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डेविसन-जर्मर प्रयोग

परिचय: डेविसन-जर्मर प्रयोग

1927 में, अमेरिकी भौतिक विज्ञानी क्लिंटन डेविसन और लेस्टर जर्मर ने एक महत्वपूर्ण प्रयोग किया जिसने डी ब्रोग्ली की परिकल्पना का प्रयोगात्मक सत्यापन किया। इस प्रयोग ने पहली बार यह सिद्ध किया कि इलेक्ट्रॉनों जैसे द्रव्य कणों में भी तरंग प्रकृति होती है।

प्रयोग का उद्देश्य और सिद्धांत

इस प्रयोग का मुख्य उद्देश्य यह प्रदर्शित करना था कि इलेक्ट्रॉन पुंज (beam of electrons) विवर्तन (diffraction) की घटना को प्रदर्शित करता है, जो तरंगों का एक विशिष्ट गुण है। यदि इलेक्ट्रॉन तरंगों की तरह व्यवहार करते हैं, तो उन्हें एक क्रिस्टल जालक (crystal lattice) द्वारा उसी तरह विवर्तित होना चाहिए जैसे एक्स-किरणें होती हैं।

प्रयोगात्मक व्यवस्था और कार्यप्रणाली

  • इलेक्ट्रॉन गन: एक इलेक्ट्रॉन गन का उपयोग इलेक्ट्रॉनों को त्वरित करके एक महीन किरण पुंज प्राप्त करने के लिए किया गया।
  • निकल क्रिस्टल: इस इलेक्ट्रॉन पुंज को एक निकल क्रिस्टल पर लंबवत आपतित कराया गया। क्रिस्टल के परमाणु एक नियमित जालक में व्यवस्थित होते हैं जो एक विवर्तन ग्रेटिंग के रूप में कार्य करते हैं।
  • संसूचक (Detector): एक चल संसूचक का उपयोग विभिन्न कोणों पर प्रकीर्णित (scattered) इलेक्ट्रॉनों की तीव्रता को मापने के लिए किया गया।

डेविसन और जर्मर ने विभिन्न त्वरक वोल्टेज पर प्रकीर्णित इलेक्ट्रॉनों की तीव्रता का अध्ययन किया।

प्रेक्षण और निष्कर्ष

प्रयोग में पाया गया कि जब त्वरक वोल्टेज 54 V था, तो 50° के प्रकीर्णन कोण पर इलेक्ट्रॉनों की तीव्रता अधिकतम थी। यह अधिकतम तीव्रता क्रिस्टल की विभिन्न परतों से इलेक्ट्रॉन तरंगों के संपोषी व्यतिकरण (constructive interference) के कारण थी।

डी ब्रोग्ली परिकल्पना का सत्यापन

1. विवर्तन से तरंगदैर्ध्य की गणना:
क्रिस्टल विवर्तन के लिए ब्रैग के नियम (2d sinθ = nλ) का उपयोग करके, 54 V इलेक्ट्रॉनों के लिए प्रयोगात्मक तरंगदैर्ध्य की गणना की गई, जो लगभग λ = 1.65 Å (एंगस्ट्रॉम) आई।

2. डी ब्रोग्ली सूत्र से तरंगदैर्ध्य की गणना:
54 V से त्वरित इलेक्ट्रॉन की डी ब्रोग्ली तरंगदैर्ध्य की गणना सूत्र λ = h/p = h/√(2meV) से की जा सकती है।
λ = (6.63 × 10⁻³⁴) / √[2 × (9.1 × 10⁻³¹) × (1.6 × 10⁻¹⁹) × 54]
गणना करने पर, यह मान लगभग λ = 1.67 Å आता है।

चूंकि प्रयोगात्मक मान (1.65 Å) और सैद्धांतिक मान (1.67 Å) लगभग बराबर हैं, यह प्रयोग इलेक्ट्रॉनों की तरंग प्रकृति और डी ब्रोग्ली संबंध की सफलतापूर्वक पुष्टि करता है।

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