परिचय: क्वथनांक (Boiling Point)
क्वथनांक वह निश्चित तापमान है जिस पर कोई द्रव उबलना शुरू कर देता है और गैस अवस्था में परिवर्तित हो जाता है। वैज्ञानिक रूप से, यह वह तापमान है जिस पर द्रव का वाष्प दाब (vapor pressure) उसके ऊपर लगने वाले बाहरी दाब (आमतौर पर वायुमंडलीय दाब) के बराबर हो जाता है।
क्वथन एक संपूर्ण आयतन की घटना है, जिसका अर्थ है कि द्रव के भीतर से बुलबुले बनते हैं, जबकि वाष्पीकरण केवल सतह पर होता है।
क्वथनांक को प्रभावित करने वाले कारक
1. बाहरी दाब (External Pressure)
यह क्वथनांक को प्रभावित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण कारक है।
- दाब बढ़ाने पर: जब बाहरी दाब बढ़ता है, तो द्रव के वाष्प दाब को उस उच्च दाब के बराबर होने के लिए अधिक तापमान की आवश्यकता होती है। इसलिए, क्वथनांक बढ़ जाता है। प्रेशर कुकर इसी सिद्धांत पर काम करता है।
- दाब घटाने पर: जब बाहरी दाब कम होता है, तो द्रव कम तापमान पर ही उबलने लगता है। इसलिए, क्वथनांक घट जाता है। यही कारण है कि पहाड़ों पर, जहाँ वायुमंडलीय दाब कम होता है, पानी 100°C से कम तापमान पर उबल जाता है और खाना पकाने में अधिक समय लगता है।
2. अशुद्धियाँ (Impurities)
जब किसी शुद्ध विलायक (जैसे पानी) में कोई अवाष्पशील विलेय (non-volatile solute) जैसे नमक या चीनी मिलाया जाता है, तो घोल का वाष्प दाब कम हो जाता है। इस कम हुए वाष्प दाब को बाहरी दाब के बराबर करने के लिए अधिक तापमान की आवश्यकता होती है। इसलिए, अशुद्धियाँ मिलाने पर क्वथनांक बढ़ जाता है। इस घटना को क्वथनांक में उन्नयन (Elevation in Boiling Point) कहते हैं।
क्वथन और वाष्पीकरण में अंतर
हालांकि दोनों प्रक्रियाओं में द्रव गैस में बदलता है, लेकिन उनमें महत्वपूर्ण अंतर हैं:
- तापमान: क्वथन एक निश्चित तापमान (क्वथनांक) पर होता है, जबकि वाष्पीकरण किसी भी तापमान पर हो सकता है।
- स्थान: क्वथन पूरे द्रव में होता है (बुलबुले बनते हैं), जबकि वाष्पीकरण केवल द्रव की सतह पर होता है।
- गति: क्वथन एक तीव्र प्रक्रिया है, जबकि वाष्पीकरण एक धीमी प्रक्रिया है।