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आनुवंशिकी (Genetics)

परिचय: आनुवंशिकी (Genetics)

आनुवंशिकी (Genetics) जीव विज्ञान की वह महत्वपूर्ण शाखा है जो जीन (Genes), आनुवंशिक विविधता (Genetic Variation) और वंशानुक्रम (Heredity) का अध्ययन करती है। यह समझाती है कि कैसे माता-पिता से लक्षण उनकी संतानों में स्थानांतरित होते हैं। ग्रेगर मेंडल (Gregor Mendel) को उनके मटर के पौधों पर किए गए कार्यों के लिए ‘आनुवंशिकी का जनक’ कहा जाता है।

आनुवंशिकी के मूल सिद्धांत

डीएनए, जीन और गुणसूत्र (DNA, Gene, and Chromosome)

  • डीएनए (DNA – Deoxyribonucleic Acid): यह एक अणु है जिसमें किसी जीव के विकास, जीवन और प्रजनन के लिए आनुवंशिक निर्देश होते हैं। इसकी संरचना एक ‘डबल हेलिक्स’ (दोहरी कुंडली) जैसी होती है, जिसकी खोज वॉटसन और क्रिक ने की थी।
  • जीन (Gene): यह डीएनए का एक खंड है जो एक विशिष्ट प्रोटीन बनाने के लिए कोड करता है, जिससे एक विशिष्ट लक्षण (जैसे आंखों का रंग) निर्धारित होता है। जीन वंशानुक्रम की मूल इकाई है।
  • गुणसूत्र (Chromosome): यह कोशिका के केंद्रक में पाई जाने वाली एक धागे जैसी संरचना है जो डीएनए से बनी होती है। मानव कोशिकाओं में 23 जोड़े (कुल 46) गुणसूत्र होते हैं।

जीन अभिव्यक्ति (Gene Expression)

यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा डीएनए में संग्रहीत जानकारी को एक कार्यात्मक उत्पाद, जैसे प्रोटीन, में परिवर्तित किया जाता है। इसे आणविक जीव विज्ञान का ‘सेंट्रल डोग्मा’ भी कहा जाता है।

  • अनुलेखन (Transcription): यह प्रक्रिया केंद्रक के अंदर होती है, जहां डीएनए के एक खंड को मैसेंजर आरएनए (mRNA) में कॉपी किया जाता है।
  • अनुवाद (Translation): यह प्रक्रिया कोशिका द्रव्य में राइबोसोम पर होती है, जहां mRNA के कोड को पढ़कर एक विशिष्ट प्रोटीन का निर्माण किया जाता है।

मेंडल के वंशानुक्रम के नियम (Mendel’s Laws of Inheritance)

ग्रेगर मेंडल ने मटर के पौधों पर प्रयोग करके वंशानुक्रम के तीन मौलिक नियम दिए:

1. प्रभाविता का नियम (Law of Dominance)

जब दो अलग-अलग एलील (जीन के रूप) एक साथ मौजूद होते हैं, तो केवल एक (प्रभावी एलील) ही अपना प्रभाव दिखाता है, जबकि दूसरा (अप्रभावी एलील) छिपा रहता है।

2. पृथक्करण का नियम (Law of Segregation)

युग्मक (gamete) निर्माण के दौरान, प्रत्येक जीन के दोनों एलील एक दूसरे से अलग हो जाते हैं, ताकि प्रत्येक युग्मक को प्रत्येक जीन के लिए केवल एक ही एलील प्राप्त हो।

3. स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम (Law of Independent Assortment)

विभिन्न लक्षणों के लिए जीन एक दूसरे से स्वतंत्र रूप से अलग होते हैं, जब वे युग्मकों में जाते हैं। (यह नियम केवल उन जीनों पर लागू होता है जो अलग-अलग गुणसूत्रों पर स्थित होते हैं)।

आनुवंशिक विविधता और उत्परिवर्तन

आनुवंशिक विविधता (Genetic Variation)

एक प्रजाति के भीतर व्यक्तियों के बीच जीनों में अंतर को आनुवंशिक विविधता कहते हैं। यह विकास के लिए कच्चा माल है। इसके मुख्य स्रोत हैं:

  • उत्परिवर्तन (Mutation): डीएनए अनुक्रम में स्थायी परिवर्तन।
  • पुनर्संयोजन (Recombination): मियोसिस के दौरान जीन विनिमय (crossing over) से जीनों का नया संयोजन बनता है।

