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ग्रेफाइट व उसके प्रमुख गुण व उपयोग (Graphite: Properties and Uses)

ग्रेफाइट का परिचय

ग्रेफाइट, कार्बन का एक अपरूप (allotrope) है, ठीक वैसे ही जैसे हीरा और फुलरीन हैं। यह एक क्रिस्टलीय ठोस है जो प्राकृतिक रूप से पाया जाता है और इसे कृत्रिम रूप से भी बनाया जा सकता है। इसका नाम ग्रीक शब्द “ग्रेफिन” (graphein) से लिया गया है, जिसका अर्थ है “लिखना”, क्योंकि इसका सबसे आम उपयोग पेंसिल की ‘लेड’ बनाने में होता है। अपनी अनूठी संरचना के कारण, ग्रेफाइट में कुछ बहुत ही दिलचस्प और उपयोगी गुण होते हैं।

ग्रेफाइट की संरचना (Structure of Graphite)

ग्रेफाइट के गुण उसकी परतदार संरचना (layered structure) से उत्पन्न होते हैं।

  • षट्कोणीय परतें: ग्रेफाइट में कार्बन परमाणु षट्कोणीय (hexagonal) छल्लों के रूप में व्यवस्थित होते हैं, जो सपाट परतें बनाते हैं। प्रत्येक परत में, एक कार्बन परमाणु तीन अन्य कार्बन परमाणुओं से सहसंयोजक बंधों (covalent bonds) द्वारा जुड़ा होता है।
  • sp2 प्रसंकरण: प्रत्येक कार्बन परमाणु sp2 प्रसंकरित (hybridized) होता है। इसके तीन इलेक्ट्रॉन तीन अन्य कार्बन परमाणुओं के साथ सिग्मा (σ) बंध बनाते हैं।
  • मुक्त इलेक्ट्रॉन: प्रत्येक कार्बन का चौथा संयोजी इलेक्ट्रॉन (π-इलेक्ट्रॉन) किसी विशेष बंध में स्थिर नहीं होता, बल्कि पूरी परत पर विस्थानीकृत (delocalized) रहता है। यही मुक्त इलेक्ट्रॉन ग्रेफाइट को विद्युत का सुचालक बनाता है।
  • कमजोर अंतर-परत बल: ये कार्बन परतें एक-दूसरे के ऊपर खड़ी होती हैं और कमजोर वान डर वाल्स बलों (van der Waals forces) द्वारा जुड़ी रहती हैं। इन कमजोर बलों के कारण, परतें एक-दूसरे पर आसानी से फिसल सकती हैं, जिससे ग्रेफाइट नरम और चिकना होता है।

ग्रेफाइट के प्रमुख गुण (Properties of Graphite)

भौतिक गुण

  • नरम और चिकना: अपनी परतदार संरचना के कारण, ग्रेफाइट बहुत नरम (soft) और चिकना (slippery) होता है। इसका उपयोग शुष्क स्नेहक (dry lubricant) के रूप में किया जाता है।
  • उच्च गलनांक: परतों के भीतर मजबूत सहसंयोजक बंधों के कारण ग्रेफाइट का गलनांक बहुत अधिक (लगभग 3600°C) होता है।
  • अच्छा सुचालक: यह ऊष्मा और विद्युत दोनों का अच्छा सुचालक है, जो अधातुओं के लिए एक असामान्य गुण है। इसका कारण विस्थानीकृत π-इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति है।
  • अपारदर्शी और काला: यह एक अपारदर्शी, गहरे भूरे से काले रंग का ठोस पदार्थ है।

रासायनिक गुण

  • रासायनिक रूप से निष्क्रिय: ग्रेफाइट सामान्य तापमान पर रासायनिक रूप से काफी निष्क्रिय (inert) होता है। यह अम्ल और क्षार से अभिक्रिया नहीं करता।
  • दहन: हालांकि, उच्च तापमान (लगभग 700°C) पर यह ऑक्सीजन में जलकर कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) बनाता है। C(s) + O2(g) → CO2(g)

ग्रेफाइट के उपयोग (Uses of Graphite)

ग्रेफाइट के अनूठे गुणों का संयोजन इसे कई औद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए मूल्यवान बनाता है:

  • पेंसिल ‘लेड’ में: ग्रेफाइट को मिट्टी के साथ मिलाकर पेंसिल की लेड बनाई जाती है।
  • स्नेहक के रूप में: इसकी चिकनी प्रकृति के कारण, इसे उन मशीनों में शुष्क स्नेहक (dry lubricant) के रूप में उपयोग किया जाता है जहाँ तेल या ग्रीस का उपयोग नहीं किया जा सकता।
  • रिफ्रेक्ट्री (उच्चतापसह) सामग्री: इसके उच्च गलनांक के कारण, इसका उपयोग क्रूसिबल (धातु पिघलाने के पात्र) और भट्टियों की लाइनिंग बनाने के लिए किया जाता है।
  • इलेक्ट्रोड के रूप में: इसकी उच्च विद्युत चालकता और रासायनिक निष्क्रियता के कारण, इसका उपयोग विद्युत-अपघटन (electrolysis) और बैटरियों (जैसे लिथियम-आयन बैटरी) में इलेक्ट्रोड बनाने के लिए किया जाता है।
  • परमाणु रिएक्टरों में: ग्रेफाइट का उपयोग परमाणु रिएक्टरों में मॉडरेटर (moderator) के रूप में किया जाता है, जहाँ यह न्यूट्रॉन को धीमा करता है ताकि श्रृंखला अभिक्रिया को नियंत्रित किया जा सके।
  • स्टील निर्माण: स्टील में कार्बन की मात्रा बढ़ाने के लिए इसे मिलाया जाता है, जिससे स्टील की कठोरता बढ़ती है।

