हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता का सिद्धांत
परिचय
हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता का सिद्धांत (Heisenberg’s Uncertainty Principle) जर्मन भौतिक विज्ञानी वर्नर हाइजेनबर्ग द्वारा 1927 में प्रस्तुत किया गया था। यह सिद्धांत बताता है कि किसी कण की स्थिति (Position) और वेग (Velocity) या संवेग (Momentum) को एक साथ पूर्ण सटीकता के साथ मापा नहीं जा सकता।
सिद्धांत
इस सिद्धांत के अनुसार:
Δx × Δp ≥ ℏ / 2
जहाँ:
- Δx = स्थिति (Position) में अनिश्चितता
- Δp = संवेग (Momentum) में अनिश्चितता
- ℏ = (h / 2π), प्लांक स्थिरांक का मान
मुख्य बिंदु (Key Points)
- किसी कण की स्थिति और संवेग दोनों को एक साथ सटीकता से मापना असंभव है।
- जैसे-जैसे स्थिति की सटीकता बढ़ती है, संवेग की अनिश्चितता बढ़ती है, और इसके विपरीत।
- यह सिद्धांत क्वांटम यांत्रिकी में कणों के व्यवहार को समझने का आधार है।
महत्व (Significance)
- यह सिद्धांत परमाणु और उपपरमाणु कणों की प्राकृतिक सीमाओं को समझने में सहायक है।
- यह क्वांटम यांत्रिकी और शास्त्रीय भौतिकी के बीच का अंतर स्पष्ट करता है।
- यह सिद्धांत इलेक्ट्रॉनों के कक्षक और परमाणु संरचना को समझने में सहायक है।
उदाहरण (Example)
यदि किसी इलेक्ट्रॉन की स्थिति को सटीकता से मापा जाता है (Δx बहुत छोटा), तो उसका संवेग अत्यधिक अनिश्चित होगा (Δp बड़ा), जिससे उसकी गति को सटीकता से निर्धारित करना असंभव हो जाता है।