परिचय: बफर विलयन (Buffer Solution)
बफर विलयन एक ऐसा जलीय विलयन है जिसमें थोड़ी मात्रा में अम्ल या क्षार मिलाने पर उसके pH मान में होने वाले परिवर्तन का प्रतिरोध करने की क्षमता होती है। ये विलयन रासायनिक और जैविक प्रणालियों में एक स्थिर pH बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
बफर विलयन के प्रकार
1. अम्लीय बफर (Acidic Buffer)
एक अम्लीय बफर एक दुर्बल अम्ल (weak acid) और उसी अम्ल के एक प्रबल क्षार के साथ बने लवण (salt) का मिश्रण होता है।
- उदाहरण: एसिटिक एसिड (CH₃COOH) और सोडियम एसीटेट (CH₃COONa) का मिश्रण।
- इनका pH मान 7 से कम होता है।
2. क्षारीय बफर (Basic Buffer)
एक क्षारीय बफर एक दुर्बल क्षार (weak base) और उसी क्षार के एक प्रबल अम्ल के साथ बने लवण (salt) का मिश्रण होता है।
- उदाहरण: अमोनियम हाइड्रॉक्साइड (NH₄OH) और अमोनियम क्लोराइड (NH₄Cl) का मिश्रण।
- इनका pH मान 7 से अधिक होता है।
बफर क्रिया (Buffer Action)
बफर विलयन की pH को स्थिर रखने की क्षमता को बफर क्रिया कहते हैं। यह विलयन में मौजूद अम्ल/क्षार और उनके संयुग्मी क्षार/अम्ल के बीच संतुलन पर आधारित है।
अम्लीय बफर की क्रिया
एसिटिक एसिड/सोडियम एसीटेट बफर (CH₃COOH / CH₃COO⁻) में:
- अम्ल (H⁺) मिलाने पर: मिलाया गया H⁺ आयन एसीटेट आयन (CH₃COO⁻) से अभिक्रिया करके दुर्बल अम्ल CH₃COOH बना लेता है, जिससे pH में अधिक परिवर्तन नहीं होता।
CH₃COO⁻(aq) + H⁺(aq) ⇌ CH₃COOH(aq) - क्षार (OH⁻) मिलाने पर: मिलाया गया OH⁻ आयन एसिटिक एसिड (CH₃COOH) से अभिक्रिया करके जल और एसीटेट आयन बना लेता है, जिससे pH स्थिर रहता है।
CH₃COOH(aq) + OH⁻(aq) ⇌ CH₃COO⁻(aq) + H₂O(l)