अभ्यास प्रश्न (MCQs)

1. ग्रेफाइट का उपयोग शुष्क स्नेहक (dry lubricant) के रूप में क्यों किया जाता है?
  • (a) क्योंकि यह कार्बन का एक अपरूप है।
  • (b) इसके परमाणुओं के बीच मजबूत सहसंयोजक बंधों के कारण।
  • (c) इसकी षट्कोणीय परतों के बीच कमजोर वान डर वाल्स बलों के कारण, जो उन्हें फिसलने देते हैं।
  • (d) इसमें मुक्त इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति के कारण।
2. ग्रेफाइट विद्युत का संचालन करता है, जबकि हीरा नहीं। इसका मुख्य कारण क्या है?
  • (a) ग्रेफाइट की तुलना में हीरा अधिक कठोर होता है।
  • (b) ग्रेफाइट में विस्थानीकृत (delocalized) पाई-इलेक्ट्रॉन होते हैं, जबकि हीरे में सभी इलेक्ट्रॉन सहसंयोजक बंधों में स्थिर होते हैं।
  • (c) ग्रेफाइट की परतदार संरचना होती है, जबकि हीरे की चतुष्फलकीय संरचना होती है।
  • (d) ग्रेफाइट में कार्बन परमाणु sp2 प्रसंकरित होते हैं, जबकि हीरे में sp3 होते हैं। (यह सही है, लेकिन मुख्य कारण नहीं है)
3. परमाणु रिएक्टरों में ग्रेफाइट का उपयोग ‘मॉडरेटर’ के रूप में करने का उद्देश्य क्या है?
  • (a) अभिक्रिया को ठंडा करने के लिए।
  • (b) अतिरिक्त ऊर्जा को अवशोषित करने के लिए।
  • (c) हानिकारक विकिरण को रोकने के लिए।
  • (d) विखंडन अभिक्रिया को बनाए रखने के लिए तेज न्यूट्रॉनों को धीमा करने के लिए।
4. ग्रेफाइट के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?
  • (a) यह ऊष्मा और विद्युत दोनों का अच्छा सुचालक है।
  • (b) इसकी परतों के भीतर कार्बन परमाणु सहसंयोजक बंधों द्वारा जुड़े होते हैं।
  • (c) यह रासायनिक रूप से अत्यंत क्रियाशील है और आसानी से अम्लों से अभिक्रिया करता है।
  • (d) इसका गलनांक बहुत अधिक होता है।
5. ग्रेफाइट की संरचना के संबंध में, कार्बन परमाणुओं के बीच बंधन की प्रकृति क्या है?
  • (a) केवल आयनिक बंध।
  • (b) परतों के भीतर धात्विक बंध और परतों के बीच वान डर वाल्स बल।
  • (c) परतों के भीतर सहसंयोजक बंध और परतों के बीच वान डर वाल्स बल।
  • (d) परतों के भीतर और परतों के बीच केवल सहसंयोजक बंध।
6. लिथियम-आयन बैटरी में ग्रेफाइट का उपयोग एनोड (ऋणात्मक इलेक्ट्रोड) के रूप में किया जाता है। इसका कारण क्या है?
  • (a) इसका उच्च घनत्व।
  • (b) इसका नरम होना।
  • (c) इसकी परतदार संरचना जो लिथियम आयनों को अंतर्वेशित (intercalate) होने और संग्रहीत करने की अनुमति देती है।
  • (d) इसका बहुत कम गलनांक होना।
7. हीरे की तुलना में ग्रेफाइट थर्मोडायनामिक रूप से अधिक स्थिर (more stable) होता है, फिर भी हीरे को ग्रेफाइट में बदलने के लिए बहुत अधिक सक्रियण ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह क्या दर्शाता है?
  • (a) हीरा ग्रेफाइट से अधिक सघन है।
  • (b) हीरा गतिज रूप से स्थिर (kinetically stable) है लेकिन थर्मोडायनामिक रूप से अस्थिर (thermodynamically unstable) है।
  • (c) ग्रेफाइट हमेशा हीरे की तुलना में अधिक मूल्यवान होता है।
  • (d) ग्रेफाइट को उच्च दाब पर हीरे में नहीं बदला जा सकता।
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