परिचय: खगोलीय दूरदर्शी (Astronomical Telescope)
खगोलीय दूरदर्शी एक ऐसा प्रकाशिक यंत्र है जिसका उपयोग दूर स्थित खगोलीय पिंडों, जैसे ग्रहों, तारों और आकाशगंगाओं को देखने के लिए किया जाता है। यह इन पिंडों का एक आवर्धित प्रतिबिंब बनाता है, जिससे वे बड़े और स्पष्ट दिखाई देते हैं।
संरचना और सिद्धांत
एक अपवर्ती खगोलीय दूरदर्शी में दो उत्तल लेंस होते हैं:
- अभिदृश्यक लेंस (Objective Lens): यह वस्तु (खगोलीय पिंड) की ओर होता है। इसकी फोकस दूरी (fₒ) और द्वारक (aperture) बड़ा होता है ताकि यह अधिक से अधिक प्रकाश एकत्र कर सके।
- नेत्रिका (Eyepiece): यह आँख के पास होती है। इसकी फोकस दूरी (fₑ) और द्वारक छोटा होता है ताकि उच्च आवर्धन प्राप्त हो सके।
कार्यप्रणाली: अभिदृश्यक लेंस दूर स्थित वस्तु का एक छोटा, वास्तविक और उल्टा प्रतिबिंब अपने फोकस तल पर बनाता है। यह प्रतिबिंब नेत्रिका के लिए वस्तु का कार्य करता है, जो एक सरल सूक्ष्मदर्शी की तरह कार्य करते हुए अंतिम, अत्यधिक आवर्धित और आभासी प्रतिबिंब बनाती है।
आवर्धन क्षमता (Magnifying Power)
दूरदर्शी की आवर्धन क्षमता (M) को अंतिम प्रतिबिंब द्वारा आँख पर बने कोण और वस्तु द्वारा सीधे आँख पर बने कोण के अनुपात के रूप में परिभाषित किया जाता है।
आवर्धन क्षमता का सूत्र
1. जब अंतिम प्रतिबिंब अनंत पर बने (सामान्य समायोजन):
M = -fₒ / fₑ
इस स्थिति में, दूरदर्शी की नली की लंबाई L = fₒ + fₑ होती है।
2. जब अंतिम प्रतिबिंब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी (D) पर बने:
M = – (fₒ / fₑ) * (1 + fₑ / D)
संख्यात्मक उदाहरण
उदाहरण
प्रश्न: एक खगोलीय दूरदर्शी के अभिदृश्यक लेंस की फोकस दूरी 100 cm और नेत्रिका की फोकस दूरी 5 cm है। सामान्य समायोजन में इसकी आवर्धन क्षमता और नली की लंबाई ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है:
fₒ = 100 cm
fₑ = 5 cm
1. आवर्धन क्षमता (M):
M = -fₒ / fₑ
M = -100 / 5
M = -20 (ऋणात्मक चिह्न दर्शाता है कि प्रतिबिंब उल्टा है)।
2. नली की लंबाई (L):
L = fₒ + fₑ
L = 100 + 5
L = 105 cm