परिचय: वाष्पीकरण (Evaporation)
वाष्पीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें कोई द्रव अपने क्वथनांक (boiling point) से कम तापमान पर वाष्प (गैस) में परिवर्तित हो जाता है। यह एक सतही घटना है, जिसका अर्थ है कि यह केवल द्रव की सतह पर होती है।
द्रव के कण लगातार गति में रहते हैं। सतह पर मौजूद कुछ कणों के पास इतनी अधिक गतिज ऊर्जा होती है कि वे अन्य कणों के आकर्षण बल को पार कर वाष्प में बदल जाते हैं। यह प्रक्रिया किसी भी तापमान पर हो सकती है।
वाष्पीकरण को प्रभावित करने वाले कारक
वाष्पीकरण की दर कई कारकों पर निर्भर करती है:
1. तापमान (Temperature)
तापमान बढ़ाने पर कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है। अधिक कणों के पास आकर्षण बल से मुक्त होने के लिए पर्याप्त ऊर्जा होती है, जिससे वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है। यही कारण है कि गर्म दिनों में कपड़े जल्दी सूखते हैं।
2. सतह क्षेत्र (Surface Area)
चूंकि वाष्पीकरण एक सतही घटना है, सतह क्षेत्र बढ़ाने से वाष्पीकरण के लिए अधिक कण उपलब्ध होते हैं। इसलिए, सतह क्षेत्र बढ़ाने पर वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए, कप की तुलना में तश्तरी में चाय जल्दी ठंडी होती है।
3. आर्द्रता (Humidity)
आर्द्रता हवा में मौजूद जलवाष्प की मात्रा है। यदि हवा में पहले से ही बहुत अधिक जलवाष्प है (उच्च आर्द्रता), तो द्रव के लिए वाष्पित होना कठिन हो जाता है। इसलिए, आर्द्रता बढ़ने पर वाष्पीकरण की दर घट जाती है। यही कारण है कि बरसात के मौसम में कपड़े देर से सूखते हैं।
4. वायु की गति (Wind Speed)
तेज हवा अपने साथ जलवाष्प के कणों को उड़ा ले जाती है, जिससे द्रव की सतह के आसपास जलवाष्प की मात्रा कम हो जाती है। इससे वाष्पीकरण के लिए अधिक जगह बनती है। अतः, वायु की गति बढ़ने पर वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है।
वाष्पीकरण के कारण शीतलता
वाष्पीकरण की प्रक्रिया के दौरान, द्रव के वे कण जिनकी गतिज ऊर्जा सबसे अधिक होती है, सतह छोड़ देते हैं। इसके परिणामस्वरूप, द्रव में बचे हुए कणों की औसत गतिज ऊर्जा कम हो जाती है। चूंकि तापमान औसत गतिज ऊर्जा का माप है, इसलिए द्रव का तापमान गिर जाता है। यही कारण है कि वाष्पीकरण से शीतलता होती है।
- उदाहरण: गर्मी में पसीना आने पर ठंडक महसूस होना, मिट्टी के घड़े में पानी का ठंडा रहना।