परिचय: इलेक्ट्रॉन बंधुता (Electron Affinity)
इलेक्ट्रॉन बंधुता, जिसे इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी (Electron Gain Enthalpy) भी कहा जाता है, किसी तत्व के परमाणु की इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति का माप है। यह किसी तत्व की अधात्विक प्रकृति और उसकी ऑक्सीकारक क्षमता को निर्धारित करने में मदद करता है।
परिभाषा: “जब किसी विलगित गैसीय परमाणु (isolated gaseous atom) की मूल अवस्था में एक अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन जोड़ा जाता है, तो इस प्रक्रिया में मुक्त होने वाली ऊर्जा को उस तत्व की इलेक्ट्रॉन बंधुता कहते हैं।”
X(g) + e⁻ → X⁻(g) + ऊर्जा (इलेक्ट्रॉन बंधुता)
अधिकांश तत्वों के लिए यह एक ऊष्माक्षेपी (exothermic) प्रक्रिया है, इसलिए इसका मान धनात्मक होता है। हालांकि, इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी को ऊष्मागतिक परंपरा के अनुसार ऋणात्मक चिह्न के साथ दर्शाया जाता है।
इलेक्ट्रॉन बंधुता को प्रभावित करने वाले कारक
1. परमाणु आकार (Atomic Size)
परमाणु का आकार जितना छोटा होता है, आने वाले इलेक्ट्रॉन पर नाभिक का आकर्षण बल उतना ही प्रबल होता है, जिससे इलेक्ट्रॉन जोड़ना आसान हो जाता है और अधिक ऊर्जा मुक्त होती है। अतः, परमाणु आकार घटने पर इलेक्ट्रॉन बंधुता बढ़ती है।
2. प्रभावी नाभिकीय आवेश (Effective Nuclear Charge)
प्रभावी नाभिकीय आवेश जितना अधिक होता है, आने वाले इलेक्ट्रॉन के लिए नाभिक का आकर्षण उतना ही अधिक होता है। अतः, प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ने पर इलेक्ट्रॉन बंधुता बढ़ती है।
3. स्थिर इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
जिन तत्वों के पास पूर्ण-भरे (fully-filled) या अर्ध-भरे (half-filled) स्थायी कक्षक होते हैं, वे अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन ग्रहण करना नहीं चाहते। ऐसे तत्वों में इलेक्ट्रॉन जोड़ने के लिए ऊर्जा देनी पड़ती है, इसलिए उनकी इलेक्ट्रॉन बंधुता बहुत कम या ऋणात्मक (ऊष्माशोषी प्रक्रिया) होती है। उदाहरण: उत्कृष्ट गैसें, Be, Mg, N।
आवर्त सारणी में प्रवृत्ति (Periodic Trends)
आवर्त में (Across a Period)
एक आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर, परमाणु आकार घटता है और प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ता है। इन दोनों कारकों के कारण, इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति बढ़ती है। अतः, एक आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर इलेक्ट्रॉन बंधुता सामान्यतः बढ़ती है।
समूह में (Down a Group)
एक समूह में ऊपर से नीचे जाने पर, परमाणु आकार बढ़ता है, जिससे आने वाले इलेक्ट्रॉन पर नाभिक का आकर्षण कम हो जाता है। अतः, एक समूह में ऊपर से नीचे जाने पर इलेक्ट्रॉन बंधुता सामान्यतः घटती है।
महत्वपूर्ण अपवाद
क्लोरीन (Cl) की इलेक्ट्रॉन बंधुता फ्लोरीन (F) से अधिक होती है। यद्यपि फ्लोरीन का आकार छोटा है, लेकिन उसके 2p उपकोश में इलेक्ट्रॉन घनत्व बहुत अधिक होता है, जो आने वाले नए इलेक्ट्रॉन के लिए प्रतिकर्षण उत्पन्न करता है। क्लोरीन के बड़े 3p उपकोश में यह प्रतिकर्षण कम होता है, इसलिए क्लोरीन की इलेक्ट्रॉन बंधुता अधिक होती है। पूरी आवर्त सारणी में क्लोरीन की इलेक्ट्रॉन बंधुता सर्वाधिक है।