अपमार्जक (Detergents) का परिचय
अपमार्जक (Detergent), जिन्हें डिटर्जेंट भी कहा जाता है, साबुन जैसे सफाई करने वाले पदार्थ हैं, लेकिन उनकी रासायनिक संरचना भिन्न होती है। वे लंबी-श्रृंखला वाले हाइड्रोकार्बन के सल्फोनेट या सल्फेट लवण होते हैं। अपमार्जकों को अक्सर ‘साबुन रहित साबुन’ (soapless soaps) कहा जाता है।
इनका सबसे बड़ा लाभ यह है कि वे कठोर जल (Hard Water) में भी प्रभावी ढंग से काम करते हैं, जबकि साबुन कठोर जल में स्कम (scum) बना लेता है।
अपमार्जक कठोर जल में क्यों काम करते हैं?
अपमार्जकों के कैल्शियम और मैग्नीशियम लवण जल में घुलनशील होते हैं। इसलिए, जब अपमार्जक का उपयोग कठोर जल में किया जाता है, तो वे कैल्शियम और मैग्नीशियम आयनों के साथ कोई अघुलनशील अवक्षेप (स्कम) नहीं बनाते हैं, जिससे उनकी सफाई क्रिया अप्रभावित रहती है।
अपमार्जकों के प्रकार (Types of Detergents)
अपमार्जकों को उनके हाइड्रोफिलिक (जलरागी) सिरे की प्रकृति के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है:
- ऋणायनी अपमार्जक (Anionic Detergents): इनमें अणु का बड़ा हिस्सा ऋणायन होता है। ये सबसे आम प्रकार हैं और इनका उपयोग टूथपेस्ट और कपड़े धोने के पाउडर में किया जाता है। उदाहरण: सोडियम लॉरिल सल्फेट।
- धनायनी अपमार्जक (Cationic Detergents): इनमें अणु का बड़ा हिस्सा धनायन होता है। इनमें जीवाणुनाशक गुण होते हैं और ये महंगे होते हैं। इनका उपयोग हेयर कंडीशनर और कीटाणुनाशकों में किया जाता है।
- अनायनिक अपमार्जक (Non-ionic Detergents): इनके अणुओं पर कोई आयनिक समूह नहीं होता है। इनका उपयोग बर्तन धोने वाले तरल डिटर्जेंट में किया जाता है।
अपमार्जकों से पर्यावरणीय समस्याएं
- जैव-अनिम्नीकरण (Non-biodegradability): कुछ पुराने अपमार्जकों में अत्यधिक शाखित हाइड्रोकार्बन श्रृंखलाएं होती थीं, जिन्हें जीवाणु आसानी से विघटित नहीं कर पाते थे। इससे जल प्रदूषण होता था। आजकल, सीधी श्रृंखला वाले हाइड्रोकार्बन का उपयोग किया जाता है जो अधिक जैव-निम्नीकरणीय (biodegradable) होते हैं।
- सुपोषण (Eutrophication): कई डिटर्जेंट पाउडर में फॉस्फेट मिलाया जाता है। जब यह फॉस्फेट युक्त पानी जल निकायों में पहुँचता है, तो यह शैवाल (algae) की अत्यधिक वृद्धि को बढ़ावा देता है। यह प्रक्रिया, जिसे सुपोषण कहते हैं, पानी में ऑक्सीजन की कमी कर देती है और जलीय जीवन को नष्ट कर देती है।