डाल्टन का परमाणु सिद्धांत
डाल्टन का परमाणु सिद्धांत (Dalton’s Atomic Theory)
डाल्टन का परमाणु सिद्धांत (Dalton’s Atomic Theory) रसायन विज्ञान में परमाणु के स्वरूप और व्यवहार को समझाने का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है। यह सिद्धांत 1808 में जॉन डाल्टन (John Dalton) द्वारा प्रस्तावित किया गया था। इस सिद्धांत ने रासायनिक अभिक्रियाओं और पदार्थ की संरचना को समझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मुख्य प्रस्ताव (Main Postulates)
- सभी पदार्थ अत्यंत छोटे कणों (परमाणुओं) से बने होते हैं।
- परमाणु अविभाज्य हैं और उन्हें न तो बनाया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है।
- एक ही तत्व के सभी परमाणु समान द्रव्यमान और गुण वाले होते हैं।
- विभिन्न तत्वों के परमाणु भिन्न होते हैं।
- रासायनिक अभिक्रियाएं परमाणुओं के पुनः संयोजन, विभाजन, या विनिमय के परिणामस्वरूप होती हैं।
- परमाणु पूर्णांक अनुपात में संयोजन करके यौगिक बनाते हैं।
डाल्टन के सिद्धांत की सीमाएं (Limitations of Dalton’s Theory)
- इसने उप-परमाणु कणों (प्रोटॉन, न्यूट्रॉन, इलेक्ट्रॉन) के अस्तित्व को नहीं बताया।
- यह सिद्धांत यह समझाने में असमर्थ था कि आइसोटोप (Isotopes) जैसे तत्वों के परमाणु समान नहीं होते।
- परमाणुओं के विभाजन और नाभिकीय अभिक्रियाओं की जानकारी नहीं थी।
- इसने परमाणुओं के बंध और ऊर्जा स्तरों का वर्णन नहीं किया।
रदरफोर्ड का नाभिकीय परमाणु मॉडल व दोष
रदरफोर्ड का नाभिकीय परमाणु मॉडल (Rutherford’s Nuclear Atomic Model)
रदरफोर्ड ने 1911 में अपने स्वर्ण पत्ती प्रयोग (Gold Foil Experiment) के आधार पर परमाणु की संरचना का एक मॉडल प्रस्तुत किया। इस मॉडल ने परमाणु के अंदर नाभिक की उपस्थिति और इलेक्ट्रॉनों की स्थिति को स्पष्ट किया।
मॉडल के मुख्य बिंदु (Key Points of Rutherford’s Model)
- परमाणु में एक घना नाभिक (Nucleus) होता है, जिसमें परमाणु का लगभग पूरा द्रव्यमान केंद्रित होता है।
- नाभिक धनात्मक आवेश (Positive Charge) रखता है।
- इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर वृत्तीय पथों (Circular Orbits) में घूमते हैं।
- परमाणु का अधिकांश भाग रिक्त स्थान (Empty Space) होता है।
स्वर्ण पत्ती प्रयोग (Gold Foil Experiment)
रदरफोर्ड ने α-कणों (Alpha Particles) को स्वर्ण पन्नी पर बमबारी करके निम्नलिखित निष्कर्ष निकाले:
- अधिकांश α-कण बिना विचलन के पन्नी से गुजर गए, जिससे परमाणु के खाली स्थान का पता चला।
- कुछ α-कण थोड़े विचलित हुए, जो नाभिक की उपस्थिति को दर्शाता है।
- बहुत कम α-कण वापस लौटे, जो नाभिक के घनत्व और धनात्मक आवेश की पुष्टि करता है।
रदरफोर्ड मॉडल की विशेषताएं (Features of Rutherford’s Model)
- नाभिक में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन होते हैं।
- इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर घूमते हैं।
- परमाणु का ज्यादातर भाग खाली होता है।
रदरफोर्ड मॉडल के दोष (Limitations of Rutherford’s Model)
- यह मॉडल इलेक्ट्रॉनों के स्थायित्व (Stability) को नहीं समझा सका।
- मैक्सवेल के विद्युत चुंबकीय सिद्धांत के अनुसार, एक आवेशित कण जब वृत्तीय पथ में घूमता है तो वह ऊर्जा का उत्सर्जन करता है। इसके कारण इलेक्ट्रॉन को अंततः नाभिक में गिर जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं होता।
- यह मॉडल परमाणु स्पेक्ट्रा (Atomic Spectra) को समझाने में विफल रहा।
- यह इलेक्ट्रॉनों के ऊर्जा स्तर (Energy Levels) की जानकारी प्रदान करने में असमर्थ था।