विलेयता पर ताप, दाब आदि का प्रभाव
तापमान का प्रभाव
तापमान विलेयता पर निम्नलिखित प्रकार से प्रभाव डालता है:
- ठोस की विलेयता: ठोस विलेयों की विलेयता अधिकांशतः तापमान बढ़ने पर बढ़ती है।
- गैस की विलेयता: तापमान बढ़ने पर गैसों की विलेयता कम हो जाती है, क्योंकि ऊष्मा से गैसें अधिक तेज़ी से बाहर निकलने लगती हैं।
उदाहरण:
- गर्म पानी में चीनी तेजी से घुलती है।
- गर्म पानी में घुली हुई गैसें (जैसे ऑक्सीजन) जल्दी बाहर निकल जाती हैं।
दाब का प्रभाव
दाब का प्रभाव मुख्यतः गैसों की विलेयता पर होता है:
- गैस की विलेयता: दाब बढ़ने पर गैसों की विलेयता बढ़ जाती है।
- हेनरी का नियम: गैस की विलेयता दाब के सीधे अनुपात में होती है।
उदाहरण:
- कार्बोनेटेड पेय पदार्थ (जैसे सॉफ्ट ड्रिंक्स) उच्च दाब पर कार्बन डाइऑक्साइड को पानी में घोलकर बनाए जाते हैं।
- गहरे पानी के जंतुओं को अधिक दाब में घुली गैसों के कारण जीवनयापन करना पड़ता है।
विलेयता को प्रभावित करने वाले अन्य कारक
- विलेय और विलायक की प्रकृति: ध्रुवीय विलेय ध्रुवीय विलायक में घुलते हैं, और अध्रुवीय विलेय अध्रुवीय विलायक में घुलते हैं।
- मिश्रण की विधि: विलेय और विलायक को हिलाने या गर्म करने से विलेयता बढ़ सकती है।
- पृष्ठ क्षेत्रफल: विलेय के छोटे कण अधिक जल्दी घुलते हैं।
ताप और दाब के प्रभाव का सार
विलेयता का प्रकार | तापमान का प्रभाव | दाब का प्रभाव |
---|---|---|
ठोस की विलेयता | तापमान बढ़ने पर बढ़ती है | दाब का प्रभाव नहीं होता |
गैस की विलेयता | तापमान बढ़ने पर घटती है | दाब बढ़ने पर बढ़ती है |
प्रायोगिक उपयोग
- उद्योग: गैसों को विलयन में घोलने के लिए तापमान और दाब का उचित प्रबंधन।
- खाद्य प्रसंस्करण: सॉफ्ट ड्रिंक्स और संरक्षित खाद्य पदार्थों का उत्पादन।
- जैविक विज्ञान: कोशिकाओं में गैसों के आदान-प्रदान की प्रक्रिया।
- पर्यावरण: जलीय जीवों के लिए पानी में घुली गैसों की विलेयता का महत्व।