट्युबर्स (Tubers) अतिसंयोजी प्रजनन के दौरान पौधे द्वारा उत्पन्न होते हैं, जिससे नई पीढ़ियाँ उत्पन्न होती हैं।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) बीज: यह लैंगिक प्रजनन का हिस्सा है। – (b) स्पोर्स: यह मुख्यतः कवकों में उपयोग होता है। – (d) पराग: यह लैंगिक प्रजनन में उपयोग होता है।
8. अतिसंयोजी प्रजनन से उत्पन्न पौधों में किस प्रकार की आनुवंशिक विविधता होती है? (State PCS Uttar Pradesh, 2014)
(a) उच्च
(b) मध्यम
(c) कम
(d) कोई नहीं
उत्तर: (c) कम
अतिसंयोजी प्रजनन से उत्पन्न पौधों में आनुवंशिक विविधता कम होती है क्योंकि ये पौधे मूल पौधे के समान होते हैं।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) उच्च: अतिसंयोजी प्रजनन में आनुवंशिक विविधता नहीं बढ़ती। – (b) मध्यम: यह सही नहीं है। – (d) कोई नहीं: यह भी सही नहीं है, क्योंकि कुछ समानताएं होती हैं।
9. निम्नलिखित में से कौन सा पौधा भूसे से प्रजनन का उपयोग करता है? (NEET, 2013)
(a) गुलाब
(b) आम
(c) पीपल
(d) तुलसी
उत्तर: (c) पीपल
पीपल (Peepal) भूसे से प्रजनन का उपयोग करता है, जिसमें पौधे की शाखाओं को जमीन में दबा कर नई जड़ें उत्पन्न होती हैं।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) गुलाब: यह छायांकुर का उपयोग करता है। – (b) आम: यह लैंगिक प्रजनन का उपयोग करता है। – (d) तुलसी: यह छायांकुर का उपयोग करती है।
10. अतिसंयोजी प्रजनन के कौन से प्रकार से पौधों की तेजी से वृद्धि संभव होती है? (UPSC प्रारंभिक परीक्षा, 2012)
(a) स्पोर्स
(b) छायांकुर
(c) निषेचन
(d) परागण
उत्तर: (b) छायांकुर
छायांकुर (Cuttings) से पौधों की तेजी से वृद्धि संभव होती है, क्योंकि यह प्रक्रिया सरल और त्वरित होती है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) स्पोर्स: यह मुख्यतः कवकों में उपयोग होता है। – (c) निषेचन: यह लैंगिक प्रजनन की प्रक्रिया है। – (d) परागण: यह लैंगिक प्रजनन की प्रक्रिया है।
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