परिचय: विस्थापन धारा (Displacement Current)
विस्थापन धारा की अवधारणा जेम्स क्लर्क मैक्सवेल द्वारा प्रस्तुत की गई थी। यह वह धारा है जो किसी चालक में आवेशों के वास्तविक प्रवाह के कारण नहीं, बल्कि समय के साथ बदलते हुए विद्युत क्षेत्र (या विद्युत फ्लक्स) के कारण उत्पन्न होती है।
उदाहरण के लिए, जब एक संधारित्र को आवेशित किया जाता है, तो प्लेटों के बीच के खाली स्थान में कोई चालन धारा नहीं होती, लेकिन बदलते हुए विद्युत क्षेत्र के कारण एक विस्थापन धारा मौजूद होती है, जो चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है।
विस्थापन धारा का सूत्र
विस्थापन धारा (I𝘥) विद्युत फ्लक्स (Φₑ) में परिवर्तन की दर के समानुपाती होती है।
सूत्र
I𝘥 = ε₀ (dΦₑ / dt)
जहाँ:
- I𝘥 = विस्थापन धारा
- ε₀ = निर्वात की विद्युतशीलता
- dΦₑ/dt = विद्युत फ्लक्स में परिवर्तन की दर
एम्पीयर-मैक्सवेल का नियम
मैक्सवेल ने पाया कि एम्पीयर का परिपथीय नियम उन स्थितियों में अधूरा था जहाँ विद्युत क्षेत्र समय के साथ बदल रहा था (जैसे संधारित्र के अंदर)। उन्होंने इस नियम को संशोधित करने के लिए विस्थापन धारा की अवधारणा को शामिल किया।
संशोधित नियम: “किसी बंद लूप के परितः चुंबकीय क्षेत्र का रेखीय समाकलन, उस लूप से गुजरने वाली चालन धारा (I𝘤) और विस्थापन धारा (I𝘥) के योग का μ₀ गुना होता है।”
सूत्र
∮ B · dl = μ₀(I𝘤 + I𝘥) = μ₀(I𝘤 + ε₀ dΦₑ/dt)
विस्थापन धारा का महत्व
- इसने विद्युत और चुंबकत्व के नियमों में एकरूपता और समरूपता लाई।
- यह इस तथ्य को स्थापित करता है कि केवल चालन धारा ही नहीं, बल्कि बदलता हुआ विद्युत क्षेत्र भी चुंबकीय क्षेत्र का स्रोत है।
- यह विद्युत चुम्बकीय तरंगों के अस्तित्व की भविष्यवाणी का आधार बना।