परिचय: परमाणु संरचना
परमाणु (Atom) किसी भी तत्व का वह सबसे छोटा कण है जो उस तत्व के सभी रासायनिक गुणों को प्रदर्शित करता है। परमाणु संरचना का अध्ययन यह बताता है कि एक परमाणु किन मूलभूत कणों से मिलकर बना है और वे कण किस प्रकार व्यवस्थित होते हैं।
परमाणु के मूलभूत कण
एक परमाणु मुख्य रूप से तीन उप-परमाण्विक कणों से बना होता है:
- इलेक्ट्रॉन (Electron): यह एक ऋणावेशित कण है जिसकी खोज जे.जे. थॉमसन ने 1897 में की थी। यह नाभिक के चारों ओर कक्षाओं में घूमता है।
- प्रोटॉन (Proton): यह एक धनावेशित कण है जिसकी खोज गोल्डस्टीन ने की थी, लेकिन इसका नामकरण रदरफोर्ड ने किया। यह नाभिक के अंदर पाया जाता है।
- न्यूट्रॉन (Neutron): यह एक उदासीन (बिना आवेश का) कण है जिसकी खोज जेम्स चैडविक ने 1932 में की थी। यह भी नाभिक के अंदर पाया जाता है।
प्रमुख परमाणु मॉडल
1. थॉमसन का परमाणु मॉडल (1904)
इसे “प्लम पुडिंग” या “तरबूज” मॉडल भी कहा जाता है। थॉमसन ने प्रस्तावित किया कि परमाणु एक धनावेशित गोला है जिसमें इलेक्ट्रॉन तरबूज के बीजों की तरह धंसे होते हैं। यह मॉडल परमाणु की विद्युत उदासीनता की व्याख्या करने में सफल रहा, लेकिन रदरफोर्ड के प्रयोग के परिणामों की व्याख्या नहीं कर सका।
2. रदरफोर्ड का नाभिकीय मॉडल (1911)
अपने प्रसिद्ध अल्फा-कण प्रकीर्णन प्रयोग के आधार पर, रदरफोर्ड ने निष्कर्ष निकाला कि:
- परमाणु का अधिकांश भाग खाली है।
- परमाणु का संपूर्ण धनावेश और लगभग सारा द्रव्यमान उसके केंद्र में एक बहुत छोटे आयतन में केंद्रित होता है, जिसे नाभिक (Nucleus) कहते हैं।
- इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर वृत्ताकार पथों में घूमते हैं।
कमी: यह मॉडल परमाणु के स्थायित्व की व्याख्या नहीं कर सका, क्योंकि मैक्सवेल के अनुसार, त्वरित आवेशित कण (घूमता हुआ इलेक्ट्रॉन) को ऊर्जा उत्सर्जित करनी चाहिए और अंततः नाभिक में गिर जाना चाहिए।
3. बोर का परमाणु मॉडल (1913)
नील्स बोर ने रदरफोर्ड के मॉडल में सुधार किया और क्वांटम सिद्धांत को शामिल किया। उनकी मुख्य अभिधारणाएं थीं:
- इलेक्ट्रॉन केवल कुछ निश्चित ऊर्जा वाली कक्षाओं में ही घूम सकते हैं, जिन्हें स्थायी कक्षाएं या ऊर्जा स्तर कहते हैं।
- इन कक्षाओं में घूमते समय इलेक्ट्रॉन ऊर्जा का उत्सर्जन नहीं करते हैं।
- जब कोई इलेक्ट्रॉन एक ऊर्जा स्तर से दूसरे में कूदता है, तभी ऊर्जा का अवशोषण या उत्सर्जन होता है।