उत्परिवर्तन (Mutation)

यह डीएनए में अचानक होने वाला परिवर्तन है। यह हानिकारक, लाभदायक या तटस्थ हो सकता है। यह विकास और आनुवंशिक रोगों दोनों का एक प्रमुख कारण है।

जेनेटिक इंजीनियरिंग और जैव प्रौद्योगिकी

यह जीवों के डीएनए में प्रत्यक्ष हेरफेर करने की तकनीक है। इसके कुछ महत्वपूर्ण उपकरण और अनुप्रयोग हैं:

  • पुनर्योगज डीएनए प्रौद्योगिकी (Recombinant DNA Technology): विभिन्न स्रोतों से डीएनए को जोड़कर नया डीएनए बनाना। इसका उपयोग इंसुलिन उत्पादन में किया जाता है।
  • पीसीआर (PCR – Polymerase Chain Reaction): डीएनए के एक छोटे से नमूने की लाखों प्रतियां बनाने की तकनीक।
  • क्रिस्पर-कैस9 (CRISPR-Cas9): एक शक्तिशाली और सटीक जीन-संपादन (Gene-editing) उपकरण।
  • जीएमओ (GMO – Genetically Modified Organisms): आनुवंशिक रूप से संशोधित जीव, जैसे बीटी-कपास (Bt-Cotton)।
  • जीन थेरेपी (Gene Therapy): आनुवंशिक विकारों के इलाज के लिए दोषपूर्ण जीन को स्वस्थ जीन से बदलना।

मानव और जनसंख्या आनुवंशिकी

मानव आनुवंशिकी (Human Genetics)

यह मनुष्यों में वंशानुक्रम का अध्ययन है। इसमें आनुवंशिक विकारों का अध्ययन शामिल है।

  • हीमोफिलिया (Haemophilia): यह एक X-लिंक्ड अप्रभावी विकार है, जिसमें रक्त का थक्का ठीक से नहीं जमता।
  • सिकल-सेल एनीमिया (Sickle-cell Anemia): यह एक ऑटोसोमल अप्रभावी विकार है, जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं हंसिया (sickle) के आकार की हो जाती हैं।
  • डाउन सिंड्रोम (Down Syndrome): यह गुणसूत्र 21 की एक अतिरिक्त प्रति (ट्राइसॉमी 21) के कारण होता है।
  • टर्नर सिंड्रोम (Turner Syndrome): यह महिलाओं में एक लिंग गुणसूत्र (X) की कमी के कारण होता है।
  • वर्णान्धता (Colour Blindness): यह भी एक X-लिंक्ड अप्रभावी विकार है, जिसमें व्यक्ति लाल और हरे रंग में भेद नहीं कर पाता।

जनसंख्या आनुवंशिकी (Population Genetics)

यह आबादी के स्तर पर आनुवंशिक विविधता का अध्ययन करता है। यह विकासवादी प्रक्रियाओं जैसे प्राकृतिक चयन, जीन प्रवाह और आनुवंशिक बहाव को समझने में मदद करता है।

परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण तथ्य (GK for Exams)

  • आनुवंशिकी के जनक: ग्रेगर मेंडल।
  • डीएनए की डबल हेलिक्स संरचना: वॉटसन और क्रिक (1953)।
  • सेंट्रल डोग्मा: डीएनए → आरएनए → प्रोटीन।
  • मानव जीनोम परियोजना (Human Genome Project): इसका उद्देश्य मानव डीएनए के संपूर्ण अनुक्रम का पता लगाना था। यह 2003 में पूरा हुआ।
  • लिंग निर्धारण: मनुष्यों में लिंग का निर्धारण 23वें गुणसूत्र जोड़े (लिंग गुणसूत्र) द्वारा होता है। महिलाओं में XX और पुरुषों में XY होता है। संतान का लिंग पिता के गुणसूत्र पर निर्भर करता है।
  • डीएनए फिंगरप्रिंटिंग: इस तकनीक का विकास एलेक जेफ्रीस ने किया था। इसका उपयोग पितृत्व परीक्षण और फोरेंसिक विज्ञान में किया जाता है।
  • क्रिस्पर (CRISPR): एक क्रांतिकारी जीन-संपादन तकनीक।
  • बीटी-कपास (Bt-Cotton): एक आनुवंशिक रूप से संशोधित फसल जो कीट प्रतिरोधी है।
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