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संचार प्रणाली का मौलिक विचार

परिचय: संचार व्यवस्था

संचार व्यवस्था (Communication System) सूचना को एक स्थान (स्रोत) से दूसरे स्थान (गंतव्य) तक भेजने की प्रक्रिया और इसके लिए उपयोग की जाने वाली तकनीक है। हमारा दैनिक जीवन टेलीफोन, इंटरनेट, रेडियो और टेलीविजन जैसी संचार प्रणालियों पर बहुत अधिक निर्भर है।

संचार व्यवस्था के मूल घटक

किसी भी संचार व्यवस्था में तीन मुख्य घटक होते हैं:

1. प्रेषक (Transmitter)

प्रेषक का कार्य सूचना स्रोत से आने वाले संदेश (जैसे ध्वनि, चित्र) को एक ऐसे सिग्नल में बदलना है जो संचार चैनल के माध्यम से भेजा जा सके। इसमें आमतौर पर निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं:

  • ट्रांसड्यूसर: यह ऊर्जा के एक रूप को दूसरे रूप में परिवर्तित करता है (जैसे, माइक्रोफोन ध्वनि को विद्युत सिग्नल में बदलता है)।
  • मॉडुलक (Modulator): यह संदेश सिग्नल को एक उच्च-आवृत्ति वाहक तरंग (carrier wave) पर अध्यारोपित करता है।
  • एम्पलीफायर: यह सिग्नल की शक्ति को बढ़ाता है ताकि वह लंबी दूरी तय कर सके।
  • एंटीना: यह विद्युत सिग्नल को विद्युत चुम्बकीय तरंगों में परिवर्तित करके प्रसारित करता है।

2. संचार चैनल (Communication Channel)

यह वह माध्यम है जिससे होकर सिग्नल प्रेषक से अभिग्राही तक पहुँचता है। चैनल के माध्यम से यात्रा करते समय, सिग्नल कमजोर हो सकता है (क्षीणन) और उसमें अवांछित शोर (noise) जुड़ सकता है।

  • उदाहरण: मुक्त आकाश (रेडियो तरंगों के लिए), समाक्षीय केबल (coaxial cable), ऑप्टिकल फाइबर।

3. अभिग्राही (Receiver)

अभिग्राही का कार्य चैनल से प्राप्त सिग्नल को वापस मूल संदेश के रूप में परिवर्तित करना है। इसके चरण प्रेषक के विपरीत होते हैं:

  • एंटीना: यह विद्युत चुम्बकीय तरंगों को ग्रहण करके उन्हें विद्युत सिग्नल में बदलता है।
  • एम्पलीफायर: यह कमजोर सिग्नल की शक्ति को बढ़ाता है।
  • डिमॉडुलक (Demodulator): यह वाहक तरंग से मूल संदेश सिग्नल को अलग करता है।
  • ट्रांसड्यूसर: यह विद्युत सिग्नल को वापस मूल रूप में परिवर्तित करता है (जैसे, लाउडस्पीकर विद्युत सिग्नल को ध्वनि में बदलता है)।

संचार से संबंधित महत्वपूर्ण पद

  • सिग्नल (Signal): सूचना का विद्युत रूप।
  • मॉडुलन (Modulation): कम आवृत्ति वाले संदेश सिग्नल को लंबी दूरी तक भेजने के लिए उच्च आवृत्ति वाली वाहक तरंग पर अध्यारोपित करने की प्रक्रिया।
  • बैंडविड्थ (Bandwidth): किसी सिग्नल या चैनल द्वारा उपयोग की जाने वाली आवृत्तियों की परास (range)।
  • क्षीणन (Attenuation): माध्यम में यात्रा करते समय सिग्नल की शक्ति में होने वाली कमी।

मॉडुलन के प्रकार और आवृत्ति सीमा

मॉड्यूलेशन का प्रकार उपयोग आवृत्ति सीमा (लगभग)
आयाम मॉडुलन (AM) AM रेडियो प्रसारण (मीडियम वेव, शॉर्ट वेव) 540 kHz – 1600 kHz (MW)
आवृत्ति मॉडुलन (FM) FM रेडियो प्रसारण, टीवी ध्वनि प्रसारण 88 MHz – 108 MHz
कला मॉडुलन (PM) डिजिटल संचार, उपग्रह संचार, मोबाइल रेडियो विभिन्न (GHz रेंज तक)
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