आइंस्टीन का प्रकाश विद्युत समीकरण (Einstein’s Photoelectric Equation)
1. आइंस्टीन का प्रकाश विद्युत समीकरण (Einstein’s Photoelectric Equation)
आइंस्टीन ने प्रकाश विद्युत प्रभाव की व्याख्या करते हुए कहा कि प्रकाश ऊर्जा फोटॉनों के रूप में होती है। जब कोई फोटॉन किसी धातु की सतह से टकराता है, तो वह इलेक्ट्रॉनों को निकालने के लिए ऊर्जा प्रदान करता है।
2. समीकरण (Equation)
K.E. = hν – φ
जहाँ:
K.E.
= इलेक्ट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जाh
= प्लांक का नियतांक (6.626 × 10-34 J·s)ν
= प्रकाश की आवृत्तिφ
= कार्य फलन (Work Function)
3. प्रकाश ऊर्जा (Energy of a Photon)
फोटॉन की ऊर्जा निम्नलिखित समीकरण से दी जाती है:
E = hν
जहाँ:
E
= फोटॉन की ऊर्जाh
= प्लांक का नियतांकν
= प्रकाश की आवृत्ति
4. फोटोइलेक्ट्रिक प्रभाव के नियम (Laws of Photoelectric Effect)
- इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन केवल तभी होता है जब प्रकाश की आवृत्ति कार्य फलन से अधिक हो।
- फोटोइलेक्ट्रॉन की ऊर्जा प्रकाश की आवृत्ति पर निर्भर करती है।
- इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन तात्कालिक होता है।
5. अनुप्रयोग (Applications)
- सौर ऊर्जा उत्पादन।
- फोटोइलेक्ट्रिक सेल में ऊर्जा रूपांतरण।
- क्वांटम यांत्रिकी में अध्ययन।
6. उदाहरण (Numerical Example)
उदाहरण:
प्रश्न: एक धातु का कार्य फलन φ = 3 eV है। यदि प्रकाश की आवृत्ति ν = 8 × 1014 Hz है, तो इलेक्ट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा ज्ञात करें।
उपयोग करें:
K.E. = hν – φ
जहाँ,
h = 6.626 × 10-34 J·s
और1 eV = 1.6 × 10-19 J
K.E. = (6.626 × 10-34 × 8 × 1014) – (3 × 1.6 × 10-19)
K.E. = (5.3008 × 10-19) – (4.8 × 10-19)
K.E. = 0.5008 × 10-19 J
उत्तर: इलेक्ट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा 0.5008 × 10-19 जूल होगी।